लखनऊः
कि समस्त वैज्ञानिक एवं कार्मिक अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन गम्भीरता से करें, जिससे वैज्ञानिक कार्यों के सकारात्मक परिणाम आएं। उन्होंने कहा कि अत्याधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग करके प्रदेश विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है तथा रिमोट सेनिं्सग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का प्रदेश की योजनाओं के कार्यान्वयन में अधिकाधिक उपयोग किया जाना चाहिए जिससे प्रदेश के किसानों तथा ग्रामीण क्षेत्रों का तेजी से विकास हो सके। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री आज यहां लखनऊ स्थित रिमोट सेनिं्सग एप्लीकेशन्स सेन्टर की समीक्षा बैठक कर निरीक्षण किया। उन्होंने रिमोट सेनिं्सग एप्लीकेशन्स सेन्टर लखनऊ के पं्रागण में वृक्षारोपण भी किया। इस अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख सचिव श्री हिमांशु कुमार तथा केन्द्र के कार्यवाहक निदेशकएम0के0जे0 सिद्धीकी एवं वैज्ञानिक एवं कार्मिक उपस्थित थे।इस मौके पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री केन्द्र की गतिविधियों के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान की गई। इस केन्द्र द्वारा सैटेलाइट चित्रों से प्राकृतिक संसाधनों का अध्ययन किया जाता है तथा उनमें आ रहे परिवर्तनों का विश्लेषण भी किया जाता है तथा विभिन्न उपयोगकर्ता विभागों, विश्वविद्यालयों के शिक्षकों तथा शोध छात्रों को प्राकृतिक संसाधन प्रबन्धन सम्बन्धी प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है। इस अवसर पर इस केन्द्र द्वारा जल संसाधन, भू संसाधन, वन सम्पदा, मृदा संसाधन, कृषि एवं उद्यान, भूमि उपयोगिता नगरीय संरचना, कम्प्यूटर इमेज प्रोसेसिंग, प्रशिक्षण तथा एमटेक शैक्षणिक कार्यक्रम के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यकलापों के सम्बन्ध में प्रजेन्टेशन के माध्यम से जानकारी प्रदान की गई। रिमोट सेनिं्सग एप्लीकेशन्स सेन्टर, द्वारा भू जल, सतही जल, बाढ़ प्रबंधन, नहर प्रणलियों के कमाण्ड क्षेत्र में जल प्लावन, हिमालय के ग्लेशियर, नदी वहाव सम्बन्धी अध्ययन, प्रमुख फसलों के कटान पूर्व के क्षेत्रफल का पूर्वानुमान, वनों के क्षेत्रफल, घनत्व तथा बागवानी, नगरों के विस्तार, बेकार बंजर भूमि का मानचित्रण, ऊसर भूमि अध्ययन, भू आकृतिकी तथा लिनियामेंट मानचित्रण के कार्य किये जा रहे हैं। हाल ही में इस केन्द्र द्वारा लिडार जैसी अत्याधुनिक तकनीक से सर्वेक्षण कार्य प्रारम्भ किया गया है।
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