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अधिकारीयों की खुली पोल, बिना किताबों के ही हो रही विद्यालयों में पढ़ाई 

लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय छात्र छात्राओं कों बेसिक शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण नये शैक्षिक सत्र के तीन माह गुजर जाने के बाद भी किताबें नही मिल सकी है। बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीणमणि त्रिपाठी का कहना है कि अभी प्रकाशक ने केवल कक्षा एक की एक किताबें ही उपलब्ध करायी है। सूत्रों के मुताबिक ऐसे ही हालात रहने पर अगले माह भी किताबों का छात्रों तक पहुचना मुश्किल है। अगस्त माह में टेस्ट भी बिना किताबों के गुरुजन निपटायेगें। छात्रों को बिना किताबों के ही पढ़ाई करनी पड़ रही है। विभागीय अधिकारीयों के अुनसार फिलहाल एक माह का समय किताबें वितरित होने में और लगने की सभावना है। वही सरकारी तंत्र की विफलता के कारण किताबों का समय पर बंट पाना बीते कई शैक्षिक सत्रों से मुमकिन नही हो सका है पर जि मेदारान बेफ्रि क हो कर बैठे है। प्रापत जानकारी के अनुसार बेसिक शिक्षा विभाग के द्धारा सर्व शिक्षा अभियान के तहत परिषदीय स्कूलों ,प्रदेश सरकार के बेसिक तथा माध्यमिक शिक्षा विभाग द्धारा सहायता प्रापत विधालयों के कक्षा एक से आठ तक के छात्र छात्राओं कों नि:शुल्क किताबों का वितरण किया जाता है। सरकारी स्तर से वितरित किये जाने के लिये किताबों की

छपायी को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारीयों के द्धारा बेहद गैर जि मेदाराना रवैया अपनाया जाता है। सूत्रों के अनुसार बेसिक शिक्षा विभाग के द्धारा अप्रैल से शुरु होने वाले शैक्षिक सत्र के बाद तीन माह बीत चुके है। अभी तक किसी भी कक्षा की किताबों को प्रदान नही कर सका है। हर वर्ष बेसिक शिक्षा विभाग छात्रों को किताबें अगस्त सित बर तक ही दे पाता है। कमोवेश इस वर्ष भी शैक्षिक सत्र कों शुरु हुये तीन माह का समय पूरा होने वाला है। कई जनपदों में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारीयों की लापरवाही के चलते किताबों की छपायी का काम अभी प्रारभिंक दौर तक नही पहुचं सका है। सूत्र बताते है कि किताबों की छपायी का काम प्रकाशकों को आवंटित करने के बाद भी कम से कम एक माह का समय छपायी में लग जाता है। फि र सत्यापन वितरण आदि में भी समय लगता है। ऐसे हालात में किताबों की छपायी के काम की सुस्त रफ्तार को देखकर छात्रों तक किताबों के पहुंचनें में सित बर तक का समय लग जाये तो भी कोई बडी मियाद नही होगी। विद्यालयों में पढ़ाई के नाम पर रस्मोअदायगी कर शिक्षक काम चला रहे है।

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