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एक्सप्रेस ट्रेनों में 90 प्रतिशत यात्रियों को मिल रहा है गंदा बिस्तर। एसी बोगियों में चार से पांच महीने में हो रही कंबल की धुलाई

 एक्सप्रेस ट्रेनों की एसी बोगियों में सफर करने वाले यात्रियों संग संक्रमण भी सफर कर रहा है। यात्री जिन बिस्तरों का इस्तेमाल कर रहे हैं उसकी धुलाई महीनों से नहीं हो रही है। कंबल तो तीन से चार महीने में ही धुले जाते हैं। उसकी बदबू बंद बोगी के भीतर फैल रही है। चादरों पर लगे दाग तो रेलवे की पोल खोल रहे हैं, तकिया कवर तक साफ नहीं हो रहे हैं।

रेलवे ने लखनऊ सहित बड़े स्टेशनों पर मैकेनाइज्ड लांड्री तक बनाई है, लेकिन गंदे बिस्तरों की सबसे ज्यादा आपूर्ति इन मैकेनाइज्ड लांड्री से ही हो रही है। एक आंकड़े के मुताबिक रेलवे में सबसे अधिक शिकायत गंदे बिस्तर और घटिया खाना की ही आती है। इनमें भी सबसे अधिक एसी थर्ड में इस्तेमाल बेडरोल को यात्रियों को दिया जा रहा है। लखनऊ से गुजरने वाली करीब120 ट्रेनों में साफ-सुथरे बिस्तरों की आपूर्ति नहीं हो रही है। हावड़ा सहित लंबी दूरी की कई ट्रेनों में तौलिया होने के बावजूद यात्रियों को नहीं मिल रहे हैं। ‘दैनिक जागरण’ ने सोमवार को चारबाग स्टेशन पर आने वाली कई ट्रेनों में इन यात्रियों को दिए जा रहे गंदे बिस्तरों की पड़ताल की, जो आपके सामने है….

इतना लेता है यात्रियों से रेलवे 

एसी क्लास के यात्रियों से रेलवे 25 रुपये बेडरोल के ले लेता है। यह शुल्क किराए में ही शामिल होता है। जबकि गरीब रथ ट्रेनों में यात्रियों को विकल्प के रूप में भुगतान करना होता है। किराए के साथ 25 रुपये देने पर ही उनको ट्रेन में अटेंडेंट बेडरोल देते हैं। कई यात्रियों को ट्रेन में ही 25 रुपये देने पर बेडरोल दिया जाता है। 

केवल वीआइपी ट्रेन पर ध्यान 

यात्रियों को साफ-सुथरे बिस्तर केवल वीआइपी टे्रन लखनऊ मेल, नई दिल्ली एक्सप्रेस, राजधानी एक्सप्रेस और पुष्पक एक्सप्रेस जैसी ट्रेन में मिलते हैं। जबकि कृषक, कैफियात, एलटीटी सुपरफास्ट और यशवंतपुर एक्सप्रेस सहित कई ट्रेनों में यात्रियों को गंदे बिस्तर मिलते हैं। 

ऐसे होते हैं इस्तेमाल

एक बार इस्तेमाल चादर को प्रेस करके फिर से पैकेट में रखकर सीट पर रख दिया जाता है। जबकि अटेंडेंट के पास ही साफ बिस्तर भी रखे होते हैं। जब यात्री गंदे बिस्तर को बदलने की मांग करते हैं तो शिकायत होने के डर से अटेंडेंट कुछ यात्रियों की चादर और तकिया बदल देते हैं।   

  • 13006 पंजाब मेल प्लेटफार्म नंबर एक पर पहुंची तो इसकी बोगी बी-2 में जालंधर से यात्रा कर रहे निरंजन कुमार ने चादर पर लगा हुआ दाग दिखाया। बताया कि अटेंडेंट को चादर बदलने को कहा, लेकिन उसने बदला नहीं। 
  • 13240 कोटा पटना एक्सप्रेस की बोगी बी-1 में सफर करने वाले मुकेश कुमार ने बताया कि उनको जो कंबल दिया गया उसकी धुलाई पिछली बार 25 सितंबर को हुई थी। धुलाई किए जाने की तिथि का टैग लगा हुआ था। जबकि बी-1 की सीट 18 से 20 पर सफर करने वाले आशुतोष, लाल वीरेंद्र शरण और अंकुर कुमार सिंह ने बताया कि गंदे और बदबूदार बिस्तर की शिकायत करने पर चादर को बदला जा सका।
  • 13308 गंगा सतलज एक्सप्रेस की बी-1 बोगी में सफर कर रहे ओम प्रकाश शाहजहांपुर से ट्रेन में सवार हुए। उनको अटेंडेंट ने साफ बिस्तर ही नहीं दिया। फिरोजपुर से शाहजहांपुर तक जिस बिस्तर का इस्तेमाल किया गया, उसे ही ओमप्रकाश को उपयोग करना पड़ा।
  • ट्रेन 12875 पुरी-नई दिल्ली नीलांचल एक्सप्रेस की एसी 3 बोगी बी-4 में चादर गंदगी थी। तकिया से बदबू आ रही थी। कवर में भी दाग लगे थे। सीट नंबर 10 से 14 नंबर पर परिवार सहित यात्रा कर रहे मनिंदर सिंह को तकिया की बदबू ने बहुत परेशान किया। माधवी, परविंदर कौर, प्रभदीप सिंह, माधवी ने गंदे बिस्तर की शिकायत की। 
  • ट्रेन 11123 की  बी 1 बोगी की सीट 54 के यात्री इश्तियाक ने बताया कि कई बार कहने के बाद तौलिया नहीं मिली। बर्थ संख्या 31 और 16 के अच्युत ने भी यही समस्या बताई। बी 2 बोगी की सीट 29 के यात्री नवीन को गंदा बेडरोल मिला। बर्थ संख्या 33 के अशोक कुमार ने बताया कि तौलिया बहुत गंदा था। वह भी कई बार मांगने पर मिला। बर्थ संख्या 34, 35, 36, 42, 45 पर परिवार के साथ सफर कर रहे राजीव कुमार भी रेलवे की इसी असुविधा से जूझते दिखे। 
  • 14369 त्रिवेणी एक्सप्रेस के बी 1 कोच की बर्थ संख्या 24 की यात्री सीमा तिवारी ने उन्हें तौलिया नहीं दिया गया। इलाहाबाद से करीब 4 घंटे से अधिक का सफर करने के बाद लखनऊ पहुंचने पर भी उन्हें बेडरोल देने भी कोई नहीं आया। बर्थ संख्या 14 के नितेश गुप्ता ने बताया कि मांगने पर बेड रोल दिया जाता है। 
  • ट्रेन 13005 हावड़ा-अमृतसर मेल की बोगी बी-3 की सीट 14 पर वर्धमान से बैठे अरुण मंडल ने कहा कि मैली चादर के साथ ही जूते के निशान थे। तौलिया तो कई बार मांगने के बाद भी नहीं मिली। सीट 18 पर बैठे अभिषेक के कंबल से धूल निकल रही थी। इसकी वजह से उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी। शिकायत के बावजूद दूसरा कंबल नहीं मिला। सीट नंबर-19 पर बैठे सूरज भी गंदी चार मिलने की शिकायत कर रहे थे।
  • 19306 की बोगी बी-1 की 23 नंबर सीट पर यात्रा कर रही नीता शर्मा ने बताया कि जैसे ही उन्होंने कंबल खोला उसमें से धूल निकल रही थी। इसके साथ तौलिया भी नहीं थी।  
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