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गड़े मुर्दे उखाड़ना कोई प्रधानमंत्री मोदी से सीखे

अशोक पाण्डेय

विधानसभा चुनावों की रैलियों के दौरान उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में मोदी ने इतिहास के न जाने कितने ऐसे पन्ने उलट दिए जिन पर धूल पड़े या मकड़ी का जाला लगे सालों बीत गए थे। कोई पढ़ीस भी धूल भरी ऐसी किताबों को झाड़-पोछकर पढ़ना नहीं चाहेगा जैसा प्रधानमंत्री ने पढ़कर और अवाम को सुनाकर बता दिया। और यह अनायास नहीं है। यह बाबा विश्वनाथ का प्रताप है या मोदी पर उनका प्रभाव।

गौरतलब है कि गड़े मुर्दे उखाड़ने का भारतीय दर्शन में बड़ा गहरा प्रभाव है। गड़े मुर्दे उखाड़ने की प्राचीन परंपरा और संस्कृति है। तंत्र साधना के उपासकों को गड़े मुर्दे उखाड़ने की जरूरत पड़ती है और मोदी तंत्र साधना की उसी पावन भूमि के भारतीय संसद में प्रतिनिधि हैं। सब जानते हैं कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बंगाल और असम तांत्रिकों के गढ़ रहे हैं। काशी, कामाख्या, तारापीठ, अष्टभुजा और महाकाल में अनवरत तांत्रिक अनुष्ठान होते रहते हैं। मोदी का चुनाव क्षेत्र काशी है। इस नाते काशी की तंत्र साधना का उन पर प्रभाव न पड़े, यह कैसे हो सकता है।

अपनी चुनावी सभाओं में प्रधानमंत्री ने कई जगह गड़े मुर्दे उखाड़ने के बाद वहां की नम भूमि में कमल खिलाने की पुरजोर सफल कोशिश की। 12 फरवरी को देवभूमि उत्तराखंड की चुनावी जनसभाओं में उन्होंने रामपुर तिराहे का गड़ा मुर्दा उखाड़कर जनमानस को भाव विह्वल कर दिया था। बुधवार को उत्तर प्रदेश में संयोगिता के सौंदर्य और सुगंध की नगरी कन्नौज में एक ऐसा गड़ा मुर्दा उखाड़ दिया जिससे उत्तर प्रदेश की जनता तो क्या, राज्य के कई राजनीतिक धुरंधर भी अपरिचित थे।

प्रधानमंत्री ने रहस्योद्घाटन करते हुए कहा कि 4 मार्च, 1984 को मुलायम ने जब लोहिया के आदर्शों को लेकर कांग्रेस के खिलाफ संघर्ष का बिगुल फूंका था तब कांग्रेस ने आजिज आकर मुलायम पर गोलियां चलवा दी थीं। मुलायम की जान बच गई थी और उनके समर्थन में लोकतांत्रिक मोर्चा सामने आया था। उस समय दो राजनीतिक दिग्गज अटल बिहारी वाजपेयी और चौधरी चरण सिंह मुलायम की ढाल बने थे। दिल्ली में एक बड़ा आंदोलन छेड़ा गया था। 28 मार्च, 1984 को दिल्ली में एक बड़ी विरोध रैली हुई थी, जिससे इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार की चूलें हिल गई थीं।

यह किस्सा सुनाकर प्रधानमंत्री ने जुमला बोला और अखिलेश पर तंज कसा कि मुलायम की हत्या की कोशिश करने वाली उसी कांग्रेस की गोदी में आज अखिलेश बैठ गए हैं। वैसे प्रधानमंत्री द्वारा यह गड़ा मुर्दा उखाड़ने के सच को कुछ लोग पचा नहीं पा रहे हैं लेकिन नकार भी नहीं पा रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि प्रधानमंत्री जैसे जिम्मेदार पद पर बैठा व्यक्ति झूठ तो नहीं बोलेगा। यही मोदी की खूबी है कि सुनने वाले को अपने से सहमत कर लेते हैं और इसी दम पर वह यूपी में बहुमत को आश्वस्त हैं।

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