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मायावती पर टिप्पणी को लेकर बिफरे बसपाई, दो बार स्थगित हुई विधानसभा

unnamed (20)भोपाल। बसपा चीफ मायावती पर उत्तरप्रदेश भाजपा के हटाए गए उपाध्यक्ष दयाशंकर की टिप्पणी का असर गुरुवार को मध्यप्रदेश विधानसभा की कार्रवाई पर भी दिखाई दिया। बसपा और कांग्रेस के विधायकों ने निंदा प्रस्ताव पर चर्चा की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया, जिसके चलते विधानसभा की कार्रवाई दो बार स्थगित करना पड़ी। मायावती के खिलाफ की गई अभद्र टिप्पणी पर गुरुवार को विधानसभा में बहुजन समाज पार्टी  और कांग्रेस विधायकों ने जमकर हंगामा किया। दोनों दलों के सदस्य गर्भगृह में आकर नारेबाजी करने लगे, जिसके चलते प्रश्नकाल का अधिकांश समय हंगामे की भेंट चढ़ गया। अध्यक्ष को विधानसभा की कार्यवाई दो बार स्थगित करना पड़ी। इस दौरान विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी नोक-झोंक भी हुई। एक बार सदन की कार्रवाई स्थगित किए जाने के बाद जब दूसरी बार सदन समवेत हुआ तो बसपा और कांग्रेस के विधायक निंदा प्रस्ताव पर सदन में चर्चा की मांग करते हुए फिर हंगामा करने लगे। सत्ता पक्ष की ओर से भी उनका तीखा विरोध शुरू हो गया, जिससे शोर-शराबा और बढ़ गया। अध्यक्ष ने सदस्यों को शांत रहने की समझाइश देते हुए उनसे बार-बार प्रश्नकाल की कार्रवाई चलने देने का अनुरोध किया, लेकिन बसपा और कांग्रेस के सदस्य मानने को तैयार नहीं थे। इसके चलते विधानसभा की कार्रवाई दोबारा स्थगित करना पड़ी। पक्ष-विपक्ष के शोर-शराबे और नारेबाजी के बीच बसपा के सत्यप्रकाश सखवार, शीला त्यागी, ऊषा चौधरी और बलवीर सिंह दंडोतिया ने विधानसभा में निंदा प्रस्ताव पर चर्चा कराकर इसे पारित कराने की मांग की। कांग्रेस विधायक भी बसपा सदस्यों के समर्थन में आगे आ गए। प्रतिपक्ष के उपनेता बाला बच्चन का कहना था कि भाजपा नेता दलितों के बारे में इस तरह की अमर्यादित टिप्पणी करते रहते हैं इसलिए यह विरोध हो रहा है। कांग्रेस के सदस्य हरदीप सिंह डंग, निशंक जैन, हर्ष यादव समेत अन्य विधायक भी गर्भगृह में आ गए।

बसपा और कांग्रेस सदस्यों द्वारा निंदा प्रस्ताव पर जोर दिए जाने पर संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि मामला न तो इस सदन से जुड़ा है और न ही मध्यप्रदेश से। ऐसे में इस मामले पर सदन में विरोध किए जाने का क्या औचित्य है। मंत्री गौरीशंकर शेजवार, लाल सिंह आर्य, बाबूलाल गौर ने भी नरोत्तम मिश्रा का समर्थन किया। बसपा विधायक शीला त्यागी ने कहा कि बात सिर्फ मायावती की नहीं, बल्कि महिलाओं और दलितों का भी अपमान है। अभद्र टिप्पणी करने वाले भाजपा नेता के खिलाफ कठोर कार्रवाई कर उसे जेल भेजा जाना चाहिए।

भाजपा-कांग्रेस में तीखी नोंक-झोंक-

कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने कहा कि भाजपा अल्पसंख्यकों का विरोध पहले से ही करती रही है पर सत्ता के मद में अब वह दलितों का भी विरोध कर रही है। जीतू पटवारी ने भाजपा पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि अब दलित महिलाएं भी आत्महत्या कर रही है। मामला महिलाओं के अपमान से जुड़ा है। इस पर संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना था कि यह मामला पुराना है, बसपा चाहती तो इस मामले को कल भी उठा सकती थी पर अब दिल्ली से फोन आने के बाद बसपा विधायक हाईकमान की नजर में अपने नंबर बढ़ाने के लिए इसे उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बसपा को यूपी चुनाव में अंडा मिला है, उसे वहां ध्यान देना चाहिए। कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस विधायक अगर इतने ही सजग हैं, तो उन्हें दिल्ली में सदन में सो रहे अपने नेता राहुल गांधी को जगाने के प्रयास करना चाहिए। नरोत्तम ने नियम-प्रक्रिया का हवाला देते हुए कहा कि इस मसले पर सदन में चर्चा नहीं कराई जा सकती।

बसपा और कांग्रेस द्वारा इस मुद्दे पर किए जा रहे विरोध का असर विधानसभा के बाहर भी दिखा। बसपा विधायक मायावती के खिलाफ की गई टिप्पणी को लेकर विरोध स्वरूप नीली टोपी पहनकर आए थे। इन विधायकों का कहना था कि जब तक सरकार इस मसले पर हमारे द्वारा पेश किए गए निंदा प्रस्ताव पर चर्चा नहीं कराती हमारा विरोध जारी रहेगा। वहीं, विधानसभा के बाहर कांग्रेस विधायकों ने भाजपा पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाते हुए जमकर नारेबाजी की। विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन के नेतृत्व में जीतू पटवारी, हरदीप सिंह डंग, निशंक जैन, तरूण भानौत आदि ने सदन के बाहर काफी देर तक नारेबाजी की। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक अजय सिंह ने कहा कि बसपा नेता मायावती के खिलाफ की गई टिप्पणी अत्यन्त दुभार्ग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हम बसपा द्वारा लाए गए निंदा प्रस्ताव का समर्थन करते हैं।

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