Saturday , April 20 2024
नैनीताल हाई कोर्ट ने भले ही कठोर रुख अख्तियार करते हुए गाड़ी चलाते समय मोबाइल पर बात करने को गंभीरता से लेते हुए लाइसेंस रद करने का आदेश दिया है। लेकिन, हकीकत यह है कि यातायात नियमों का पालन कराना आसान नहीं है। आंकड़े इस हकीकत की पुष्टि भी करते हैं। दरअसल, पिछले वर्ष जहां यातायात नियमों की अनदेखी के चलते 1.19 लाख चालान हुए, वहीं इस साल बीते पांच माह में 26767 चालान हो चुके हैं। सफर को सुरक्षित और सुखद बनाने के उद्देश्य से बनाए गए यातायात नियमों के प्रति लापरवाही अक्सर मौत का कारण बन जाती है। बावजूद इसके नियमों के अनुपालन के प्रति संवेदनशीलता नहीं बढ़ रही है। दून शहर की बात करें तो यहां हालात सूबे के किसी भी अन्य शहर से अधिक चुनौतीपूर्ण होते जा रहे हैं। यहां सीपीयू और ट्रैफिक पुलिस की लगातार कार्रवाई के बावजूद यातायात नियम की धज्जियां उड़ रही हैं। पिछले पांच महीनों के दौरान हुई कार्रवाई पर नजर डालें तो पता चलता है कि मोबाइल पर बात करते समय गाड़ी चलाने वाले सवा पांच हजार से अधिक लोगों के चालान हो चुके हैं। वहीं हेलमेट की बात करें तो अकेले चलने वाले मोटरसाइकिल सवार को भी हेलमेट बोझ लगता है। अधिकांश तो हेलमेट सिर पर तब रखते हैं, जब सामने उन्हें कोई पुलिसवाला दिख जाता है।

ट्रैफिक नियमों के प्रति लापरवाही पड़ रही है भारी

नैनीताल हाई कोर्ट ने भले ही कठोर रुख अख्तियार करते हुए गाड़ी चलाते समय मोबाइल पर बात करने को गंभीरता से लेते हुए लाइसेंस रद करने का आदेश दिया है। लेकिन, हकीकत यह है कि यातायात नियमों का पालन कराना आसान नहीं है। आंकड़े इस हकीकत की पुष्टि भी करते हैं। दरअसल, पिछले वर्ष जहां यातायात नियमों की अनदेखी के चलते 1.19 लाख चालान हुए, वहीं इस साल बीते पांच माह में 26767 चालान हो चुके हैं।नैनीताल हाई कोर्ट ने भले ही कठोर रुख अख्तियार करते हुए गाड़ी चलाते समय मोबाइल पर बात करने को गंभीरता से लेते हुए लाइसेंस रद करने का आदेश दिया है। लेकिन, हकीकत यह है कि यातायात नियमों का पालन कराना आसान नहीं है। आंकड़े इस हकीकत की पुष्टि भी करते हैं। दरअसल, पिछले वर्ष जहां यातायात नियमों की अनदेखी के चलते 1.19 लाख चालान हुए, वहीं इस साल बीते पांच माह में 26767 चालान हो चुके हैं।  सफर को सुरक्षित और सुखद बनाने के उद्देश्य से बनाए गए यातायात नियमों के प्रति लापरवाही अक्सर मौत का कारण बन जाती है। बावजूद इसके नियमों के अनुपालन के प्रति संवेदनशीलता नहीं बढ़ रही है। दून शहर की बात करें तो यहां हालात सूबे के किसी भी अन्य शहर से अधिक चुनौतीपूर्ण होते जा रहे हैं। यहां सीपीयू और ट्रैफिक पुलिस की लगातार कार्रवाई के बावजूद यातायात नियम की धज्जियां उड़ रही हैं। पिछले पांच महीनों के दौरान हुई कार्रवाई पर नजर डालें तो पता चलता है कि मोबाइल पर बात करते समय गाड़ी चलाने वाले सवा पांच हजार से अधिक लोगों के चालान हो चुके हैं। वहीं हेलमेट की बात करें तो अकेले चलने वाले मोटरसाइकिल सवार को भी हेलमेट बोझ लगता है। अधिकांश तो हेलमेट सिर पर तब रखते हैं, जब सामने उन्हें कोई पुलिसवाला दिख जाता है।

सफर को सुरक्षित और सुखद बनाने के उद्देश्य से बनाए गए यातायात नियमों के प्रति लापरवाही अक्सर मौत का कारण बन जाती है। बावजूद इसके नियमों के अनुपालन के प्रति संवेदनशीलता नहीं बढ़ रही है। दून शहर की बात करें तो यहां हालात सूबे के किसी भी अन्य शहर से अधिक चुनौतीपूर्ण होते जा रहे हैं। यहां सीपीयू और ट्रैफिक पुलिस की लगातार कार्रवाई के बावजूद यातायात नियम की धज्जियां उड़ रही हैं। पिछले पांच महीनों के दौरान हुई कार्रवाई पर नजर डालें तो पता चलता है कि मोबाइल पर बात करते समय गाड़ी चलाने वाले सवा पांच हजार से अधिक लोगों के चालान हो चुके हैं। वहीं हेलमेट की बात करें तो अकेले चलने वाले मोटरसाइकिल सवार को भी हेलमेट बोझ लगता है। अधिकांश तो हेलमेट सिर पर तब रखते हैं, जब सामने उन्हें कोई पुलिसवाला दिख जाता है।

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