Tuesday , April 16 2024

लिंगायत समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा देने के प्रस्ताव को दोबारा भेजे कुमारस्वामी सरकारः केंद्र 

कांग्रेस-जेडी (एस) गठबंधन ने शुक्रवार को विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया है। इसके ठीक बाद केंद्र सरकार ने कर्नाटक सरकार की लिंगायत और वीरशैव लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने के संबंध में नया प्रस्ताव मांगा है। केंद्र ने तर्क दिया कि वह प्रस्ताव पिछली सरकार की ओर से किए गए थे। 

अब राज्य की कुमारस्वामी सरकार को एक नया प्रस्ताव भेजना होगा। बताते चलें कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए लिंगायत और वीरशैव लिंगायत समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की सिफारिश मंजूर कर ली थी। इसके बाद इस प्रस्ताव को केंद्र की मंजूरी के लिए भेजा था।

उल्लेखनीय है कि अलग धर्म का दर्जा देने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है। राज्य सरकार केवल इसकी अनुशंसा कर सकती है। इस मामले में गृह मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि कर्नाटक सरकार की मांग पर प्रकिया पिछले हफ्ते तक चल रही थी, लेकिन अब राज्य में एक नयी सरकार का गठन हो चुका है। इसलिए यह सुझाव दिया गया था कि मामले की जांच से पहले एक कुमारस्वामी सरकार से एक नया प्रस्ताव लिया जाए। 

बता दें कि कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों में से 222 सीटों पर हुए चुनाव में किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। यहां भाजपा को 104, कांग्रेस को 78 तथा जेडीएस को 38 सीटें और अन्य को दो सीटें मिली हैं।

जानिए कौन हैं लिंगायत
 कर्नाटक में लिंगायत समुदाय का काफी प्रभाव है। राज्य में लिंगायत समुदाय की 18 फीसदी आबादी है। यह कर्नाटक की अगड़ी जातियों में शामिल है। इस समुदाय को बीजेपी का परंपरागत वोटर माना जाता है। महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भी लिंगायतों की काफी संख्या है। 

लिंगायत दरअसल, बारहवीं शताब्दी के संत वासवन्ना के शिष्य हैं। वासवन्ना ने हिंदू धर्म में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ लिंगायत को एक अलग धर्म के रूप में स्थापित किया था। उन्होंने इसे शरण आंदोलन का नाम दिया था। उन्होंने अपने अनुयायियों से शास्त्रों का त्यागने करने का आह्वान किया था। उनकी जगह वह अपने उपदेशों (वचनों) को मानने को कहते थे।

E-Paper

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com