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सपा-सपा गठबंधन ने प्रदेश ही नहीं देश की राजनीति में भी गरमाहट पैदा कर दी है

बसपा-सपा गठबंधन ने प्रदेश ही नहीं देश की राजनीति में भी गरमाहट पैदा कर दी है। लेकिन गौतमबुद्धनगर में दोनों पार्टियों के रिश्ते पर वर्षों से जमीं बर्फ अभी भी जस की तस है। मंगलवार को बसपा सुप्रीमो मायावती के जन्मदिन के मौके पर उनके गृह जनपद में दोनों दलों के रिश्तों की दूरियां साफ नजर आईं। जन्मदिवस कार्यक्रमों में सपाई नजर नहीं आए। उन्होंने बसपा के कार्यक्रमों से दूरियां बनाए रखीं, जबकि, मेरठ समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सपाइयों ने बसपा के मंच पर पहुंचकर रिश्तों में जोश भरा। लखनऊ में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी बसपा सुप्रीमो मायावती के घर पहुंचकर नए रिश्ते को और ऊंचाई दी। मायावती के गृह जनपद में ऐसा देखने को नहीं मिला।

बसपा और सपा गठबंधन के सहारे
प्रदेश में भाजपा को हराने का सपना देख रही है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भाजपा को हराने के लिए दो कदम पीछे हटने बात कहकर कई बार कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने का काम कर चुके हैं, लेकिन जिलास्तर पर दोनों दलों के कार्यकर्ताओं को एकजुट रखना आसान नहीं है।

गौतमबुद्धनगर पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का गृह जनपद है। मायावती ने ही 1997 में गाजियाबाद और बुलंदशहर का कुछ हिस्सा काटकर गौतमबुद्धनगर के नाम से अलग जिला बनाया था। बाद में 2004 में सपा ने गौतमबुद्धनगर को समाप्त कर दिया था, तभी से जिले में सपा और बसपाइयों के बीच दूरियां रही हैं, जमीन अधिग्रहण, किसान आंदोलन से लेकर राजनीतिक मंचों पर दोनों दलों के नेता और कार्यकर्ता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर राजनीति करते रहे हैं।

सपा के लोग बसपाइयों पर नोएडा, ग्रेटर नोएडा में बिल्डर भूखंड आवंटन, ग्राम विकास के नाम पर गड़बड़झाला आदि का आरोप लगाते रहते हैं। वहीं बसपा कार्यकर्ता सपा जिला तोड़ने और गौतमबुद्ध्रनगर की उपेक्षा का आरोप लगाते रहे हैं। एक-दूसरें को फुटी आंख नहीं सुहाने वाले कार्यकर्ताओं की तल्खी पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के जन्मदिवस पर भी कम नहीं हुई। मंगलवार को सूरजपुर में आयोजित बसपा के मुख्य कार्यक्रम में सपा का कोई नेता नहीं पहुंचा।

बसपा के नए चेहरों के बीच पुराने हुए गायब
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का गृह जनपद होने की वजह से गौतमबुद्धनगर बसपा का गढ़ रहा है। 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा के सुरेंद्र नागर यहां से सांसद चुने गए थे। दादरी से सतवीर गुर्जर दो बार व जेवर से वेदराम भाटी बसपा के टिकट पर तीन बार विधायक चुने गए थे। गत लोकसभा और विधान सभा चुनाव में भाजपा ने बसपा का किला ध्वस्त करते हुए सभी सीटों पर कब्जा कर लिया था, तभी से बसपा में पुराने नेताओं की उल्टी गिनती शुरू हो गई थी। बसपा ने जिले की तीनों विधान सभा के प्रभारियों की जिम्मेदारी नए कार्यकर्ताओं को पहले ही सौंप रखी है।

अब लोकसभा प्रभारी भी एकदम नए चेहरे संजय भाटी को बनाया गया। मंगलवार को मायावती के जन्मदिवस कार्यक्रम की कमान नए चेहरों ने संभाल रखी थी। नए चेहरे बड़ी संख्या में नजर आए। वहीं मंच पर नए चेहरों के बीच पुराने नेता और कार्यकर्ता बेगाने नजर आए। मंच पर वे बैठे जरूर थे, लेकिन उनके दिलों की दूरियां साफ नजर आ रही थी। पूर्व विधायक सतवीर गुर्जर, पूर्व मंत्री करतार नागर समेत बसपा के कई बड़े नेता कार्यक्रम में नजर नहीं आए।

सुरेंद्र नागर (राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सदस्य, सपा) का कहना है कि सपाइयों ने बसपा सुप्रीमो बहन कु. मायावती का जन्मदिवस अपने कार्यालय पर मनाया। सपा और बसपाइयों के बीच अब कोई दूरी नहीं है। दोनों दल एकजुट होकर लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने का काम करेंगे।

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