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जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग करने के राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी

 जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग करने के राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (10 दिसंबर) को खारिज कर दी. सीजेआई रंजन गोगोई की पीठ ने बीजेपी के पूर्व विधायक डॉ गगन भगत की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इस याचिका में कोई मेरिट नहीं है. इससे पहले बीजेपी व केंद्र सरकार राज्यपाल के फैसले को सही ठहराया था. 

वहीं, कश्मीर केंद्रित पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस और उन्हें सहयोग दे रही कांग्रेस ने इसे उनकी सरकार के गठन को रोकने की साजिश करार दिया था.ऐसे हालात में गगन भगत ने बीजेपी को नजरअंदाज करते हुए राज्यपाल के फैसले को चुनौती दी थी.

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश किए जाने के कुछ ही देर बाद जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राज्य विधानसभा को भंग कर दिया था और साथ ही कहा था कि जम्मू कश्मीर के संविधान के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत यह कार्रवाई की गई है. इससे कुछ ही समय पहले जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस के समर्थन से जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने का दावा पेश किया था. मुफ्ती ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक को लिखे पत्र में कहा था कि राज्य विधानसभा में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी है जिसके 29 सदस्य हैं.

उन्होंने लिखा था कि आपको मीडिया की खबरों में पता चला होगा कि कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस ने भी राज्य में सरकार बनाने के लिए हमारी पार्टी को समर्थन देने का फैसला किया है. नेशनल कान्फ्रेंस के सदस्यों की संख्या 15 है और कांग्रेस के 12 विधायक हैं. अत: हमारी सामूहिक संख्या 56 हो जाती है.

महबूबा ने अपने पत्र में कहा था कि चूंकि इस समय मैं श्रीनगर में हूं, इसलिए मेरा आपसे तत्काल मुलाकात करना संभव नहीं होगा और यह आपको इस बाबत सूचित करने के लिए है कि हम जल्द ही राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए आपकी सुविधानुसार मिलना चाहेंगे.

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