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राज्य सभा में अरूण जेटली ने पेश किया जीएसटी विधेयक

unnamed (9)नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने बुधवार को राज्यसभा में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का 122वां संविधान संशोधन विधेयक बुधवार को पेश किया गया। वित्त मंत्री जेटली ने सदन को बताया कि जीएसटी विधेयक सबसे पहले 2005 और उसके बाद 2011 में चर्चा के लिए लाया गया था। लेकिन राजनीतिक दलों एवं राज्य सरकारों के बीच आमसहमति न बनने पर इसे पारित नहीं कराया जा सका। जेटली ने कहा कि जीएसटी के कर प्रावधानों को लेकर कुछ राज्य सरकारों को आपत्ति थी। उनका कहना था कि इससे कुछ राज्य कर लगाने के अपने अधिकार से वंचित हो जाएंगे। जबकि अन्य राज्यों का मानना था कि इससे उपभोक्ता राज्यों को फायदा होगा और उत्पादक राज्यों को नुकसान होगा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि इस विधेयक से राजस्व में वृद्धि होगी जिसका लाभ राज्यों को मिलेगा और उन्हे कोई नुकसान उठाना नहीं पड़ेगा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने विपक्ष की ओर से बहस की शुरूआत करते हुए कहा कि विधेयक का प्रारूप जटिल है। उन्होंने कहा कि विधेयक का मकसद कराधान की जटिलताओं को समाप्त करना है। वस्तुओं के एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजने पर एक प्रतिशक का कर लगाने का प्रावधान गलत है। यहां तक की सरकार के वित्तीय सलाहकार का भी मानना है कि इस तरह का कर एक प्रतिगामी कदम होगा।
चिदंबरम ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जीएसटी में कर की सीमा अधिकतम 18 प्रतिशत होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार अगर आज संविधान संशोधन विधेयक में कर की सीमा 18 प्रतिशत किए जाने को शामिल नहीं करती है तो उसे शीतकालीन सत्र में लाए जाने वाले जीएसटी विधेयक में इसका प्रावधान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ऐसा नहीं करेगी तो कांग्रेस पार्टी जनता के बीच जाकर इससे होने वाले नुकसान के बारे में उन्हे अवगत कराएगी। उन्होंने कहा कि सरकार यदि कर सीमा अगर 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 24 प्रतिशत करेगी तो इससे मुद्रा स्फीति बढ़ेगी और बड़े पैमाने पर कर चोरी होगी। उन्होंने कहा कि कर ढ़ाचे में कोई भी बदलाव कार्यकारी आदेश से नहीं बल्कि संसद की सहमति से ही किया जाना चाहिए क्योंकि कराधान मशीनरी बहुत अक्षम है और इससे कर वसूली में भारी कमी होगी।
श्री चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस कर सीमा निश्चित करने पर जोर इसलिए दे रही है कि केंद्रीय वित्त मंत्री और राज्यों के वित्त मंत्री हमेशा अधिक कराधान का प्रावधान कर अधिक धन जुटाना चाहते हैं। इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन कर का दर अधिक होने लोग प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सेवा कर 14.5 प्रतिशत और यदि इसे बढ़ाकर 24 प्रतिशत कर दिया जाए तो सभी इससे प्रभावित होंगे। समाजवादी पार्टी ने जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक का समर्थन करने और उसके पक्ष में वोट करने के लिए प्रतिबद्ध जताई है। राज्य सभा में इसके नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि नहीं चाहते हुए भी हम जीएसटी विधेयक का समर्थन कर रहे हैं।
जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए अग्रवाल ने कहा कि वित्त मंत्री अरूण जेटली को कराधान की अधिकतम और न्यूनतम सीमा तय कर देनी चाहिए ताकि भविष्य में इस सरकार को जीएसटी की कर सीमा को बढ़ाने अथवा घटाने के लिए संसद में न आना पड़े। उन्होंने वित्त मंत्री से जीएसटी से दस लाख का कारोबार करने वाले व्यापारियों को छूट देने की भी बात की।
वहीं अन्नाद्रमुक पार्टी की नवनीथ कृष्णन ने जीएसटी विधेयक का विरोध करते हुए इसे असंवेधानिक करार दिया। उन्होंने वित्त मंत्री से उनकी पार्टी द्वारा सरकार को सुझाए संशोधनों को स्वीकर करने की मांग की।
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