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उपाध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने साधा एक तीर से दो निशाने

imranश्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ। कांग्रेस से सपा और फिर सपा से कांग्रेस में आये इमरान मसूद को कांग्रेस ने उपाध्यक्ष बनाकर एक तीर से दो निशाने साधे है। एक तरफ तो उसने इमरान मसूद को पांच माह पहले हुए उपचुनाव में देवबंद सीट जितवाने का तोहफा दिया है तो दूसरी तरफ यूपी विधानसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वोटों का धु्रवीकरण करने की भी एक बड़ी रणनीति है। हाल ही में कांग्रेस उपाध्यक्ष इमरान मसूद ने देवबंद में हुए उपचुनाव में माविय अली ने चुनाव जीत कर कांग्रेस को अगले विधानसभा चुनाव के लिए ताकत देने का काम किया। यह उपचुनाव कहने को तो माविय अली जीते थें लेकिन इसके पीछे सारी ताकत इमरान मसूद की ही थी। जबकि यहां से पूर्व में सपा सरकार में मंत्री राजेन्द्र सिंह राणा जीते थें। इस चुनाव में सहानुभूति बटोरने के लिए सपा ने स्व राणा की पत्नी को चुनाव मैदान में उतारा था लेकिन वह चुनाव हार गयी। जहां तक इमराम मसूद के पीछे विवादों की बात है तो वह कई बार विवादों में आ चुके है। इमरान मसूद सुर्खियों में पहली बार तब आये जब 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले एक सीडी जारी हुई जिसमें उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी के खिलाफ विवादित बयान दिया था। इसको लेकर वह 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भी रहे। न्यूज चैनलों पर इमरान मसूद का वह बयान दिखाए जाने पर इमरान के खिलाफ सहारनपुर के देवबंद थाने में कई धाराओं में मुकदमा भी दर्ज हुआ था। हालांकि मसूद और उनकी पार्टी का कहना था कि उनका ये वीडियो एक साल पहले दिसंबर महीने का है, जब वो समाजवादी पार्टी में थे।इसके पहले इसी साल इमरान मसूद पर सहारनपुर में 26 जुलाई को हुए सांप्रदायिक दंगे भड़काने के भी आरोप लगे थे। तब कुतुबशेर थाना क्षेत्र में पूर्व विधायक इमरान मसूद पर आरोप लगा था कि उन्होंने सांप्रदायिक दंगा कराने के लिए एक वर्ग विशेष को लोगों को भड़काने का काम किया। इमरान मसूद और विवादों का चोली दामन का साथ रहा है। उन्होंने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरूआत चाचा व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता रशीद मसूद का हाथ थाम कर किया। फिर अपने ही चाचा के खिलाफ बिगुल फूंक दिया. कांग्रेस छोड़ समाजवादी पार्टी का दामन थामा तो कांग्रेसी चाचा राशिद मसूद ने इमरान का पत्ता काटने के लिए अपने बेटे शाजान को सपा का टिकट दिलवा दिया। आखिरकार, जिस कांग्रेस को छोड़ इमरान सपा में आए थे। उसी कांग्रेस ने ना सिर्फ दोबारा शरण दी बल्कि लोकसभा चुनाव का टिकट भी दे दिया।

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