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सरकार को उनसे यह जगह खाली कराने का कोई हक नहीं है। चूंकि 1967 के उसी मेमोरेंडम में कहा गया है

सरकार को उनसे यह जगह खाली कराने का कोई हक नहीं है। चूंकि 1967 के उसी मेमोरेंडम में कहा गया है

वहीं शहरी आवास मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि 28 अगस्त, 1967 से परिसर पर अवैध कब्जे के संबंध में कारण बताओ नोटिस से लेकर सभी विकल्प खुले हुए हैं। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल फंड (जेएनएमएफ) को निष्कासन नोटिस थमा दिया है। साथ ही कहा है कि भारत के अन्य पूर्व प्रधानमंत्रियों की धरोहर को संरक्षित करने के लिए वह तीन मूर्ति भवन के परिसर को संरक्षित करना चाहती है। जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल फंड को सोमवार को भेजे नोटिस में कहा गया है कि सरकार देश के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के लिए 25 एकड़ के तीन मूर्ति भवन परिसर में एक संग्रहालय बनवाना चाहती है। इसलिए अतिरिक्त जगह के लिए परिसर में ही स्थित जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल को खाली कराने की आवश्यकता है।सरकार को उनसे यह जगह खाली कराने का कोई हक नहीं है। चूंकि 1967 के उसी मेमोरेंडम में कहा गया है

इस नोटिस में यह भी कहा गया है कि जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल फंड का उन बैरकों पर अवैध कब्जा है जो पिछले 51 सालों से तीन मूर्ति का हिस्सा हैं। इस साल जून की बैठक में नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी सोसाइटी की अधिशासी समिति ने इस विषय में चर्चा की थी। उल्लेखनीय है कि 23 अगस्त को सोसाइटी ने शहरी विकास मंत्रालय को लिखे पत्र में सरकार से वह जगह खाली कराने की अपील की थी।

नोटिस में कहा गया है कि नेहरू मेमोरियल म्यूजियम लाइब्रेरी (एनएमएमएल) अपने लक्ष्य को हासिल करने को और जगह बनाने की भरसक कोशिश कर रहा है। उसे तीन मूर्ति स्टेट में जगह की अत्यधिक आवश्यकता है। इस प्रपत्र में कहा गया था कि छह से अधिक वह सरकारी संपत्तियां जो प्रधानमंत्री पूल में शामिल कर ली गई थीं, उसमें तीन मूर्ति मार्ग और विलिंग्डन क्रेसेंट के बंगले शामिल हैं।

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