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दो दिनों तक चले सियासी घमासान के बाद आखिरकार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री तय हो गए

दो दिनों तक चले सियासी घमासान के बाद आखिरकार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री तय हो गए। कमलनाथ वहां के नाथ होंगे। ताजपोशी के साथ ही कमलनाथ पूरे देश में सुर्खियां बन गए हैं। सोशल मीडिया पर भी छाए हैं। अब तक उनके सियासी करियर को हर कोई जानता है। अब लोग खासकर उनकी निजी जिंदगी और अतीत को खंगाल रहे हैं। सभी के अपने-अपने कयास हैं। कोई कमलनाथ को पश्चिम बंगाल का मूलरूप से कह रहा है, कोई कानपुर का। हालिया और पुख्ता जानकारी इन सबसे इतर है। असल में कमलनाथ की जड़ें उप्र से ही जुड़ी हैं। खासकर बरेली जिले के बिशाररतगंज कस्बा के करीब छोटे से गांव अतरछेड़ी से। उनका परिवार यहीं का मूल निवासी थे।

कोलकाता जाकर बस गए कमलनाथ के पिता डाॅ. महेंद्रनाथ

कमलनाथ के पिता डाॅ. महेंद्रनाथ करीब 60 साल पहले कारोबार के सिलसिले में कोलकाता जाकर बस गए। उसके बाद उन्होंने कानपुर को अपना ठिकाना बनाया और कारोबार फैला लिया। हालांकि, डॉ. महेंद्रनाथ का अतरछेड़ी से नाता नहीं छूटा। वे अक्सर गांव आते रहते थे। गांव में रहने वाली शांति देवी (95) कमलनाथ की मां लीलावती को यादकर भावुक हो गईं। जब से कमलनाथ के मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री बनने का एलान हुआ है, अतरछेड़ी में डॉ. महेंद्र नाथ फिर चर्चा में आ गए हैं।

कैप्शन : कमलनाथ का परिवार कभी इसी घर में रहता था

बड़े ताऊ पद्मश्री डॉ. धर्मेंद्र नाथ रह चुके इलाहाबाद बोर्ड के चेयरमैन

जानकारी पर मुहर लगाते हुए अतरछेड़ी गांव के ही अधिवक्ता कुलदीप सिंह कहते हैं कि कमलनाथ के बाबा केदारनाथ ने गांव में बड़ी हवेली बनाई थी। उनके पिता डाॅ. महेंद्रनाथ तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त उनके ताऊ डॉ. धर्मेंद्रनाथ इलाहाबाद बोर्ड के चेयरमैन भी रहे। बाद में वे बहीं बस गए। कमलनाथ के छोटे ताऊ डॉ. सत्येंद्रनाथ दिल्ली में बस गए और स्पेयर पार्ट्स का कारोबारा शुरू किया। बताते हैं कि डॉ. महेंद्रनाथ मेरठ काॅलेज में उनके ससुर कुंवर देवेंद्र सिंह के साथ पढ़ते थे। गांव में उनके मकान भी पास-पास थे। दोनों में गहरी दोस्ती थी। वे एक-दूसरे के घर में दिनभर साथ रहते थे। कमलनाथ की मां लीलावती से उनकी चचिया सास शांति देवी की पक्की दोस्ती थी। शांति देवी को जब पता चला कि लीलावती का बेटा मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री बनने वाला है तो वे भावुक हो गईं। बताने लगीं कि डॉ. महेंद्रनाथ को ज्वार की रोटियां पसंद थीं।

दोस्त को बनाया था फैक्ट्री का एमडी

डा. महेंद्रनाथ करीब ६० साल पहले कोलकाता चले गए थे। वहां उन्होंने ईएमसी फैक्ट्री की स्थापना की। अपने घनिष्ठ मित्र कुंवर देवेंद्र सिंह को उन्होंने कंपनी का एमडी बनाया। हमेशा साथ रखा। वे जब भी पैतृक गांव लौटते तो दोस्त को भी साथ लाते थे।

कैप्शन : कमलनाथ का गांव अतरछेड़ी स्थित पैतृक मकान।

दबंगों से परेशान होकर छोड़ गए थे जायदाद, हवेली में खुलवाया स्कूल

कमलनाथ के परिवार के बारे में एक और किस्सा बेहद चर्चा में हैं। मीरगंज के पूर्व ब्लाक प्रमुख ठाकुर अतिराज सिंह से भी डॉ. महेंद्रनाथ के करीबी रिश्ते रहे हैं। उनकी फैक्ट्री में उन्होंने भी काम किया है। बताते हैं कि बचपन में कमलनाथ को मछलियां पकड़ने का शौक था। तब उनकी उम्र करीब ११ साल की रही होगी। वह अपनी पिता की तीसरी पत्नी के पुत्र हैं। यह भी बताया जाता है कि अतरछेड़ी गांव के सरकारी स्कूल में डॉ. महेंद्रनाथ टीचर भी रहे थे. गांव के कुछ दबंग स्कूल में बेवजह खुराफात करते थे। इसी से परेशान होकर महेंद्रनाथ ने अपनी जायदाद भी गांव में ही छोड़ दी कोलकाता चले गए। जाने से पहले वह अपनी हवेली में स्कूल खुलवा गए थे।

देहरादून में संजय गांधी के सहपाठी थे डॉ. महेंद्र 

डॉ. महेंद्र नाथ की शुरुआती शिक्षा देहरादून के शालेय शिक्षा निकेतन में हुई। वहां पर इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी भी पढ़ते थे। पूर्व ब्लाक प्रमुख ने बताया कि संजय से दोस्ती के बाद ही वे गांधी परिवार के करीब आए। कमलनाथ से पहले पिता का कारोबार संभाला और फिर गांधी परिवार की छत्रछाया में राजनीति में भी हाथ आजमने लगे। 1971 में उन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ा और पहली बार सांसद बने। इसके बाद वह नौ बार लगातार सांसद चुने गए। कांग्रेस सरकार में केंद्रीय कपड़ा मंत्री समेत कई बार मंत्री रहे।  

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