उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने लखीमपुर खीरी में भूमि पैमाइश में लापरवाही बरतने के मामले में कड़ी कार्रवाई की है। राज्य सरकार ने 1 आईएएस और 3 पीसीएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है, जबकि अन्य कई अफसरों पर भी कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है।
निलंबित अधिकारियों में IAS धनश्याम सिंह, जो लखनऊ मंडल के अपर आयुक्त थे, PCS अरुण कुमार सिंह, जो बाराबंकी के ADM FR थे, PCS विधेश सिंह, जो झांसी में नगर मजिस्ट्रेट थे, और PCS रेणु, जो बुलंदशहर में SDM थीं, शामिल हैं। इन अधिकारियों पर आरोप है कि इन्होंने लखीमपुर खीरी में अपने कार्यकाल के दौरान भूमि पैमाइश के मामलों में लापरवाही बरती थी और टालमटोल किया था।
यह मामला तब सामने आया जब लखीमपुर खीरी के भाजपा विधायक योगेश वर्मा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इस वीडियो में विधायक ने आरोप लगाया कि सेवानिवृत्त शिक्षक विश्वेश्वर दयाल की भूमि की पैमाइश के लिए अधिकारियों ने घूस मांगी थी। विधायक ने दावा किया कि ₹5000 की घूस ली गई थी और इस रकम को वापस किया जाना चाहिए। वीडियो में विधायक सीधे सड़क पर बैठकर एसडीएम और कानूनगो के खिलाफ शिकायत करते हुए नजर आए थे।
घटना के बाद, उच्च स्तर से मामले की जांच शुरू की गई। उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव IAS देवराज एम ने लखीमपुर खीरी की जिलाधिकारी IAS दुर्गा शक्ति नागपाल से इस मामले में पूरी रिपोर्ट मांगी। रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि वर्ष 2019 के बाद तैनात रहे उप जिलाधिकारी, तसीलदार और नायब तहसीलदारों ने पैमाइश के मामलों में उचित कार्रवाई नहीं की थी। इसी आधार पर चारों अधिकारियों को दोषी पाया गया और निलंबित कर दिया गया।
वर्तमान में, निलंबित अधिकारी राजस्व परिषद से जुड़ गए हैं, जबकि सरकार द्वारा अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी जांच की जा रही है।
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