Tuesday , April 23 2024

रिलेशनशिप को मज़बूत बनाने वाली ये ‘टॉप 5 मॉडर्न सलाह’ भूल कर भी न करें फॉलो…

दो लोग एक दूसरे के बीच जितनी ‘लक्ष्मण’ रेखा कम करते जाएंगे, वो एक दूसरे के उतने करीब आते जाएंगे। ये फॉर्मूला दो सहकर्मी, दो दोस्त, गर्लफ्रेंड-ब्वॉयफ्रेंड या पति-पत्नी सब रिश्तों एक समान लागू होता। बस, ये ख्याल रखना होगा कि उनकी ‘मर्यादा’ भंग न हो। 

shradha_650x400_81464600392रिलेशनशिप एक्सपर्ट्स से लेकर यार-दोस्त तक और पत्रिकाओं से लेकर वेबसाइट्स तक, सभी आपको मज़बूत रिश्ते के टिप्स देंगे। सभी कहेंगे कि हर मनमुटाव को बात करके सुलझाना चाहिए, दो लोगों के बीच कोई राज़ नहीं होना चाहिए, जिसदिन आपको आपका सोलमेट मिल जाएगा उसदिन आपकी जिंदगी को मायने मिल जाएंगे…वगैरह वगैरह।

पर हमारा मानना है कि एक हैप्पी रिलेशनशिप की रेसिपी का पता इन लोगों के पास नहीं है । शायद हमारे पास भी नहीं। लेकिन आपके मां-बाप या दादा-दादी के पास ज़रूर होगा। आपने आज के दौर के रिलेशनशिप एडवाइस तो जान लिए, अब हम आपको बताते हैं कि किस तरह पुराने दौर के रिलेशनशिप ट्रिक्स आपके रिश्ते के लिए वरदान साबित हो सकते हैं। 

Rule 1. दो लोगों के बीच कोई सीक्रेट नहीं होना चाहिये
‘सच बोलो, लेकिन अप्रिय सच कभी न बोलो…’ ये पाठ स्कूल में सिखाई गई थी। भूल तो नहीं गए आप! माना कि आप उनके प्रति ईमानदान हैं, लेकिन इसका मतलब ये कतई नहीं कि आप हर बात उन्हें जाकर बताएं। जो बात आपकी सहेली ने आपसे शेयर की उसे पति तो बताना ज़रूरी तो नहीं। घर में कोई तकरार हुई हो या दफ्तर में आपको किसी ने प्रपोज़ कर दिया हो, तो ज़रूरी नहीं कि सारी बात उन्हें बता दी जाए। जहां तक मुमकिन हो, अपने लेवल पर ही बात को ईमानदारी से रफा-दफा करने की कोशिश करें। वो बात उनसे कतई शेयर न करें जिससे उन्हें तकलीफ हो या जिसपर उनका बस न हो। 

Rule 2. झगड़े को बात करके सुलझाएं अजी छोड़िये जनाब, जब दो लोग गुस्से में हों तो क्या खाक वे एक दूसरे से सीधे मुंह बात करेंगे। इससे तो बेहतर है कि जब तक गुस्सा शांत न हो जाए, बात को छेड़ो ही मत। अगर मामला खुद ब खुद शांत हो जाए तो हर्ज ही क्या है। उनके सामने उसी बात को छेड़कर फिर कलह करने से अच्छा है उन्हें खुद उसपर सोचने का मौका दें। ज़ाहिर है, अगर बात बड़ी होगी तो वो उनके दिमाग में भी होगी। जब उनका दिमाग ठंडा होगा तो वो खुद उसपर सोच-विचार करेंगे। फिर क्या पता, उन्हें तब आपकी बात समझ आ जाए!

Rule 3. घर के काम बराबरी से बंटने चाहिए
घर की जिम्मेदारियों का बंटवारा लिंग के आधार पर नहीं, बल्कि पति-पत्नी की क्षमता और प्राइयोरिटी के आधार पर  होना चाहिए। शादी-शुदा जोड़े में अगर एक शख्स बाहर जाकर काम कर रहा है और घर की तमाम वित्तीय जिम्मेदारियों की बीड़ा उठा रहा है और अगर दूसरा घर पर बैठा है तो नैतिकता के आधार पर उसे घर की सारी जिम्मेदारियां उठानी चाहिए। ये नियम पति और पत्नी दोनों पर लागू होना चाहिए। मसलन, अगर पत्नी बाहर कमा रही है और पति नौकरी नहीं करता तो उसे ही घर के सारे काम संभालने चाहिए। ये कहीं से भी उचित नहीं होगा कि पत्नी घर और बाहर दोनों की जिम्मेदारियां उठाए और पति घर की साफ सफाई और खाना पकाने का काम सिर्फ इसलिए न करे क्योंकि वो ‘पुरुष’ है।

यही बात महिलाओं पर भी लागू होती है। आपने कई लोगों को ये कहते सुना होगा, शायद आप भी मानते होंगे कि पतियों को घर के काम में पत्नियों का हाथ बंटाना चाहिए। लेकिन हमारा मानना है कि ये पति की नैतिकता पर छोड़ देनी चाहिए, न कि पत्थर की लकीर मान ली जानी चाहिए। बेशक, घर के कामकाज करने वाली महिलाओं की जिम्मेदारियां कम नहीं होतीं, लेकिन बाहर जाकर काम करने वाले पतियों का भी वर्क लोड कम नहीं होता। ‘शेयर द लोड’ का मतलब ये कतई नहीं होना चाहिए कि पति को घर के कुछ काम करने ही करने हैं।

हां, अगर मियां-बीवी दोनों वर्किंग हैं, तब घर के काम-काज बराबर बंटने चाहिए। लेकिन अगर एक घर पर है और दूसरा बाहर जाकर काम करता है तब इस नियम का अक्षरश: पालन दूसरे पर नाइंसाफी होगी और ये किसी भी तरह से एक बेहतर रिश्ते के लिए  सही नहीं।

Rule 4. रेगुलर डेट पर जाना चाहिए
शादी से पहले भले ही दो लोगों के लिए अक्सर डेट नाइट पर जाना आसान हो, लेकिन शादी के बाद जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। घर और दफ्तर के बाद पहले की तरह डेट पर जाना पति-पत्नी के लिए मुमकिन नहीं। इसका मतलब ये कतई नहीं कि आप एक-दूसरे से प्यार नहीं करते। हां, कोई बड़ी बात हो तो सेलिब्रेट ज़रूर करें, कभी कभार कैंडल नाइट डिनर और ट्रिप के लुत्फ भी उठाएं, लेकिन इससे फिक्स शेड्यूल बनाकर न पालन करें। वर्ना डेट पर जाना और ड्यूटी पर जाने में कोई खास फर्क नहीं रह जाएगा।

Rule 5. हर किसी के लिए उपरवाले ने ‘सोलमेट’ तय कर रखा है
अब ये एक ‘फर्जी’ कॉन्सेप्ट है। सोलमेट वाली थ्योरी के अनुसार, ऊपरवाले ने हर किसी के लिए एक खास शख्स को बनाया है। जबतक वो आपको नहीं मिलता, आपकी ज़िंदगी अधूरी है। फिल्म ‘दिल तो पागल है’ इसी ‘गंभीर’ मुद्दे पर बनाई  गई थी। यानी, अगर हर किसी के लिए सोलमेट बना है, तो इस हिसाब से अरेंज मैरेज वालों की ज़िंदगी तो हमेशा अधूरी रहती होगी और लव मैरेज करने वालों का रिश्ता तो अटूट होता होगा! या फिर अरेंज मैरेज करने वालों को बैठे बिठाए उनके सोलमेट मिल जाते हैं लेकिन लव मैरेज करने वाले खुद सोलमेट ढूंढ़ते हैं!

इसी तर्ज पर दलील देने वाले ये भी कहते हैं कि ‘जोड़ियां ऊपरवाला बनाता है’। अब ऊपर बैठा भगवान तो हर काम परफेक्ट करता है, उससे कोई गलतियां नहीं होती। तो जब जोड़ियां ऊपरवाला बनाता है तो शादीशुदा जोड़े के बीच तलाक, विवाहेतर संबंध जैसी परेशानियां कहां से आ जाती हैं। भगवान कैसे जोड़ी बनाने में गलती कर सकते हैं?

कुल मिलाकर, बात इतनी सी है कि लव मैरेज हो या अरेंज उसकी सफलता इस बात पर कतई निर्भर नहीं करती कि सामने वाला आपका ‘तथाकथित’ सोलमेट है या नहीं, बल्कि इस बात पर करती है कि आप सामने वाले के साथ ताल-मेल कितना बैठा पाते हैं। इसलिए जो साथ है उसे अपनाएं। वर्ना फिर, जिंदगी बीत जाएगी अपने उस सोलमेट को ढूंढ़ने में

सारे नियम तोड़ दो…नियम पे चलना छोड़ दो!

E-Paper

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com