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भाजपा का अगला लक्ष्य मणिपुर और त्रिपुरा

tripura_04_06_2016नई दिल्ली। असम के बाद अब भाजपा की नजरें मणिपुर और त्रिपुरा पर हैं। पार्टी को आशा है कि असम की रणनीति के साथ ही इन दो हिंदू बाहुल्य राज्यों को फतह किया जा सकता है। भविष्य की योजना के अनुसार इन दो राज्यों की जीत न सिर्फ ईसाई बहुल नगालैंड और मेघालय में भी जीत का आधार बना सकती है बल्कि मिशन 2019 के लिए लोकसभा और राज्यसभा के आंकड़े भी दुरुस्त कर सकती है। ऐसे में भाजपा का मिशन पूर्वोत्तर अब और तेज हो सकता है।

असम में मुख्यमंत्री सोनोवाल और सरकार में नंबर दो हेमंत विश्व शर्मा की जोड़ी को भाजपा पूरे पूर्वोत्तर में भुनाएगी। असम की तर्ज पर ही पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में कांग्र्रेस के खिलाफ मोर्चा तैयार किया जाने लगा है। कमान असम चुनाव के “मैन आफ द मैच” हेमंत को दी गई है। उन्हें राज्य के पूर्वोत्तर घटक दलों का संयोजक बनाया गया है। सूत्र के अनुसार भाजपा का अगला ध्येय मणिपुर और त्रिपुरा है। मणिपुर में हालांकि ईसाई मतावलंबियों की संख्या लगभग हिंदू आबादी के बराबर है। लेकिन उस दशा में भी यह असम से थोड़ी आसान लड़ाई है। केरल के अलावा त्रिपुरा वाम मोर्चा का अकेला अखाड़ा बच गया है।

यहां हिंदू आबादी लगभग 83 फीसद है। मणिपुर में अगले ही साल चुनाव है जबकि त्रिपुरा में लगभग डेढ़ साल बाद। ऐसे में भाजपा सूत्रों का कहना है कि असम के पड़ोस में होने के कारण इन राज्यों में भाजपा प्रशासन के जरिए भी अपना प्रभाव बना सकती है। ध्यान रहे कि अरुणाचल प्रदेश में में पहले भाजपा समर्थित सरकार है।

मणिपुर और त्रिपुरा भाजपा अपनी झोली में करने में सफल हुई तो नगालैंड और मेघालय में लड़ाई अच्छी हो सकती है। दरअसल इन राज्यों की लड़ाई ने केवल सत्ता के कारण महत्वपूर्ण है बल्कि मिशन 2019 का भी एक अहम पड़ाव साबित हो सकता है। पूरे पूर्वोत्तर में लोकसभा की 25 और राज्यसभा की 14 सीटें हैं। भाजपा के पास फिलहाल इनमें से लोकसभा की मात्र छह सीटें हैं जबकि राज्यसभा में एक भी सदस्य नहीं है। सिक्किम को छोड़कर बाकी के सभी राज्यों में लोकसभा से पहले ही चुनाव होने हैं।

राज्यसभा के 14 में 11 सदस्य कांग्र्रेस के हैं। हालांकि इन राज्यों में राज्यसभा की अधिकतर सीटें 2019 के बाद ही खाली हो रही हैं। इस पूरी रणनीति में फिलहाल केवल सिक्किम ऐसा राज्य बच रहा है। इसी रणनीति के तहत पूर्वोत्तर पर भाजपा की खास नजरें रहेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी हाल में भी पूर्वोत्तर के दौरे से लौटे हैं। भाजपा के शीर्ष नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों का दौरा न सिर्फ बढ़ेगा बल्कि कुछ खास योजनाएं भी बन सकती हैं

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