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संसदीय सचिवों के बाद सलाहकारों की नियुक्ति पर भी उठे सवाल

sssनई दिल्ली। उपराज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली के मुख्य सचिव के के शर्मा से केजरीवाल सरकार द्वारा नियुक्त सलाहकारों से संबंधित जानकारी मांगी है। माना जा है कि आप सरकार के संसदीय सचिवों की तरह सलाहकारों की नियुक्ति पर भी सवाल उठ सकते हैं।
उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव से इनके पद, वेतन और नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर रिपोर्ट मांगी है। उपराज्यपाल सचिवालय ने कानून विभाग से पूछा है कि क्या पद से हटाए जाने के बाद सलाहकारों को अब तक दिया गया वेतन वापस लिया जा सकता है। माना जा रहा है कि सलाहकारों की नियुक्ति के समय भी उपराज्यपाल की मंजूरी नहीं ली गई।
केजरीवाल सरकार ने स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, जनसंपर्क विभागों के अलावा दिल्ली सरकार के वित्तीय सहयोग पर निर्भर कुछ अन्य संस्थानों में 40 से अधिक सलाहकारों की नियुक्ति की है। इनमें से कुछ का वेतन एक लाख रुपये महीने से ज्यादा है, जबकि कई को गाड़ी और आवास की सुविधाएं भी दी गई हैं। साथ ही इनके लिए सहायक स्टाफ की नियुक्त भी की गई है, जिनका वेतन 30,000 रुपये से अधिक है।
इनमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक सलाहकार आशीष तलवार, मीडिया सलाहकार नागेंदर शर्मा, उपमुख्यमंत्री कार्य़ालय से जुड़े आतिशि मारलेना और अरुणोदय प्रकाश प्रमुख हैं। सलाहकारों की सूची में विभव कुमार, अश्वथी मुरलीधरन, रोहित पांडेय जैसे आप कार्यकर्ता भी हैं जो मुख्यमंत्री दफ्तर में निजी सलाहकार या निजी सचिव जैसे पदों पर नियुक्त हैं। स्वाथ्य और शिक्षा विभाग में तीन-तीन सलाहकारों को बड़ी जिम्मेदारियां दी गई हैं। इसके अलावा परिवहन, पर्य़ावरण और अन्य विभागों में भी नियुक्ति की गई है। वहीं दिल्ली सरकार के अलावा दिल्ली महिला आयोग, दिल्ली डायलॉग कमीशन और अन्य संस्थानों में भी सलाहकार या निजी स्टाफ नियुक्त किए गए हैं। इन सभी पर गाज गिर सकती है।

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