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पूर्व अटॉर्नी का आरोप, ‘ट्रंप से फोन पर बात नहीं की, अगले दिन हुआ बर्खास्त’

वॉशिंगटन । न्यूयॉर्क के अटॉर्नी प्रीत भरारा को जब इस साल मार्च में एकाएक बर्खास्त कर दिया, तब इसे लेकर कई अटकलें लगाई गईं थीं। अब खुद प्रीत ने अपनी बर्खास्तगी से जुड़ा एक बयान दिया है।

प्रीत का कहना है कि राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने उन्हें फोन किया था, लेकिन प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए उन्होंने ट्रंप से बात नहीं की।

ABC न्यूज के रविवार को प्रसारित ‘दिस वीक’ कार्यक्रम में बात करते हुए प्रीत ने दावा किया है कि ट्रंप से फोन पर बात नहीं करना उन्हें बर्खास्त किए जाने का एक अहम कारण हो सकता है। भारतीय मूल के प्रीतिंदर सिंह ‘प्रीत’ भरारा एक जाने-माने वकील हैं। वह साल 2009 में न्यू यॉर्क के दक्षिणी जिले से अटॉर्नी नियुक्त किए गए थे।

भरारा का कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा सीधे-सीधे उन्हें फोन किया जाना प्रोटोकॉल के हिसाब से सही नहीं था। भरारा ने इसी पक्ष को ध्यान में रखते हुए 9 मार्च को ट्रंप के फोन के बारे में अटॉर्नी जनरल जेफ सेशन्स को जानकारी दी। भरारा के मुताबिक, ’24 घंटे बाद मुझे बर्खास्त कर दिया गया।’

भरारा का यह बयान FBI के पूर्व निदेशक जेम्स कॉमी के उस बयान से मेल खाता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ट्रंप ने कई दफा खुद उन्हें फोन किया। पिछले हफ्ते अमेरिकी संसद की एक समिति के सामने दिए गए अपने बयान में कॉमी ने कहा कि ओबामा प्रशासन के जाने और नई सरकार के आने के समय से लेकर पिछले महीने उन्हें बर्खास्त किए जाने तक, ट्रंप ने उन्हें कई बार फोन किया।

कॉमी जब समिति के सामने अपना बयान दे रहे थे, उस समय भरारा भी वहां मौजूद थे। भरारा ने बाद में ABC न्यूज से बात करते हुए कहा, ‘बिना अटॉर्नी जनरल की मौजूदगी के, बिना किसी चेतावनी, मेरे और राष्ट्रपति के बीच या फिर अमेरिका के किसी भी अन्य अटॉर्नी की राष्ट्रपति के साथ सीधे-सीधे बातचीत बेहद अजीब और अनूठी सी चीज है।’

भरारा ने आगे कहा, ‘मैंने ट्रंप के फोन के बारे में अटॉर्नी जनरल को जानकारी दी। मैंने बताया कि ऐसा लग रहा था कि ट्रंप मेरे साथ कोई खास तरह का रिश्ता बनाने की कोशिश कर रहे हैं।’ भरारा की ही तरह कॉमी का भी कहना है कि ट्रंप उनके साथ एक किस्म का रिश्ता कायम करने की कोशिश कर रहे थे। भरारा के मुताबिक, दिसंबर 2016 से लेकर मार्च 2017 के बीच ट्रंप ने उन्हें 3 बार फोन किया।

भरारा ने चैनल को बताया, ‘ओबामा के राष्ट्रपति होते हुए मैं करीब साढ़े सात साल तक अटॉर्नी रहा। इस दौरान उन्होंने मुझे एक बार भी फोन नहीं किया। अमेरिकी राष्ट्रपति मुझे फोन करें, इसकी रत्तीभर भी संभावना नहीं है। ऐसा इसलिए कि राष्ट्रपति और अटॉर्नी के बीच एक-हाथ के फासले वाला संबंध होना चाहिए। यही प्रोटोकॉल है।’

कॉमी ने भी संसदीय समिति को बताया था कि 3 साल के कार्यकाल में ओबामा के साथ उनकी केवल 2 बार ही सीधी मुलाकात हुई थी। नवंबर में चुनाव जीतने के बाद ट्रंप ने भरारा के साथ मुलाकात की थी। ट्रंप ने जब कार्यभार संभाला, तब भी उन्होंने भरारा से अटॉर्नी के पद पर बने रहने को कहा। भरारा इसके लिए राजी हो गए। इसके बाद 10 मार्च को अटॉर्नी जनरल सेशन्स ने भरारा को बर्खास्त कर दिया। हालांकि नए राष्ट्रपति के कार्यभार संभालने के बाद पुराने प्रशासन के समय नियुक्त किए गए अटॉर्नियों से पद छोड़ने को कहना आम है, लेकिन इस पूरे मामले पर जेफ सेशन्स का जो रवैया था, उसके कारण उनकी काफी आलोचना भी हुई।

भरारा ने कहा, ‘मैं आजतक नहीं जान पाया कि मुझे बर्खास्त क्यों किया गया।’ भरारा ने हालांकि यह भी कहा कि ट्रंप के साथ फोन पर बात करने से इनकार करने और फिर उन्हें बर्खास्त किए जाने के फैसले का आपस में सीधा-सीधा कोई ताल्लुक है, ऐसा वह नहीं कह रहे हैं।

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