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नाश्ता तय करता है आपका दिन भर का मूड

क्या आप सुबह भरपूर नाश्ता लेते हैं। यदि नहीं तो निश्चित मानिए कि अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। पुराने समय में गांवों में सुबह भर पेट कलेवा यानी नाश्ता करने की अवधारणा को अब वैज्ञानिक भी सही मानने लगे हैं और उनका कहना है कि यदि नाश्ता ठीक से नहीं किया जाए तो शरीर में कई तरह की विकृतियां पैदा हो सकती हैं। और तो और नाश्ता किसी भी व्यक्ति के दिन भर का मिजाज और व्यवहार भी तय करता है।

नाश्ता नहीं करना हो सकता है घातक

मुंबई के एसएनडीटी विश्वविद्यालय में खाद्य विज्ञान एवं पोषण के प्रोफेसर रामास्वामी और के मिस्त्री ने अपने ताजा निष्कर्ष में यह खुलासा किया। उनका कहना है कि सुबह भर पेट अच्छा नाश्ता करने से शरीर की कई जरूरतें पूरी होती हैं। नाश्ता नहीं करने की प्रवृत्ति काफी घातक है क्योंकि बाद में कितना भी अच्छा भोजन ग्रहण क्यों न किया जाए, सुबह के नाश्ते से शरीर को जो आवश्यक विटामिन, कार्बोहाइड्रेट, लौह तत्व और प्रोटीन मिलता है, उसकी कमी को न तो लंच और न डिनर पूरा कर सकता है। उन्होंने बताया कि भारत में 60 प्रतिशत आबादी शाकाहारी है लेकिन परेशानी की बात यह है कि अधिकतर लोगों के सुबह के नाश्ते में  लौह तत्व पर्याप्त नहीं होता जो शरीर के विकास के लिए अनिवार्य तत्व है।

दिनभर के लिए मिलती है ऊर्जा

उन्होंने कहा कि सुबह का नाश्ता दिन का सबसे महत्वपूर्ण भोजन है। इसके जरिए लौह और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों की दिन भर की 25 प्रतिशत पूर्ति होती है। विशेषज्ञों ने बताया कि नाश्ते से बच्चों, वयस्कों और बुजुर्गो की प्रतिरोधक क्षमता में सुधार आता है। व्यक्ति दिन भर सक्रिय बना रहता है और उसके शरीर में विशेष तौर पर लौह तत्व की मात्रा में काफी उल्लेखनीय सुधार होता है। सुबह का नाश्ता गोल करने से व्यक्ति के व्यवहार पर खासा असर पड़ता है। उन्होंने बताया कि नाश्ते में मिक्स्ड वेज, पोहा, कार्नफ्लेक्स, रोटी दाल, चावल, मेथी भाजी, पालक भाजी ,सब्जी ,उपमा, आलू पराठा और दही  इडली सांभर, बे्रड आमलेट, ब्रेड बटर आदि खाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि मोटे अनाज से 7.4 मिग्रा, पोहा से 6.7 मिग्रा, आलू पराठा और दही से 2. 4 मिलीग्राम लौह तत्व मिलता है।

रामास्वामी और मिस्त्री के मुताबिक लौह तत्व की कमी से होने वाली बीमारी एनीमिया की चपेट में शहरी आबादी का बड़ा हिस्सा आ चुका है और अब यह बीमारी मध्यम वर्ग के साथ साथ उच्च वर्ग को भी सताने लगी है। सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं बच्चे, महिलाएं और किशोरियां। भारतीय जो खाना खाते हैं उनमें लौह तत्व पर्याप्त मात्रा नहीं होता। उनका कहना है कि  दोपहर और रात के भोजन में भले ही लौह तत्व वाले खाद्य पदार्थ क्यों न हों लेकिन सुबह के नाश्ते में यदि पर्याप्त पोषण वाला भोजन ले लिया जाए तो दिन भर किसी तरह की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।

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