भू-वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के पिछले 4,200 सालों को नया नाम दिया है। अब इस अवधि को मेघालयन काल के नाम से जाना जाएगा। इसका आरंभ एक भयानक सूखे के साथ हुआ था। करीब दो सदी तक चले इस सूखे के दौरान दुनियाभर की कई सभ्यताएं नष्ट हो गई थीं।मेघालयन काल के नाम से जाने जाएंगे पृथ्वी के 4200 साल, मेघालय से प्रेरित हो दिया नाममेघालयन काल के नाम से जाने जाएंगे पृथ्वी के 4200 साल, मेघालय से प्रेरित हो दिया नाम

उल्लेखनीय है कि पृथ्वी के अस्तित्व में आने के बाद से 4.6 अरब वर्षों को विभिन्न अवधि में बांटा गया है। प्रत्येक अवधि में कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं घटी थीं। जैसे – महाद्वीपों का बनना, जलवायु में परिवर्तन, किसी विशेष जानवर या पौधे की उत्पत्ति आदि। जिस अवधि में हम रह रहे हैं उसे होलोसीने काल कहा गया है।

11,700 वर्ष की इस अवधि की शुरुआत आखिरी हिमयुग के खत्म होने के साथ हुई थी। भूगर्भिक समयावधि का आधिकारिक ब्योरा रखने वाले इंटरनेशनल कमिशन ऑन स्ट्रैटिग्राफी (आईसीएस) ने होलोसीने काल को भी शुरुआती, मध्य और निचले चरण में विभाजित करने का प्रस्ताव दिया है।

मेघालयन काल की अवधि 4,200 वर्ष पूर्व से लेकर 1950 तक बताई गई है। जिस सूखे से इसकी शुरुआत हुई उसका असर करीब दो सदी तक रहा था। इस दौरान मिस्र, ग्रीक, सीरिया, फलस्तीन, मेसोपोटामिया, सिंधु घाटी, यांगत्जे नदी के किनारे बसी कई सभ्यताएं नष्ट हो गई थीं।

किसी अवधि को अलग पहचान देने के लिए उस समय में कोई ऐसी घटना का होना जरूरी है जिसके सबूत पूरी पृथ्वी पर मिलते हों। यह किसी विशेष पत्थर या रसायन से भी संबंधित हो सकते हैं। इरीडियम नामक तत्व के चिह्न मिलने को आधार बनाकर डायनोसोर के खत्म होने और स्तनधारियों की उत्पत्ति के काल को विभाजित किया गया था। डायनोसोर को खत्म करने वाले क्षुद्रग्रह की धरती से टक्कर से यह तत्व पूरी पृथ्वी पर बिखर गया था। 

क्यों दिया गया यह नाम

भारत के मेघालय राज्य की गुफाओं में मिले स्टलैग्माइट (गुफा की छत से नीचे की तरफ बने चूने के खंभों) के आधार पर बीते 4,200 वर्षों को मेघालयन काल घोषित किया गया है। होलोसीन के शुरुआती चरण को ग्रीनलैंडियन और मध्य चरण को नार्थग्रीपियन कहा जाएगा। मध्य चरण 8,300 वर्ष पूर्व से मेघालयन काल से पहले की अवधि है। इसकी शुरुआत पृथ्वी के अचानक ठंडे होने से हुई थी।