Saturday , April 20 2024

सरकारी बंगला बचाने को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मुलायम और अखिलेश

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और उनके पुत्र अखिलेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिकाएं दाखिल कर सरकारी बंगला खाली करने के लिए कुछ और समय दिए जाने की गुहार लगाई है। दोनों नेताओं ने अपनी दिक्कतें गिनाते हुए वैकल्पिक व्यवस्था होने तक आवास खाली करने के लिए पर्याप्त समय देने की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट ने गत सात मई को उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी आवास देने का कानून रद कर दिया था। कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश सरकार के संपत्ति विभाग ने दोनों नेताओं को बंगला खाली करने के लिए गत 17 मई को नोटिस देते हुए 15 दिन में बंगला खाली करने का आदेश दिया था। जिसकी समयसीमा एक जून को खत्म हो रही है।

इससे पहले ही दोनों नेताओं ने वकील गरिमा बजाज के जरिये अलग- अलग रिट याचिकाएं दाखिल कर कोर्ट से कुछ और वक्त दिए जाने की गुहार लगाई है। अखिलेश यादव को लखनऊ में चार-विक्रमादित्य मार्ग और मुलायम सिंह यादव को पांच-विक्रमादित्य मार्ग का बंगला खाली करना है।

दाखिल याचिका में मुलायम सिंह यादव की ओर से कहा गया है कि उनकी 78 वर्ष की आयु हो गई है और उनकी सेहत खराब रहती है। उन्हें जेड प्लस सुरक्षा मिली हुई है। इन सब बातों का ख्याल रखते हुए उन्हें आवास की वैकल्पिक व्यवस्था होने तक बंगला खाली करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाए। अखिलेश की याचिका में भी सुरक्षा, परिवार तथा बच्चों का हवाला देते हुए बंगला खाली करने के लिए उचित समय दिए जाने की मांग की गई है।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने से पहले दोनों नेताओं ने प्रदेश के संपत्ति विभाग के अधिकारी को ज्ञापन देकर आवास का वैकल्पिक इंतजाम करने तक बंगला खाली करने के लिए दो वर्ष का समय दिए जाने की मांग की थी।

प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन आवास आवंटित करने से जुड़ा यह मामला जरा पुराना है। गैर सरकारी संगठन ‘लोक प्रहरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी आवास आवंटित करने के कार्यकारी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और नियम रद करने की मांग की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए नियम रद कर दिया था। जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन आवास का कानून विधानसभा से पारित कराया। ‘लोक प्रहरी ने इस नए कानून को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और गत सात मई को सुप्रीम कोर्ट ने कानून को गैरकानूनी ठहरा दिया था। 

E-Paper

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com