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रावण कार्ड से बुआ-बबुआ को जवाब देने की तैयारी में भाजपा सरकार

नई दिल्ली: क्या बीजेपी को अनुसूचित जाति के वोट बैंक के खिसकने का डर सताने लगा है. इस सवाल के पीछे दो बड़ी वजह हैं: एक वजह एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदल देना और दूसरी बड़ी वजह भीम आर्मी के संस्थापक चन्द्रशेखर आजाद उर्फ रावण को बिना कोर्ट के फैसले के रिहा कर देना. ऐसे में विपक्ष बीजेपी पर वोट के लिए झुकने का आरोप लगा रहा है. 

आजाद को पिछले साल आठ जून को हिमाचल प्रदेश के डलहौजी से गिरफ्तार किया गया था. सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में पांच मई को हुई हिंसा के सिलसिले में उसकी गिरफ्तारी हुई थी. इस घटना में एक शख्स की मौत हो गई थी जबकि 16 अन्य घायल हुए थे. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दो नवंबर 2017 को उसे जमानत दे दी थी. पुलिस ने हालांकि उसकी रिहाई से कुछ दिनों पहले ही उसके खिलाफ सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत मामला दर्ज कर दिया. उसे रासुका के तहत एक नवंबर तक हिरासत में रखा जाना था.

ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं कि रावण की रिहाई मजबूरी है या वोट के लिए जरूरी है. क्या 2019 में यूपी में योगी का रावण दांव है. क्या बीजेपी ‘रावण’ कार्ड से बुआ-बबुआ को जवाब देने की तैयारी में है. क्या महागठबंधन के मुकाबले रावण का सहारा लिया जा रहा है. ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो जेहन में उठ रहे हैं. उधर, यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा “चंद्रशेखर पर मुकदमे वापसी की कोशिश की जा रही है. चंद्रशेखर जनता के दबाव में रिहा हुए हैं. सरकार इनको रिहा नहीं कर रही है.” इस पर यूपी बीजेपी के प्रवक्ता चंद्र मोहन का कहना है कि विपक्षी पार्टियों को चंद्रशेखर की गिरफ्तारी में भी परेशानी है और अब रिहाई पर भी सवाल खड़ा कर रहे हैं. 

उधर, उत्तर प्रदेश सरकार के गृह विभाग के एक प्रवक्ता ने लखनऊ में गुरुवार को कहा, “चंद्रशेखर की मां के प्रतिवेदन के बाद, उसे जल्दी रिहा करने का फैसला लिया गया. उसे एक नवंबर तक जेल में रहना था.” रासुका के विरोध में भीम आर्मी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी जिस पर 14 सितंबर को सुनवाई होनी थी लेकिन सरकार ने 13 सितंबर की रात को ही चंद्रशेखर को रिहा कर दिया.   

2019 में बीजेपी की की हार सुनिश्चति करेंगे: चंद्रशेखर 
उधर, जेल से रिहा होने के कुछ घंटों बाद भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने शुक्रवार को कहा कि वह सुनिश्चत करेंगे कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की 2019 के लोकसभा चुनावों में हार हो. आजाद ने कहा, “भीम आर्मी सरकार के दबाव में नहीं झुकेगी और बीजेपी को आम चुनावों में सत्ता से बाहर खदेड़ने के लिए संवैधानिक तरीके से लड़ेगी. उन्होंने कहा कि बीजेपी को हराने के लिये भीम आर्मी महागठबंधन का समर्थन करेगी. उसने कहा कि हम दलित समाज को संगठित कर जुल्म का मुकाबला करेंगे. 

खुद चुनाव न लड़ने का जिक्र करते हुए 31 वर्षीय दलित नेता ने कहा, ‘‘यह हमारे अधिकारों के लिये बेहद लंबी संवैधानिक लड़ाई है. यह असली लड़ाई का वक्त है. नेता के अभाव में भीम आर्मी कमजोर पड़ती दिख रही थी लेकिन अब मैं लौट आया हूं.” आजाद ने कहा कि जेल में उन्हें ‘‘सूखी रोटियां’’ दी गईं और उसके परिवार को उससे मिलने नहीं दिया गया. ‘‘मैंने जो कुछ भुगता है मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि भाजपा को सूद समेत उसे 2019 के लोकसभा चुनाव में वापस करूं.’’  

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