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…तो इसलिए पाकिस्तान के लोगों को भी खूब पसंद थे अटल बिहारी वाजपेयी

पाकिस्तान ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को ‘राजनेता’ बताते हुए उनके निधन पर शोक जताया है। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हमें अटल बिहारी वाजपेयी के निधन का दुखद समाचार मिला है। वह एक प्रख्यात राजनेता थे, जिन्होंने भारत-पाक संबंधों में परिवर्तन लाने की दिशा में काम किया। वह विकास के लिए दक्षेस और क्षेत्रीय सहयोग के प्रमुख समर्थक थे।’ उन्होंने पाकिस्तान की सरकार और लोगों की तरफ से वाजपेयी के परिवार और भारत की सरकार एवं लोगों के प्रति ‘हार्दिक संवेदना’ प्रकट की। पाकिस्तान के भावी प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के निधन पर शोक जाहिर करते हुए कहा कि भारत-पाकिस्तान शांति की दिशा में उनके प्रयासों को हमेशा याद किया जाएगा। 

खान ने एक बयान में कहा कि वाजपेयी उपमहाद्वीप के प्रमुख राजनीतिक शख्सियत थे और उनके निधन से एक बड़ा शून्य पैदा हो गया है। उन्होंने कहा, ‘मैं दुख की इस घड़ी में भारत के लोगों के प्रति सहानुभूति प्रकट करता हूं।’ 

वहीं, पत्रकार से राजनेता बने पाकिस्तानी सांसद मुशाहिद हुसैन सैयद ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के निधन से एक एक अपूरणीय क्षति हुई है। उन्होंने कहा ‘वाजपेयी शांति के प्रतीक थे। उन्होंने दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 1999 में ऐतिहासिक लाहौर-दिल्ली बस यात्रा शुरू कराने में उनकी भूमिका सराहनीय है।’ 

पत्रकार और बिलावल भुट्टो के मीडिया सलाहकार उमर कुरैशी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पाकिस्तान में भी खूब पसंद किए जाते थे। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है ‘भाजपा से होने के बावजूद पाकिस्तान के लोगों को अटल बिहारी वाजपेयी काफी पसंद थे और ऐसा इसलिए था क्योंकि वो ऐतिहासिक ‘दोस्ती बस’ में सवार होकर खुद लाहौर आए थे।’ 

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