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सुप्रीम कोर्ट का राम मंदिर-बाबरी विवाद पर जल्द सुनवाई से इनकार

नई दिल्ली। रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है। बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने इस बाबत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए स्वामी को पक्षकार न मानते हुए और वक्त की कमी जाहिर करते हुए जल्द सुनवाई की मांग से इनकार कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस मामले के पक्षकारों ने कहा कि स्वामी इस केस में पार्टी नहीं हैं। कोर्ट ने स्वामी से कहा कि आपने हमें बताया नही कि आप मुख्य मामले में पार्टी नहीं हैं। स्वामी से स्वीकार किया कि वह पक्षकार नहीं है, हालांकि उनके लिए यह धार्मिक आस्था का मामला है।

स्वामी ने कोर्ट से कहा कि उन्हें प्रॉपर्टी से मतलब नहीं है, उन्होंने बस पूजा करने के अपने संवैधानिक अधिकार के तहत यह याचिका दायर की है। चीफ जस्टिस ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद मामले पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया।

कुछ नहीं होना जाना,जब तक राज्नेतिक पार्टिया अपना मन न बनाएं ! वाजपेयी जी के समय से ही कोर्ट कुछ नहीं कर पाई ! दोनो समुदाय के धारीमिक् गुरुओ या मोलवियो को मिल कर ही फेसला करना चाहिये ! कोर्ट एसे फेसले नहीं ले सकती ! अगर ले भी ले,तो किसी भी समाज के

गले नहीं उतरेंगे ! धार्मिक फेसले धार्मिक समाज ही ले …
बता दें कि इससे पहले मुख्य याचिकाकर्ता मोहम्मद हाशिम अंसारी के बेटे ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर स्वामी द्वारा सभी संबंधित पक्षों को जानकारी दिए बिना मामले की तत्काल सुनवाई की मांग पर आपत्ति जताई थी।

अंसारी के बेटे ने शीर्ष अदालत के महासचिव को पत्र लिखकर कहा था कि राज्यसभा सदस्य बार-बार चीफ जस्टिस के सामने मामले का उल्लेख करते हैं, यहां तक कि उनके पिता की ओर से पेश वकील सहित ‘ऐडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ तक को जानकारी नहीं देते हैं।

अयोध्या विवाद में सबसे पुराने याचिकाकर्ताओं में से एक अंसारी का पिछले साल जुलाई में 95 वर्ष की उम्र में हृदय संबंधी बीमारियों से निधन हो गया था। वह इस मामले में फैजाबाद की दीवानी न्यायाधीश अदालत में वाद दायर करने वाले पहले व्यक्ति थे।

अंसारी के बेटे इकबाल ने पत्र में कहा था, ‘मीडिया में खबर है कि डॉक्टर सुब्रमण्यन स्वामी ने इस अदालत (चीफ जस्टिस) के सामने इसकी रोजाना सुनवाई के लिए 21 मार्च 2017 को मामले का उल्लेख किया था। यह कार्यवाही वास्तविक वाद से जुड़ी है और इनमें से किसी में भी डॉक्टर स्वामी पक्षकार नहीं हैं।’

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