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स्ट्रेचर पर तड़पते रहे मरीज-रोते रहे तीमारदार, नहीं पसीजे डॉक्टर…

केजीएमयू में रविवार रात डॉक्टरों की हड़ताल जानलेवा बन गई। वार्ड में जहा इलाज के अभाव में एक नवजात ने दम तोड़ दिया। वहीं ट्रामा में भर्ती न होने से एक किशोर की एंबुलेंस में ही सासें थम गईं। उधर, पाच घटे चले बवाल से संस्थान में भर्ती करीब चार हजार मरीजों का जीवन दाव पर लगा गया।

केजीएमयू के बाल रोग विभाग में मड़ियाव निवासी सक्षम की मौत पर बवाल हुआ। परिजनों व जूनियर डॉक्टर के बीच मारपीट हुई। इसी बीच महिला डॉक्टर के साथ अभद्रता का मामला तूल पकड़ गया। जूनियर डॉक्टर रात में एकजुट हो गए और सभी ने हड़ताल का एलान कर इंडोर (वार्ड) व इमरजेंसी (ट्रामा) की सेवाओं को ठप कर दिया। विभिन्न विभागों के वार्डो में तैनात जूनियर डॉक्टर काम छोड़कर परिसर में आ गए। वहीं ट्रामा जाकर इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों का भी काम बंद करा दिया। रात 11 बजे काम छोड़कर गए जूनियर डॉक्टर काफी मान-मनौव्वल के बाद सुबह करीब पाच बजे काम पर लौटे। इस दौरान दो की मौत हो गई। वहीं वार्डो में भर्ती करीब चार हजार मरीजों की जिंदगी दाव पर बनी रही। उधर, ट्रामा सेंटर में इमरजेंसी ऑपरेशन भी ठप रहे। रात में करीब छह मरीजों के ऑपरेशन नहीं हो सके। ऑपरेशन के बाद नहीं मिला इलाज, बच्ची की मौत

रायबरेली निवासी ज्योति बाजपेयी ने 23 मई को बच्ची को जन्म दिया। स्थानीय डॉक्टर ने बच्ची की आहार व सास नली आपस में कनेक्ट बताकर 24 मई को ऑपरेशन के लिए केजीएमयू भेज दिया। ज्योति के पिता देवी शरण पाडेय के मुताबिक, 27 मई को रात आठ बजे बच्ची का ऑपरेशन हुआ। इसके बाद पीडियाटिक सर्जरी के नियोनेटल सर्जरी वार्ड में बच्ची को शिफ्ट किया गया। उसकी हालत में सुधार था, मगर डॉक्टरों ने देखरेख में लापरवाही शुरू कर दी। ऐसे में रात में एक बजे के करीब उसकी हालत गड़बड़ा गई। ड्यूटी पर तैनात नर्स से डॉक्टर को बुलाने को कहा। नर्स ने कहा वह हड़ताल पर है। काफी देकर तक खोजबीन करने पर भी वार्ड व आसपास कोई डॉक्टर नहीं मिला। परिजन एंबुबैग के सहारे बच्चे को सासे देते रहे, लेकिन देखते ही देखते बच्ची की मौत हो गई। नर्स ने रविवार रात दो बजे बच्ची को मृत घोषित कर वार्ड से बाहर कर दिया। नहीं दिया डेथ सर्टीफिकेट

पिता देवीशरण ने बताया कि बच्ची की वार्ड में मौत हो गई। वहीं स्टाफ नर्स ने डेथ सर्टीफिकेट बनाने से मना कर दिया। नर्स ने हड़ताल की बात कहकर, अगले दिन आकर प्रमाण पत्र लेने की बात कही। लिहाजा नियोनेटल वार्ड में भर्ती सभी गंभीर बच्चों का जीवन सासत में रहा।

एंबुलेंस में टूटी सास

सीतापुर के खैराबाद निवासी निखिल (14) परिवार के साथ छत पर लेटा था। परिजन सुरेश व शिवकुमार ने बताया कि निखिल रात दस बजे के करीब पेशाब के लिए उठा, लेकिन नींद के चलते लड़खड़ाकर छत से नीचे गिर गया। सिर में गंभीर चोट के चलते स्थानीय अस्पताल ने ट्रामा रेफर किया गया। यहा रात साढ़े बारह बजे पहुंचे तो निखिल को हड़ताल के चलते इलाज नहीं मिला। परिजन उसे लेकर विवेकानंद अस्पताल पहुंचे। यहा भर्ती न होने पर वह एंबुलेंस से निखिल को लेकर बलरामपुर अस्पताल गए, मगर रास्ते में ही उसकी सासें थम गईं। भर्ती मरीजों की अटकी रहीं सासें

ट्रामा सेंटर, न्यूरो सर्जरी, न्यूरो लॉजी, जनरल सर्जरी, नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी, ग्रैस्ट्रोलॉजी, गैस्ट्रो सर्जरी, लिंब सेंटर, ईएनटी, पीडियाटिक्स, पीडियाटिक सर्जरी, इंडोक्त्राइन सर्जरी, ऑन्को सर्जरी, रेडियोथेरेपी, पल्मोनरी, लारी, सीवीटीएस, क्वीन मेरी समेत विभिन्न विभागों में करीब चार हजार मरीज भर्ती थे। ऐसे में डॉक्टरों के वार्ड से गायब होने पर नर्सो के सहारे इनका इलाज चला। सिक्योरिटी एजेंसी हो ब्लैक लिस्ट, तैनात हो पुलिस

जूनियर डॉक्टरों की एसोसिएशन आरडीएसए के साथ केजीएमयू अधिकारियों की बैठक हुई। आरडीएसए ने कहा कि ट्रामा सेंटर, क्वीनमेरी, लारी, गाधी वार्ड व पीडियाटिक वार्ड में नई सिक्योरिटी एजेंसी के गार्ड आने तक दो-दो पुलिसकर्मी तैनात किए जाएं। इस पर सीएमएस ने कहा कि सिक्योरिटी गार्ड डॉक्टर की सुरक्षा नहीं कर पाए। इसके चलते ऐसी घटना हुई। कंपनी को ब्लैक लिस्ट किया जाएगा। वहीं फिलवक्त ट्रामा, पीडियाटिक व गाधी वार्ड में दो-दो पुलिसकर्मी सोमवार को तैनात रहे। मई 2016 की हड़ताल ने ली थी कई लोगों की जान

केजीएमयू डॉक्टरों को मरीजों की जिंदगी की कोई परवाह नहीं है। मई 2016 में पीजी काउंसिलिंग को लेकर केजीएमयू के रेजीडेंट आदोलित हो गए थे। 30 मई को जूनियर डॉक्टर ट्रामा सेंटर के चैनल में ताला डालकर प्रदर्शन पर बैठ गए थे। इस दौरान ओपीडी से लेकर इमरजेंसी सेवाएं तक ठप कर दी थीं। एक जून तक चली तीन दिवसीय हड़ताल से करीब दो दर्जन मरीजों की जान चली गई थी। ट्रामा सेंटर पूरी तरह खाली हो गया था। लोग मरीजों को लेकर दूसरे अस्पताल चले गए थे। आखिर में दो जून को डॉक्टरों की हड़ताल पर कोर्ट ने सख्ती दिखाई। कोर्ट ने मामले की जाच कर डॉक्टरों के वेतन से मृतक परिवार के सदस्यों को सहायता राशि देने के निर्देश दिए थे। स्ट्रेचर पर तड़पते रहे मरीज और रोते रहे तीमारदार

जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का खामियाजा सैकड़ों मरीजों को भुगतना पड़ा। इमरजेंसी से लेकर वार्डो में इलाज बंद हो गया, जिससे मरीजों की हालत और बिगड़ गई, वह जिंदगी और मौत से जूझते रहें पर धरती के भगवान कहे जाने वाले संवेदनहीन डॉक्टर नहीं पसीजे। ट्रामा में भर्ती ब्रेन हेमरेज से पीड़ित हाजी मकबूल खा (60) निवासी गोसाईगंज की हालात एकाएक बिगड़ गई। उनका बेटा इसरार अहमद और बेटी नसीबुल निशा डॉक्टरों के हाथ जोड़कर इलाज के लिए काफी देर फरियाद करती रहीं। इसरार रोते हुए डॉक्टर के पैरों पर गिर पड़ा और पिता की जिंदगी की दुहाई देकर इलाज की गुहार कर रहा था। उधर, पिता की हालत बिगड़ती जा रही थी पर धरती के भगवान कहे जाने वाले संवेदनहीन डॉक्टर नहीं पसीजे। अंतत: इसरार परिवारीजनों के साथ पिता को लेकर निजी अस्पताल चले गए। इस दौरान दर्जनों मरीज बिना इलाज के ट्रामा से लौट गए। उधर, पूर्व में भर्ती हुए मरीज भी इलाज ने मिलने के कारण चले गए। घायल को गेट से लौटाया

निशातगंज गली नंबर तीन निवासी नाजिम (28) की एक्सीडेंट में हालात गंभीर हो गई। हादसे में नाजिम का सिर फट गया और चेहरे पर गंभीर चोटें आई। नाजिम के परिवारीजन उसे एंबुलेंस से लेकर ट्रामा सेंटर पहुंचे। ट्रामा में गेट का चैनल बंद था। परिवारीजन गार्डो से चैनल खोलने की दुहाई देते रहे। पर किसी ने एक न सुनी।

बच्चे को तड़पता देख उसे निजी अस्पताल ले गई अनीता

इलाज ना मिलने से ट्रामा इमरजेंसी में भर्ती प्रच्छन शर्मा (12) निवासी बहराइच घटाघर की रात करीब 12 बजे हालात बिगड़ गई। कलेजे के टुकड़े को तड़पता देख अनीता बिलखने लगी और इमरजेंसी वार्ड में जूनियर डॉक्टरों के न होने पर वह पीआरओ कक्ष की ओर भागी। पर उसे वहा भी कोई न मिला। वह फूट-फूटकर रोने लगी। अनीता के पति ने कई अधिकारियों को भी फोन मिलाया पर किसी ने रिसीव न किया। यह देख अनीता आनन फानन बच्चे को लेकर एक निजी अस्पताल चली गई।

अफसरों ने नहीं उठाए फोन

ट्रामा में इलाज न मिलने पर कई मरीजों के परिवारीजनों ने शिकायत के लिए संस्थान के अफसरों को फोन मिलाया, मगर उनके फोन रिसीव नहीं हुए। इसके चलतेतीमारदारों में काफी आक्त्रोश था। चरमराई बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी सेवाएं

हड़ताल से बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी सेवाएं चरमरा गईं। कारण, रात में ट्रामा से वापस किए गए गंभीर मरीजों की यहा भीड़ जुट गई। लिहाजा, डॉक्टरों से लेकर स्टाफ तक को भारी मशक्कत करनी पड़ी। ट्रामा में रविवार रात पाच घटे इमरजेंसी सेवा बंद रही। इस दौरान इलाज के लिए पहुंचे मरीजों को लेकर परिजन बलरामपुर, सिविल, लोहिया व निजी अस्पताल भागे। इसमें सबसे अधिक मरीज बलरामपुर अस्पताल आए। रात 11 बजे से सुबह पाच बजे तक करीब 20 मरीज इमरजेंसी में भर्ती किए गए, वहीं अति गंभीर मरीजों को अन्य अस्पताल जाने की सलाह दे दी गई। वहीं पहले से फुल बलरामपुर की इमरजेंसी में मरीजों को भर्ती करना मुश्किल हो रहा था। ऐसे में इमरजेंसी में भर्ती मरीजों को रात में ही वार्ड में शिफ्ट किया गया। इसके बाद ट्रामा से आए अन्य मरीजों को बेड मुहैया कराया गया। बलरामपुर में 40 बेड की इमरजेंसी है। इसके अलावा अन्य स्टेचर भी डाले गए हैं। मारपीट के मामले में दो एफआइआर दर्ज

केजीएमयू में जूनियर डॉक्टरों से मारपीट के मामले में चौक कोतवाली में दो एफआइआर दर्ज की गई है। सीओ चौक डीपी तिवारी के मुताबिक एक महिला डॉक्टर ने छेड़छाड़ तो केजीएमयू के एसोसिएट प्रॉक्टर ने धमकी और बलवा की रिपोर्ट लिखवाई है। दोनों मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार कर पड़ताल की जा रही है। सीओ चौक ने बताया कि चार महीने के बच्चे सक्षम की मौत के बाद रविवार रात मासूम के परिवारीजन उग्र हो गए थे और वहा मारपीट शुरू हो गई थी। जानकारी पाकर पुलिस टीम मौके पर पहुंची और किसी तरह दोनों पक्षों को शात कराया, लेकिन इसी बीच डॉक्टरों ने हड़ताल कर दिया। रविवार सुबह करीब चार बजे तक सीओ चौक व अन्य पुलिसकर्मी मामले को शात कराने का प्रयास करते रहे, लेकिन डॉक्टर एफआइआर दर्ज करने की माग पर अड़े रहे। सीओ चौक का कहना है कि एक महिला डॉक्टर ने छेड़छाड़ व अभद्रता का आरोप लगाते हुए तहरीर दी, जिसके आधार पर पुलिस ने नेपाल निवासी अशोक मद्धेशिया के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने अशोक को गिरफ्तार किया है।

उधर, काफी देर तक चले विवाद और हंगामे के मद्देनजर केजीएमयू के एसोसिएट प्रॉक्टर डॉ. राकेश दीवान ने सक्षम के अज्ञात परिवारीजनों व रिश्तेदारों के खिलाफ बलवा व धमकाने की एफआइआर दर्ज कराई है। पुलिस के मुताबिक इस मामले में मृतक सक्षम के चाचा अनूप पाल और फूफा सरोज पाल को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस सीसीटीवी फुटेज के आधार पर मामले की पड़ताल कर रही है।

ऑक्सीजन लगाकर कई जगह चक्कर लगाते रहे

फैजाबाद निवासी विवेक कुमार, खीरी निवासी तरबेज, गोमतीनगर निवासी प्रेम, खाला बाजार निवासी वर्षा देवी, फैजाबाद निवासी नंदू, सुलतानपुर निवासी वैष्णवी, ज्ञान सिंह, कायमगंज निवासी विशाल, यशोदा, रायबरेली निवासी बदरूनिशा, सीतापुर निवासी परमेश्वर, सक्षम, शहाबाद निवासी सोनी देवी, रामदेव, मनीष, बाराबंकी निवासी शमशाद को रात में ट्रामा में इलाज नहीं मिल सका। इसमें विवेक, परमेश्वर आदि ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे। परिजनों ने देर रात बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया। क्या कहते हैं केजीएमयू सीएमएस ?

केजीएमयू सीएमएस डॉ. एसएन शखवार का कहना है कि इलाज के अभाव में किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई। महिला डॉक्टर के साथ अभद्रता होने पर कुछ देर के लिए रेजीडेंट चिकित्सकों ने कार्यबहिष्कार कर दिया था। रात में ही उन्हें समझा लिया गया और वह काम पर लौट आए।

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