Wednesday , April 24 2024

आज भीमा कोरेगांव मामले में होगी अहम सुनवाई, पुणे पुलिस पेश करेगी अहम सबूत

भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े पांच एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी मामले में सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ पांच एक्टिविस्टों के खिलाफ पुणे पुलिस की ओर से जुटाए गए सबूतों को परखेगी. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि पुणे पुलिस की ओर से जुटाए गए सबूत प्रयाप्त नहीं होने की स्थिति में मामले की जांच SIT को सौंपी जा सकती है.

कोर्ट में दिया गया इन तथ्यों का हवाला
कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील को 45 मिनट और बचाव पक्ष के वकील को 15 मिनट में दलीलें पूरी करने को कहा था. दरअसल, महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश ASG तुषार मेहता ने फिर याचिका का विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि ये याचिका ऐसे लोगों ने डाली है, जिनका केस से कोई सरोकार नहीं और न ही उन्हें केस के बारे में पता है,इस पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए. यह केवल सरकार के खिलाफ अलग विचार रखने कामामला नहीं है, इन्हें इस वजह से कतई गिरफ्तार नहीं किया गया है. इनके पास से आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई है. इनके खिलाफ ठोस सबूत भी मिले हैं, जांच के बाद इन्हें गिरफ्तार किया गया है और इनसे देश की शांति को खतरा है.  

ASG ने सुप्रीम कोर्ट में किया याचिका का विरोध
याचिकाकर्ताओं के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से कहा कि मामले की SIT या कोर्ट की निगरानी में जांच होना चाहिए. इधर, केंद्र सरकार की ओर से पेश ASG मनिंदर सिंह ने भी याचिका का विरोध किया. केंद्र ने कहा कि इस याचिका पर सुनवाई के कोई कानूनी आधार ही नहीं है. ASG मनिंदरसिंह ने कहा कि नक्सलवाद की समस्या चारों ओर तेजी से फैल रही है. इसमें इनका योगदान रहा है. ASG ने याचिकाकर्ताओं की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि वे सीधे सुप्रीम कोर्ट ही क्यों आ गए, जबकि उनके पास, निचली अदालत, हाई कोर्ट और कई कानूनी रास्ते थे. याचिकाकर्ता के वकील सिंघवी ने कहा कि हम केवल मामले की स्वतंत्र जांच चाहते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ऐसा आदेश दे सकता है, इसलिए हम सीधे सुप्रीम कोर्ट आए हैं,कुछ केस में सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी स्वतंत्र जांच का आदेश अपनी निगरानी में रखा है और हम भी वही चाहते है. सिंघवी ने कहा कि कुछ ऐसी रिपोर्ट आ रही हैं कि यह केस प्रधानमंत्री की हत्या के षड़यंत्र का है. जबकि FIR में इसका कोई जिक्र नहीं है. अगर मामला उक्त गंभीर आरोप से संबंधित है तो इस मामले में CBI या NIA द्वारा जांच क्यों नहीं कराई जाए? 

पांच एक्टिविस्ट की हुई थी गिरफ्तारी
आपको बता दें कि भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच कर रही पुणे पुलिस ने मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद औऱ रांची में एक साथ छपेमारी कर घन्टो तलाशी ली थी औऱ फिर 5 लोगों को गिरफ्तार किया था. पुणे पुलिस के मुताबिक सभी पर प्रतिबंधित माओवादी संगठन से लिंक होने का आरोप है. जबकिमानवाधिकार कार्यकर्ता इसे सरकार के विरोध में उठने वाली आवाज को दबाने की दमनकारी कार्रवाई बता रहे हैं. रांची से फादर स्टेन स्वामी, हैदराबाद से वामपंथी विचारक और कवि वरवरा राव,फरीदाबाद से सुधा भारद्धाज और दिल्ली से सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलाख की भी गिरफ्तारी भी हुई है.

E-Paper

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com