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यह मूक-बधिर 12 लाख रुपये हर महीने की नौकरी छोड़ लड़ेगा विधानसभा चुनाव

मध्य प्रदेश में सियासी सरगर्मियां बढ़ रही हैं। चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवार राज्य की दो बड़ी राजनीतिक पार्टियों समेत विभिन्न दलों से टिकट पाने के लिए एड़ी चोड़ी का जोर लग रहे हैं। ऐसे में एक ऐसा उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहा है जो मूकबधिर है। आईटी की दिग्गज कंपनी इंफोसिस में 12 लाख रुपये महीने तनख्वाह कमाने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर सुदीप नौकरी छोड़कर चुनावी मैदान में कूदने की तैयारी कर रहे हैं। सुदीप का मानना है कि जनप्रतिनिधी बोल सकते हैं पर वो बोलते नहीं हैं। मैं बोल नहीं सकता लेकिन चुप नहीं बैठूंगा। मैं मूक-बधिरों और गरीब आवाम की आवाज बनना चाहता हूं। इंदौर में वह उन बच्चों से मिले जो शेल्टर होम में यौन शोषण का शिकार हुए हैं।

सुदीप सतना से लड़ेंगे चुनाव 

सतना के रहनेवाले 36 वर्षीय सुदीप पुत्र रमेशकुमार शुक्ला सतना से चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं और वे चुनावी तैयारियों में जुट चुके हैं। तुकोगंज स्थित पुलिस सहायता केंद्र चलाने वाले सांकेतिक भाषा के जानकार ज्ञानेंद्र पुरोहित के जरिये सुदीप ने अपनी बात साझा की। दो क्षेत्रीय दलों ने सुदीप को समर्थन देने का एलान कर दिया है। सुदीप कई शहर का दौरा कर रहे हैं और सांकेतिक भाषा के जानकारों से मुलाकात कर रहे हैं। सुदीप ने सतना में कार्यकर्ताओं की टीम भी बना ली है। 

सुदीप की पत्नी भी सॉफ्टवेयर इंजीनियर और मूक-बधिर

सुदीप के परिवार में पिता, माता प्रसून, दो बहनें श्रद्धा और कोमल हैं। उनी पत्नी दीपमाला भी सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और उनकी तरह ही मूक-बधिर हैं। दादा भगवान प्रसाद शुक्ला सतना में कांग्रेस नेता हैं। सुदीप को देखते हुए उनकी बहन श्रद्धा ने सांकेतिक भाषा का कोर्स किया और वह सुदीप की बातों को अन्य लोगों तक पहुंचाती हैं। 

सुदीप ने भोपाल के आशा निकेतन विद्यालय से हायर सेकंडरी की पढ़ाई करने के बाद चेन्नई से बीकॉम व एमएससी (आइटी) की पढ़ाई की। साल 2006 से ही वह बेंगलुरू स्थित इंफोसिस में नौकरी कर रहे हैं। यहीं उनकी मुलाकात सॉफ्टवेअर इंजीनियर दीपमाला से हुई थी जिसके बाद दोनों ने शादी करने का फैसला किया। इन्हें हर महीने 12 लाख रुपये तनख्वाह मिलती है। 

तीन देशों में मूक-बधिर बने जनप्रतिनिधि 

सुदीप

मूक-बधिरों का यौन शोषण और बढ़ता अपराध परेशान करने वाला

सुदीप ने बताया कि मूक-बधिर युवक-युवतियों के साथ यौन शोषण की कई वारदातें हुईं। इंदौर में वह उन बच्चों से मिले जो शेल्टर होम में यौन शोषण का शिकार हुए हैं। मध्य प्रदेश में अपराध का दर बढ़ता जा रहा है। उन्होंने प्रदेश में कानून व्यवस्था के बिगड़े हालात से विचलित हो यौन शोषित बच्चों को मदद की आस में हर राजनीतिक दल के पास पहुंचाया। लेकिन कोई भी दल उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया। किसी ने भी उनकी आवाज को गंभीरता से नहीं लिया। सुदीप कहते हैं कि यही बात उन्हें विचलित कर गई। उनके मन में विचार आया कि चुनाव लड़कर ही वो उनकी बात विधानसभा में उठा सकते हैं। 

मूक-बधिरों को चुनाव लड़ने का है अधिकार 

मध्य प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी एल कांताराव कहते हैं कि देश के हर नागरिक को चुनाव लड़ने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। 

तीन देशों में मूक-बधिर बने जनप्रतिनिधि 

अमेरिका, नेपाल और युगांडा में मूक-बधिर जनप्रतिनिधि हैं। सुदीप कहते हैं कि यदि वो विधानसभा पहुंचते हैं तो अपनी बात रखने के लिए सांकेतिक भाषा के जानकार को रखने के लिए कानूनी अनुमति लेंगे। 

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