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डांट डपट से बचने के लिए झूठ बोलते हैं बच्चे

jutएक छोटे बच्चे और एक टीनएजर के झूठ बोलने का तरीका अलग-अलग हो सकता है, लेकिन इसकी वजह अमूमन भय, असुरक्षित माहौल आदि ही होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, छोटे बच्चे बहुत साधारण झूठ बोलते हैं क्योंकि वो अपनी हर चीज के लिए बड़ों पर निर्भर रहते हैं। झूठ बोलने पर डांटने-फटकारने, गुस्सा करने की बजाय पैरेंट्स को शांति से बच्चे को समझाना चाहिए कि झूठ बोलना अच्छी बात नहीं है। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की झूठ बोलने की आदत बहुत नुकसानदेह साबित हो सकती है। वो अक्सर होमवर्क न करने, अपनी ग़लती/कमी आदि छुपाने के लिए झूठ बोलते हैं।
बच्चे पर नजर रखें-अगर आपको लगे कि आपका बच्चा अक्सर झूठ बोलने लगा है, तो उसकी ये आदत छुड़ाने में जुट जाएं। आप उसकी बातों और हरकतों पर नजर रखें। छोटी-छोटी बातों में झूठ बोलने की आदत बाद में डिसऑर्डर में बदल सकती है जैसे- बच्चे का आक्रामक होना, लड़ाई-झगड़ा करना, गाली-गलौज करना आदि।
प्यार से समझाएं-जब बच्चा बातों को समझने लगे, तो उसे सही-ग़लत और अच्छे-बुरे का फर्क बताएं। शरारतों में उसका साथ जरूर दें, मगर उसकी शैतानियों पर हिदायत देना न भूलें। सच बोलने के लिए बच्चे को मारे-पीटे नहीं, बल्कि प्यार से कुछ इस तरह समझाएं कि वह सच बोलने के लिए प्रेरित हो। साथ ही अपनी गलती मानने में भी हिचकिचाए नहीं।
पैरेंट्स की नकल-कई बार बच्चे अपने माता-पिता की नकल करते हुए भी झूठ बोलना सीख जाते हैं।34 आजकल के बच्चे पैरेंट्स से भी ज्यादा स्मार्ट हैं। ठीक से चलना सीखने से पहले ही स्मार्टफोन हैंडल करना सीख जाते हैं इसलिए उनके सामने कुछ भी करने और बोलने से पहले हज़ार बार सोच लें कि आपके बच्चे पर इसका क्या असर पड़ेगा? क्योंकि बच्चे का पहला स्कूल तो घर ही होता है।

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