Wednesday , April 24 2024
गुजरात के गिर से पिछले कुछ समय से लगातार शेरों की मौत के मामले सामने आ रहे थे जिसके बाद सभी जगह उनके अस्तित्व को लेकर सवाल उठाए गए थे. अब इन सभी शेरों की बचाने की जद्दोजहद चल रही है. एशियाटिक लायंस यानी शेरों को सुरक्षा देने के लिए अमेरिका से खास तरह के वैक्सीन मंगवाए गए हैं ताकि बचे हुए 500 से अधिक शेरों की जान बचाई जा सके. गुजरात के वन विभाग अधिकारी इन वैक्सीन को लेने के लिए मुंबई पहुंच चुके हैं और आज दोपहर तक इनके गिर पहुंचने की उम्मीद भी जताई जा रही है. शेरों की जान बचाने के लिए वन विभाग ने सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि इंग्लैंड की भी मदद मांगी है. चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट (वाइल्डलाइफ सर्कल, जूनागढ़) डीटी वासवडा ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि 'उन्होंने शेरों की सुरक्षा के लिए रॉयल वेटरनरी कॉलेज, लंदन के विशेषज्ञों से मदद मांगी है. इतना ही नहीं उन्होंने वन विभाग ने इन विशेषज्ञों को गिर नेशनल पार्क के सभी प्रभावित इलाको का दौरा करने के लिए भी आमंत्रित किया है.' वासवडा ने अपनी बातचीत में आगे इस बात से इंकार किया है कि लोगों की ऐसी धारणा बनाना गलत है कि गुजरात के शेर खत्म होने की कगार पर है. जबकि सच्चाई तो यह है कि सिर्फ 25 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र इस बीमारी से प्रभावित हुआ है, जिसके कारण 23 शेरों की मौत हुई है. लेकिन गिर नेशनल पार्क में शेर दूर-दूर तक फैले हुए हैं और वे यहाँ सुरक्षित भी है. आपको बता दें वासवडा जिन भी प्रभावित क्षेत्रों की बात कर रहे हैं वो गिर के दलखानिया रेंज में आते हैं. यह गिर के पुर्वी हिस्से हैं और इस क्षेत्र में बड़ी तादाद में रिसोर्ट भी बने हुए हैं जो जंगल ट्रैक से काफी ज्यादा नजदीक है. गिर के शेर भी इस क्षेत्र के आसपास विचरण करते हैं.

शेरों को बचाने के लिए भारत ने की अमेरिका और इंग्लैंड से मदद की गुहार

गुजरात के गिर से पिछले कुछ समय से लगातार शेरों की मौत के मामले सामने आ रहे थे जिसके बाद सभी जगह उनके अस्तित्व को लेकर सवाल उठाए गए थे. अब इन सभी शेरों की बचाने की जद्दोजहद चल रही है. एशियाटिक लायंस यानी शेरों को सुरक्षा देने के लिए अमेरिका से खास तरह के वैक्सीन मंगवाए गए हैं ताकि बचे हुए 500 से अधिक शेरों की जान बचाई जा सके. गुजरात के वन विभाग अधिकारी इन वैक्सीन को लेने के लिए मुंबई पहुंच चुके हैं और आज दोपहर तक इनके गिर पहुंचने की उम्मीद भी जताई जा रही है.गुजरात के गिर से पिछले कुछ समय से लगातार शेरों की मौत के मामले सामने आ रहे थे जिसके बाद सभी जगह उनके अस्तित्व को लेकर सवाल उठाए गए थे. अब इन सभी शेरों की बचाने की जद्दोजहद चल रही है. एशियाटिक लायंस यानी शेरों को सुरक्षा देने के लिए अमेरिका से खास तरह के वैक्सीन मंगवाए गए हैं ताकि बचे हुए 500 से अधिक शेरों की जान बचाई जा सके. गुजरात के वन विभाग अधिकारी इन वैक्सीन को लेने के लिए मुंबई पहुंच चुके हैं और आज दोपहर तक इनके गिर पहुंचने की उम्मीद भी जताई जा रही है.    शेरों की जान बचाने के लिए वन विभाग ने सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि इंग्लैंड की भी मदद मांगी है. चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट (वाइल्डलाइफ सर्कल, जूनागढ़) डीटी वासवडा ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि 'उन्होंने शेरों की सुरक्षा के लिए रॉयल वेटरनरी कॉलेज, लंदन के विशेषज्ञों से मदद मांगी है. इतना ही नहीं उन्होंने वन विभाग ने इन विशेषज्ञों को गिर नेशनल पार्क के सभी प्रभावित इलाको का दौरा करने के लिए भी आमंत्रित किया है.'    वासवडा ने अपनी बातचीत में आगे इस बात से इंकार किया है कि लोगों की ऐसी धारणा बनाना गलत है कि गुजरात के शेर खत्म होने की कगार पर है. जबकि सच्चाई तो यह है कि सिर्फ 25 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र इस बीमारी से प्रभावित हुआ है, जिसके कारण 23 शेरों की मौत हुई है. लेकिन गिर नेशनल पार्क में शेर दूर-दूर तक फैले हुए हैं और वे यहाँ सुरक्षित भी है. आपको बता दें वासवडा जिन भी प्रभावित क्षेत्रों की बात कर रहे हैं वो गिर के दलखानिया रेंज में आते हैं. यह गिर के पुर्वी हिस्से हैं और इस क्षेत्र में बड़ी तादाद में रिसोर्ट भी बने हुए हैं जो जंगल ट्रैक से काफी ज्यादा नजदीक है. गिर के शेर भी इस क्षेत्र के आसपास विचरण करते हैं.

 

शेरों की जान बचाने के लिए वन विभाग ने सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि इंग्लैंड की भी मदद मांगी है. चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट (वाइल्डलाइफ सर्कल, जूनागढ़) डीटी वासवडा ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि ‘उन्होंने शेरों की सुरक्षा के लिए रॉयल वेटरनरी कॉलेज, लंदन के विशेषज्ञों से मदद मांगी है. इतना ही नहीं उन्होंने वन विभाग ने इन विशेषज्ञों को गिर नेशनल पार्क के सभी प्रभावित इलाको का दौरा करने के लिए भी आमंत्रित किया है.’

वासवडा ने अपनी बातचीत में आगे इस बात से इंकार किया है कि लोगों की ऐसी धारणा बनाना गलत है कि गुजरात के शेर खत्म होने की कगार पर है. जबकि सच्चाई तो यह है कि सिर्फ 25 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र इस बीमारी से प्रभावित हुआ है, जिसके कारण 23 शेरों की मौत हुई है. लेकिन गिर नेशनल पार्क में शेर दूर-दूर तक फैले हुए हैं और वे यहाँ सुरक्षित भी है. आपको बता दें वासवडा जिन भी प्रभावित क्षेत्रों की बात कर रहे हैं वो गिर के दलखानिया रेंज में आते हैं. यह गिर के पुर्वी हिस्से हैं और इस क्षेत्र में बड़ी तादाद में रिसोर्ट भी बने हुए हैं जो जंगल ट्रैक से काफी ज्यादा नजदीक है. गिर के शेर भी इस क्षेत्र के आसपास विचरण करते हैं.

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