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महबूबा ने खुलेआम दी राज्‍यपाल और पुलिस को चेतावनी, ‘अब ऐसा हुआ तो…’

जम्‍मू एंड कश्‍मीर की पूर्व मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने खुलेआम राज्‍य के गवर्नर और पुलिस को चेतावनी दी है. उन्‍होंने ये चेतावनी एक आतंकी के घर पर जाकर उसकी बहन से मुलाकात के बाद दी. एक संदिग्ध आतंकवादी की बहन से मिलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने रविवार को चेताया कि अगर आतंकवादियों के परिजनों का उत्पीड़न नहीं रुका तो इसके ‘‘खतरनाक परिणाम’’ होंगे. 

इस महिला की जम्मू कश्मीर पुलिस के कर्मियों ने कथित रूप से पिटाई की थी. महबूबा ने दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले में रूबीना नाम की महिला से उसके आवास पर मुलाकात की. मुफ्ती ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘ (मैंने) पुलवामा के पातीपुरा का दौरा किया जहां रूबीना (जिसका भाई आतंकवादी है), उनके पति तथा भाई की पुलिस हिरासत में निर्दयतापूर्वक पिटाई की गई थी. गंभीर प्रकृति की चोटों के कारण वह बिस्तर से उठ नहीं पा रही हैं.’

पीडीपी की प्रमुख ने जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक से इस घटना में शामिल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की. मुफ्ती ने कहा, ‘‘(मैंने) जम्मू कश्मीर के राज्यपाल से कार्रवाई करने और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने का अनुरोध किया. अगर आतंकवादियों के परिजनों का उत्पीड़न नहीं रुकता है तो इसके ऐसे परिणाम होंगे जिससे घाटी में अलगाव और बढ़ सकता है.’

सुतली बम के आधार पर संदिग्धों को आतंकी घोषित करना अपरिपक्व : महबूबा
मुफ्ती ने शुक्रवार को कहा कि ‘‘सुतली बम के आधार पर’’ संदिग्धों को आतंकवादी घोषित करना और उन्हें आईएसआईएस से जोड़ना अपरिपक्व था. हाल ही में कई जगहों पर छापेमारी के दौरान एनआईए द्वारा 10 लोगों को गिरफ्तार किये जाने और उनसे जब्त सामग्री के संदर्भ में तंज कसते हुए उन्होंने यह बात कही.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 26 दिसंबर को आईएसआईएस से प्रेरित संदिग्ध आतंकी समूह का खुलासा करते हुए 10 लोगों को गिरफ्तार किया था. एजेंसी का कहना था कि वे दिल्ली और उत्तरी भारत के दूसरे हिस्सों में राजनेताओं और सरकारी प्रतिष्ठानों को निशाना बनाते हुए आत्मघाती हमले और बम धमाके करने की साजिश कर रहे थे. महबूबा ने इन गिरफ्तारियों को चुनाव से जोड़ते हुए कहा कि एनआईए को ‘‘पूर्व के घटनाक्रमों से सीखना चाहिए’’ जब लंबी सुनवाई के बाद आरोपियों को छोड़ना पड़ा था.

उन्होंने ट्विटर पर कहा, ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है, लेकिन संदिग्धों को सुतली बमों के अधार पर आतंकवादी घोषित करना, उन्हें खतरनाक आईएस (आईएसआईएस) से जोड़ना अपरिपक्व है। इससे उनकी और परिवार की जिंदगी पहले भी बर्बाद हो चुकी है. एनआईए को पूर्व की घटनाओं से सीखना चाहिए जिसमें दशकों बाद आरोपी बरी हो गए.’

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