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अब पासपोर्ट में माता-पिता दोनों का नाम जरूरी नहीं

rrrनई दिल्ली। विदेश मंत्रालय ने पासपोर्ट बनवाने के नियमों को और आसान कर दिया है। अब पासपोर्ट में माता-पिता दोनों का नाम जरूरी नहीं होगा।

साथ ही जन्मतिथि के लिए अब बर्थ सर्टिफिकेट की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है।

अब तक नियम था कि 1989 के बाद पैदा हुए लोगों को पासपोर्ट बनवाने के लिए बर्थ सर्टिफिकेट देना जरूरी होगा लेकिन अब इसमें बदलाव कर दिया गया है।

अब जन्मतिथि के प्रूफ के तौर पर बर्थ सर्टिफिकेट के अलावा स्कूल का ट्रांसफर सर्टिफिकेट या किसी एजुकेशन बोर्ड से जारी किया गया हाईस्कूल का सर्टिफिकेट दिया जा सकता है।

इनकम टैक्स विभाग की ओर से जारी किया गया पैन कार्ड भी दिया जा सकता है। इसमें आवेदन करने वाले की जन्मतिथि होना जरूरी है।

बर्थ सर्टिफिकेट के तौर पर आधार कार्ड भी दिया जा सकता है। इसमें जन्मतिथि होनी चाहिए। ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता पहचान पत्र और जीवन बीमा कंपनी की ओर से जारी किया गया पॉलिसी बॉन्ड भी दिया जा सकता है।
इंटर मिनिस्टीरियल कमेटी की रिपोर्ट

पासपोर्ट से जुड़ी तमाम समस्याओं को निपटाने के लिए विदेश मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधिकारियों की एक कमेटी बनाई जाएगी। इसमें 3 सदस्य होंगे। यह कमेटी माता-पिता के नाम और सिंगल पैरेंट वाले बच्चों के मामलों को देखेगी।

इसके तहत ये नियम लागू होंगे। ऑनलाइन पासपोर्ट एप्लीकेशन फॉर्म में अब माता या पिता या फिर कानूनी अभिभावक के नाम में से किसी एक का नाम देना होगा। इससे सिंगल पैरेंट्स के बच्चों को पासपोर्ट जारी करने में आसानी होगी। आवेदनकर्ता की रिक्वेस्ट के आधार पर नाम प्रिंट किया जाएगा।

पासपोर्ट रूल 1980 के 15 बिंदुओं को छोटा करके अब 9 कर दिया गया है। कुछ नियम हटा दिए गए हैं या किसी दूसरे में शामिल कर दिए गए हैं। आवेदन के लिए जो भी चीजें जरूरी होंगी वे सेल्फ डिक्लेरेशन के आधार पर सादे कागज में लिखकर दी जाएंगी। किसी तरह की अटेस्टेड, नोटरी या स्टांप की जरूरत नहीं होगी।

शादीशुदा कपल को मैरिज सर्टिफिकेट देना जरूरी नहीं होगा। तलाक या अलग होने की स्थिति में पासपोर्ट एप्लीकेशन में अब पति-पत्नी का नाम देना जरूरी नहीं होगा। इसके लिए तलाकनामे की जरूरत भी नहीं होगी।

बच्चों के पासपोर्ट को लेकर भी कुछ नियम
अनाथालय में रहने वाले बच्चे जिनके पास जन्मतिथि का कोई प्रमाण नहीं हो या हाईस्कूल का सर्टिफिकेट ना हो, वे अनाथालय के प्रमुख की ओर से एक शपथ पत्र जमा कर सकते हैं। गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए आवेदनकर्ता तभी पासपोर्ट का आवेदन किया जा सकता है जब वे अपने लिए आवेदन कर रहे हैं।

बच्चा गोद लेने के मामले में अब इसका सर्टिफिकेट देना जरूरी नहीं होगा। सादे कागज पर भी इसका शपथ पत्र दिया जा सकता है। जो सरकारी कर्मचारी अपने विभाग से पहचान पत्र और एनओसी लेने में असमर्थ हों और अर्जेंस बेसिस पर पासपोर्ट की जरूरत हो वे पासपोर्ट अथॉरिटी में सादे कागज में घोषणा पत्र देकर पासपोर्ट के लिए आवेदन कर सकेंगे।

इसमें उन्हें यह बताना होगा कि उन्होंने अपने ऑफिस को इसकी जानकारी दे दी है। साधु-सन्यासियों को पासपोर्ट में अपने धर्मगुरु का नाम माता-पिता के नाम की जगह देना होगा। साथ ही एक सरकारी पहचान पत्र जैसे वोटर आईडी कार्ड, पैन कार्ड या आधार कार्ड देना होगा, जिसमें उनके गुरु का नाम लिखा हो।

जल्द प्रकाशित होगा सरकारी आदेश
इस संबंध में जल्द ही सरकार की ओर से विज्ञापन प्रकाशित कराए जाएंगे। जिसमें नए नियमों की जानकारी होगी। विदेश मंत्रालय ने पासपोर्ट के नियमों को आसान बनाने के साथ इस बात की भी उम्मीद जताई है कि आवेदनकर्ता को समय पर पासपोर्ट मिल जाए और इस काम में पूरी तरह पारदर्शिता बरती जाए।

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