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भारत देश की सबसे उन्नत और लंबी दूरी तक मार करने वाली अग्नि-5 मिसाइल को जल्द ही अपने हथियारों के जखीरे में शामिल करेगा। परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम पांच हजार किलोमीटर मारक क्षमता वाली इस अंतर महाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल के निशाने पर पूरा चीन और आधा यूरोप होगा। सरकार के इस फैसले से सेना के मनोबल में खासा इजाफा होने की उम्मीद है। युद्ध का पासा पलटने में सक्षम अग्नि-5 मिसाइल इलीट स्टै्रटेजिक फोर्सेज कमांड (एसएफसी) का हिस्सा होगी। इससे पहले अग्नि-5 के इस्तेमाल के कुछ और परीक्षण पूरे किए जाएंगे, जो कुछ हफ्तों का समय लेंगे। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार अग्नि-5 के सेना में शामिल होने से भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई बढ़त हासिल होगी। यह मिसाइल चीन के प्रमुख शहर- बीजिंग, शंघाई, ग्वांग्झू और हांगकांग तक मार करने में सक्षम होगी। अग्नि-5 प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारी के अनुसार यह वास्तव में सामरिक संतुलन वाला हथियार है। इसके सेना में शामिल होने मात्र से भारत सामने वाले को सोचने के लिए मजबूर कर देगा। उन्होंने बताया कि अग्नि-5 दुनिया की सबसे उन्नत तकनीक पर आधारित बैलेस्टिक मिसाइल है। इसमें परमाणु हथियार को बेहतर तरीके से ले जाने की क्षमता है। प्रोजेक्ट से जुड़े सूत्रों के अनुसार अग्नि-5 मिसाइलों की पहली खेप जल्द एसएफसी को सौंप दी जाएगी। लेकिन इसके लिए कोई समय सीमा बताने से उन्होंने इन्कार कर दिया। अंतरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल (आइसीबीएम) अभी तक अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और उत्तर कोरिया के पास हैं। भारतीय सेना के पास अभी चार श्रेणी की अग्नि मिसाइलें हैं। इनकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर से लेकर 3,500 किलोमीटर तक है। सफल रहे हैं सभी छह परीक्षण अग्नि-5 मिसाइल के अभी तक छह परीक्षण हो चुके हैं। सभी परीक्षण सफल रहे हैं। पहला परीक्षण 19 अप्रैल, 2012 और दूसरा परीक्षण 15 सितंबर 2013 को हुआ था। तीसरा परीक्षण 31 जनवरी, 2015 और चौथा परीक्षण 26 दिसंबर 2016 को हुआ था। पांचवां परीक्षण इसी साल 18 जनवरी को और छठा परीक्षण तीन जून को हुआ। सुखोई में लगाए जा रहे ब्रह्माोस मारक क्षमता बढ़ाने के लिए ब्रह्माोस मिसाइल को सुखोई-30 लड़ाकू विमान में फिट करने का प्रयोग भी सफल रहा है। यह प्रयोग 22 नवंबर, 2017 को किया गया। इससे दुनिया की सबसे तेज गति की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की मारक क्षमता और बढ़ गई है। हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड 40 सुखोई विमानों में ब्रह्माोस मिसाइल लगाने के लिए उनमें बदलाव कर रहा है।

सेना में जल्द शामिल होगा देश का ब्रह्माास्त्र अग्नि-5

भारत देश की सबसे उन्नत और लंबी दूरी तक मार करने वाली अग्नि-5 मिसाइल को जल्द ही अपने हथियारों के जखीरे में शामिल करेगा।भारत देश की सबसे उन्नत और लंबी दूरी तक मार करने वाली अग्नि-5 मिसाइल को जल्द ही अपने हथियारों के जखीरे में शामिल करेगा।  परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम पांच हजार किलोमीटर मारक क्षमता वाली इस अंतर महाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल के निशाने पर पूरा चीन और आधा यूरोप होगा।  सरकार के इस फैसले से सेना के मनोबल में खासा इजाफा होने की उम्मीद है। युद्ध का पासा पलटने में सक्षम अग्नि-5 मिसाइल इलीट स्टै्रटेजिक फोर्सेज कमांड (एसएफसी) का हिस्सा होगी।  इससे पहले अग्नि-5 के इस्तेमाल के कुछ और परीक्षण पूरे किए जाएंगे, जो कुछ हफ्तों का समय लेंगे। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार अग्नि-5 के सेना में शामिल होने से भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई बढ़त हासिल होगी।  यह मिसाइल चीन के प्रमुख शहर- बीजिंग, शंघाई, ग्वांग्झू और हांगकांग तक मार करने में सक्षम होगी। अग्नि-5 प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारी के अनुसार यह वास्तव में सामरिक संतुलन वाला हथियार है।  इसके सेना में शामिल होने मात्र से भारत सामने वाले को सोचने के लिए मजबूर कर देगा। उन्होंने बताया कि अग्नि-5 दुनिया की सबसे उन्नत तकनीक पर आधारित बैलेस्टिक मिसाइल है।  इसमें परमाणु हथियार को बेहतर तरीके से ले जाने की क्षमता है। प्रोजेक्ट से जुड़े सूत्रों के अनुसार अग्नि-5 मिसाइलों की पहली खेप जल्द एसएफसी को सौंप दी जाएगी।  लेकिन इसके लिए कोई समय सीमा बताने से उन्होंने इन्कार कर दिया। अंतरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल (आइसीबीएम) अभी तक अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और उत्तर कोरिया के पास हैं।  भारतीय सेना के पास अभी चार श्रेणी की अग्नि मिसाइलें हैं। इनकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर से लेकर 3,500 किलोमीटर तक है।  सफल रहे हैं सभी छह परीक्षण  अग्नि-5 मिसाइल के अभी तक छह परीक्षण हो चुके हैं। सभी परीक्षण सफल रहे हैं। पहला परीक्षण 19 अप्रैल, 2012 और दूसरा परीक्षण 15 सितंबर 2013 को हुआ था।  तीसरा परीक्षण 31 जनवरी, 2015 और चौथा परीक्षण 26 दिसंबर 2016 को हुआ था। पांचवां परीक्षण इसी साल 18 जनवरी को और छठा परीक्षण तीन जून को हुआ।  सुखोई में लगाए जा रहे ब्रह्माोस  मारक क्षमता बढ़ाने के लिए ब्रह्माोस मिसाइल को सुखोई-30 लड़ाकू विमान में फिट करने का प्रयोग भी सफल रहा है। यह प्रयोग 22 नवंबर, 2017 को किया गया।  इससे दुनिया की सबसे तेज गति की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की मारक क्षमता और बढ़ गई है। हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड 40 सुखोई विमानों में ब्रह्माोस मिसाइल लगाने के लिए उनमें बदलाव कर रहा है।

परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम पांच हजार किलोमीटर मारक क्षमता वाली इस अंतर महाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल के निशाने पर पूरा चीन और आधा यूरोप होगा।

सरकार के इस फैसले से सेना के मनोबल में खासा इजाफा होने की उम्मीद है। युद्ध का पासा पलटने में सक्षम अग्नि-5 मिसाइल इलीट स्टै्रटेजिक फोर्सेज कमांड (एसएफसी) का हिस्सा होगी।

इससे पहले अग्नि-5 के इस्तेमाल के कुछ और परीक्षण पूरे किए जाएंगे, जो कुछ हफ्तों का समय लेंगे। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार अग्नि-5 के सेना में शामिल होने से भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई बढ़त हासिल होगी।

यह मिसाइल चीन के प्रमुख शहर- बीजिंग, शंघाई, ग्वांग्झू और हांगकांग तक मार करने में सक्षम होगी। अग्नि-5 प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारी के अनुसार यह वास्तव में सामरिक संतुलन वाला हथियार है।

इसके सेना में शामिल होने मात्र से भारत सामने वाले को सोचने के लिए मजबूर कर देगा। उन्होंने बताया कि अग्नि-5 दुनिया की सबसे उन्नत तकनीक पर आधारित बैलेस्टिक मिसाइल है।

इसमें परमाणु हथियार को बेहतर तरीके से ले जाने की क्षमता है। प्रोजेक्ट से जुड़े सूत्रों के अनुसार अग्नि-5 मिसाइलों की पहली खेप जल्द एसएफसी को सौंप दी जाएगी।

लेकिन इसके लिए कोई समय सीमा बताने से उन्होंने इन्कार कर दिया। अंतरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल (आइसीबीएम) अभी तक अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और उत्तर कोरिया के पास हैं।

भारतीय सेना के पास अभी चार श्रेणी की अग्नि मिसाइलें हैं। इनकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर से लेकर 3,500 किलोमीटर तक है।

सफल रहे हैं सभी छह परीक्षण

अग्नि-5 मिसाइल के अभी तक छह परीक्षण हो चुके हैं। सभी परीक्षण सफल रहे हैं। पहला परीक्षण 19 अप्रैल, 2012 और दूसरा परीक्षण 15 सितंबर 2013 को हुआ था।

तीसरा परीक्षण 31 जनवरी, 2015 और चौथा परीक्षण 26 दिसंबर 2016 को हुआ था। पांचवां परीक्षण इसी साल 18 जनवरी को और छठा परीक्षण तीन जून को हुआ।

सुखोई में लगाए जा रहे ब्रह्माोस

मारक क्षमता बढ़ाने के लिए ब्रह्माोस मिसाइल को सुखोई-30 लड़ाकू विमान में फिट करने का प्रयोग भी सफल रहा है। यह प्रयोग 22 नवंबर, 2017 को किया गया।

इससे दुनिया की सबसे तेज गति की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की मारक क्षमता और बढ़ गई है। हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड 40 सुखोई विमानों में ब्रह्माोस मिसाइल लगाने के लिए उनमें बदलाव कर रहा है।

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