Wednesday , April 24 2024

मायावती नवम्बर से शुरू करेंगी हाईटेक चुनाव प्रचार

unnamedलखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख और प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने समाजवादी पार्टी में मचे घमासान लाभ उठाने के लिए पूरा खाका तैयार कर लिया है। रणनीति के अनुसार वह दीपावली बाद नवम्बर माह से सूबे के सभी जिलों के साथ चौपाल स्तर तक हाईटेक प्रचार शुरू करेंगी।

पार्टी सूत्रों ने रविवार को बताया कि सपा में मचे घमासान का लाभ लेने और सूबे के सभी जिलों तक बसपा प्रमुख के संदेश पहुंचाने की योजना को सफल बनाने के लिए आईटी की एक बड़ी टीम काम कर रही है। इसके साथ ही सपा और भाजपा के अंसतुष्टों को भी बसपा में शामिल किया जा सकता है।
बताते दें कि 2009 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद से हुए कई राज्यों और यूपी में बसपा को शिकस्त ही हाथ लगी। इससे बसपा के मिशन को झटका लगा। इसके बाद से बसपा को जहां-जहां पार्टी में डेंट नजर आया, वहां-वहां मरम्मत का काम शुरू किया। बसपा के रणनीतिकार 2017 में होने वाले विधान सभा चुनाव को लेकर काफी आशावन्वित हैं। लेकिन विपक्षी पार्टियों में खास तौर से भाजपा ने बसपा के कई नेताओं को पार्टी में शामिल किया है , जो बसपा की रणनीति को अमलीजामा पहनाने में अहम भूमिका निभाते थे। भाजपा अपने इस मिशन के जरिए जनता को यह संदेश देने में कामयाब रही कि वह बसपा का विकल्प बन सकती है।
भाजपा की इस रणनीति पर पानी फेरने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने कई फैसले किए हैं। इसके तहत मुस्लिमों को लुभाने के लिए दलित-मुस्लिम सोशल इंजीनियरिंग पर फोकस किया है। पहली बार बसपा ने लगभग 150 सीटों पर मुस्लिमों को टिकट दिया है। इतनी संख्या में टिकट देने के पीछे बसपा की मंशा मुस्लिम समाज को यह संदेश देने की है कि असल शुभ चिंतक बसपा है, बाकी पार्टियां मात्र वोट के लिए ही ढोंग कर रही हैं।
बसपा के जोनल कोआर्डिनेटर ने कहा कि अखिलेश यादव सरकार बड़े-बड़े दावे करती है कि वह मुस्लिमों की सबसे बड़ी हितैषी पार्टी है। लेकिन बीते साढ़े चार साल के कार्यकाल में अखिलेश सरकार के दावों पर नजर डाले तो पता चलता है कि सिर्फ और सिर्फ दंगों के अतिरिक्त मुस्लिम समाज को कुछ नहीं मिला। न तो प्रशासनिक और न ही सियासी प्रतिनिधित्व मिला। सूबे में कायम जंगलराज के कारण जनता त्रस्त है। कानून का राज स्थापित करने में मात्र बसपा ही एक मात्र विकल्प है। उन्होंने बताया कि अगले माह से सपा के असली चेहरे को दिखाने के लिए बसपा मुस्लिम समाज और जनता को जागरूक करने का अभियान चलाएगी। इसमें मुस्लिम समाज की अपेक्षा और उपेक्षा पर फोकस किया जाएगा। जिसकी कमान बसपा सुप्रीमो मायावती और कद्दावर नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी के हाथों में होगी।
इसके अलावा ब्राह्मणों समाज को लुभाने के लिए सतीश चंद्र मिश्र को जिम्मेदारी दी गई है। इसके तहत उन्होंने सुरक्षित सीटों पर ब्राह्मढ़ समाज की रैलियां भी शुरू कर दी हैं। अपनी इस रणनीति को अमलीजाम पहनाने के लिए सोशल मीडिया पर भी अभियान चलाया जा रहा है। इसके साथ ही चौपाल स्तर पर बसपा प्रमुख के संदेश को पहुंचाने का काम नवम्बर माह से हाईटेक तरीके से शुरू किया जायेगा।
बसपा सूत्रों का कहना है कि सपा के लगभग एक दर्जन मंत्री और विधायक बसपा के टच में हैं। नवम्बर माह के मध्य में ये मंत्री और विधायक बसपा को ज्वाइन कर सकते हैं।

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख और प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने समाजवादी पार्टी में मचे घमासान लाभ उठाने के लिए पूरा खाका तैयार कर लिया है। रणनीति के अनुसार वह दीपावली बाद नवम्बर माह से सूबे के सभी जिलों के साथ चौपाल स्तर तक हाईटेक प्रचार शुरू करेंगी।
पार्टी सूत्रों ने रविवार को बताया कि सपा में मचे घमासान का लाभ लेने और सूबे के सभी जिलों तक बसपा प्रमुख के संदेश पहुंचाने की योजना को सफल बनाने के लिए आईटी की एक बड़ी टीम काम कर रही है। इसके साथ ही सपा और भाजपा के अंसतुष्टों को भी बसपा में शामिल किया जा सकता है।
बताते दें कि 2009 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद से हुए कई राज्यों और यूपी में बसपा को शिकस्त ही हाथ लगी। इससे बसपा के मिशन को झटका लगा। इसके बाद से बसपा को जहां-जहां पार्टी में डेंट नजर आया, वहां-वहां मरम्मत का काम शुरू किया। बसपा के रणनीतिकार 2017 में होने वाले विधान सभा चुनाव को लेकर काफी आशावन्वित हैं। लेकिन विपक्षी पार्टियों में खास तौर से भाजपा ने बसपा के कई नेताओं को पार्टी में शामिल किया है , जो बसपा की रणनीति को अमलीजामा पहनाने में अहम भूमिका निभाते थे। भाजपा अपने इस मिशन के जरिए जनता को यह संदेश देने में कामयाब रही कि वह बसपा का विकल्प बन सकती है।
भाजपा की इस रणनीति पर पानी फेरने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने कई फैसले किए हैं। इसके तहत मुस्लिमों को लुभाने के लिए दलित-मुस्लिम सोशल इंजीनियरिंग पर फोकस किया है। पहली बार बसपा ने लगभग 150 सीटों पर मुस्लिमों को टिकट दिया है। इतनी संख्या में टिकट देने के पीछे बसपा की मंशा मुस्लिम समाज को यह संदेश देने की है कि असल शुभ चिंतक बसपा है, बाकी पार्टियां मात्र वोट के लिए ही ढोंग कर रही हैं।
बसपा के जोनल कोआर्डिनेटर ने कहा कि अखिलेश यादव सरकार बड़े-बड़े दावे करती है कि वह मुस्लिमों की सबसे बड़ी हितैषी पार्टी है। लेकिन बीते साढ़े चार साल के कार्यकाल में अखिलेश सरकार के दावों पर नजर डाले तो पता चलता है कि सिर्फ और सिर्फ दंगों के अतिरिक्त मुस्लिम समाज को कुछ नहीं मिला। न तो प्रशासनिक और न ही सियासी प्रतिनिधित्व मिला। सूबे में कायम जंगलराज के कारण जनता त्रस्त है। कानून का राज स्थापित करने में मात्र बसपा ही एक मात्र विकल्प है। उन्होंने बताया कि अगले माह से सपा के असली चेहरे को दिखाने के लिए बसपा मुस्लिम समाज और जनता को जागरूक करने का अभियान चलाएगी। इसमें मुस्लिम समाज की अपेक्षा और उपेक्षा पर फोकस किया जाएगा। जिसकी कमान बसपा सुप्रीमो मायावती और कद्दावर नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी के हाथों में होगी।
इसके अलावा ब्राह्मणों समाज को लुभाने के लिए सतीश चंद्र मिश्र को जिम्मेदारी दी गई है। इसके तहत उन्होंने सुरक्षित सीटों पर ब्राह्मढ़ समाज की रैलियां भी शुरू कर दी हैं। अपनी इस रणनीति को अमलीजाम पहनाने के लिए सोशल मीडिया पर भी अभियान चलाया जा रहा है। इसके साथ ही चौपाल स्तर पर बसपा प्रमुख के संदेश को पहुंचाने का काम नवम्बर माह से हाईटेक तरीके से शुरू किया जायेगा।
बसपा सूत्रों का कहना है कि सपा के लगभग एक दर्जन मंत्री और विधायक बसपा के टच में हैं। नवम्बर माह के मध्य में ये मंत्री और विधायक बसपा को ज्वाइन कर सकते हैं।

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