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इनकम टैक्स कानून में बदलाव बना मुसीबत, टैक्स चोरों की उड़ी नींद

इनकम टैक्स के छापे तो पहले भी अचानक से लगते रहे हैं, लेकिन क्या हो जब आईटी की रेड महज संदेह के आधार पर लगने लगे? ना सवाल ना जवाब, हो केवल कार्रवाई. मोदी सरकार ने इनकम टैक्‍स कानून में कुछ इसी तरह का बदलाव किया है और टैक्‍स ऑफिसर्स को अधिकार भी ऐसे ही दिए हैं.  वित्त विधेयक 2017 में आयकर अधिनियम में ये अहम संशोधन प्रस्तावित किया है. कालेधन, बेनामी संपत्ति आय से अधिक संपत्ति के खिलाफ अभियान चला रही सरकार का टैक्स चोरों पर यह सीधा हमला है. हालांकि जानकार इसे इंस्पेंक्टर राज की वापसी तक मान रहे हैं.

दरअसल, बजट में आयकर कानून की धारा 132 और 153ए/सी में संशोधन कर टैक्स अफसरों के अधिकार बढ़ाए गए हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्त विधेयक 2017 के अंतर्गत टैक्स अधिकारियों, जांचकर्ताओं की जांच, खोज और जब्ती का दायरा बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है.

अहम बात यह है कि सरकार का यह फैसला मिनिमन गवर्मेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस यानी की न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन के वादे को तोड़ता दिखाई देता है.  यह प्रस्ताव विकास के एजेंडे में कारोबारी माहौल बनाने, उसमें पारदर्शिता सुगमता लाने के वादों को भी झटका है.

ये हैं संशोधन, ऐसे बढ़ेगी मुसीबतें

यह 1 अप्रैल 1962 से पूर्वव्यापी तौर पर प्रभावी होगा. इसमें इनकम टैक्स ऑफिसर को छापे मारने की वजह बताने की जरूर नहीं होगी और ना यह बताना   होगा कि यह इन्वेस्टिगेशन और सील का ऑपरेशन क्यों चलाया गया.

 यदि किसी के पास 50 लाख रुपए की विवादित प्रॉपर्टी मिलती है, तो अधिकारी 10 साल पीछे तक की जांच कर पाएंगे. पहले जांच का दायरा केवल छह साल ही था.

 अधिकारी 6 साल के लिए किसी भी प्रॉपर्टी को सीज कर सकेंगे. हालांकि परमिशन लगेगी.

 प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू के लिए ऑफिसर्स मूल्यांकन अधिकारियों की मदद ले पाएंगे.

अधिकारियों को किसी व्यक्ति का नाम सार्वजनिक करने की इजाजत नहीं होगी.

 संदेह के आधार पर ही अधिकारी संस्था अथवा व्‍यक्‍ति के खिलाफ जांच कर सकेंगे.

 अहम बात यह है कि बिल में अब जांच के दायरे में व्‍यक्‍ति ही नहीं बल्कि धर्मादा संस्‍थाएं भी आएंगी.

 अधिकारियों को ज्‍यादा अधिकार और जांचकर्ताओं को ज्‍यादा शक्‍तियां मिली हैं. उन्‍हें अपने से चार रैंक सीनियर ऑफिसर्स के अधिकार दिए गए हैं.

पहले सर्च एंड सीजर के आदेश देने का अधिकार प्रिंसिपल कमिश्नर के पास थे लेकन अब यह जूनियर अधिकारी कर सकते हैं.

2014 से लेकर दिसंबर 2016 तक आयकर विभाग छापों की संख्या

*कुल छापे- 1838

*जब्त बेनामी संपत्ति- 2607 करोड़ रुपए

*अज्ञात या गुप्त आय- 33 211 करोड़ रुपए

*सर्वे – 14472

*चलाए गए अभियोग – 1751

*दर्ज किए गए मामले – 2549

*अपराधी – 75

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