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मणिपुर में जरूरत से ज्यादा ताकत नहीं झोंक सकती सेना

sc_201678_12412_08_07_2016नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सेना और अर्धसैनिक बल मणिपुर में “अत्यधिक और जवाबी ताकत” का इस्तेमाल नहीं कर सकती है। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को कहा कि इस तरह की घटनाओं की निश्चित रूप से जांच होनी चाहिए।

जस्टिस एमबी लोकुर और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने एमिकस क्यूरी को मणिपुर में हुई कथित फर्जी मुठभेड़ों का ब्योरा सौंपने को कहा है। पीठ ने कहा कि मणिपुर में फर्जी मुठभेड़ के आरोपों की अपने स्तर पर जांच के लिए सेना जवाबदेह है। शीर्ष अदालत ने कहा कि एनएचआरसी के दावे की भी जांच की जाएगी।

शीर्ष अदालत में सुरेश सिंह की याचिका पर सुनवाई की जा रही थी। याची ने सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम को निष्प्रभावी करने की मांग की है। इस कानून के तहत अशांत क्षेत्रों में सेना को विशेष बल प्रदान किया गया है।

इससे पहले अदालत ने कहा था कि मणिपुर में सुरक्षा बलों द्वारा मुठभेड़ में मारे गए लोगों के पीड़ित परिवारों को मुआवजा भुगतान इस बात का पर्याप्त संकेत देता है कि ऐसे मुठभेड़ फर्जी थे। मणिपुर सरकार को मुआवजा भुगतान के बाद उठाए गए कदमों की जानकारी देने के लिए कहा गया था।

अदालत ने केंद्र, मणिपुर सरकार और एनएचआरसी से राज्य में हुई फर्जी मुठभेड़ों की समग्र रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा था। इसमें ऐसे 62 मामलों को भी शामिल करने का निर्देश अदालत ने दिया था जिसकी एफआइआर तक दर्ज नहीं कराई जा सकी।

पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसीटर जनरल मनिंदर सिंह, एनएचआरसी और राज्य सरकार के वकीलों को सभी सूचनाएं एमिकस क्यूरी को उपलब्ध कराने को कहा। एमिकस क्यूरी अदालत के लिए मामलों की सूची तैयार करेंगे।

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