“”महाकुंभ 2024 में 36 साल बाद अतीक के गढ़ से निकली पेशवाई। शिव बारात, काली के रौद्र रूप और साधु-संतों के भव्य प्रदर्शन ने भक्तों को मंत्रमुग्ध किया। जानें पेशवाई का पूरा विवरण।”
प्रयागराज। महाकुंभ 2024 के अवसर पर 26 दिसंबर को प्रयागराज में श्रीपंच अग्नि अखाड़े का भव्य छावनी प्रवेश हुआ। यह ऐतिहासिक पेशवाई 36 वर्षों के बाद शहर के पश्चिमी हिस्से, जिसे माफिया अतीक अहमद का गढ़ माना जाता है, से गुजरी। इस भव्य आयोजन में हजारों साधु-संतों और नागा सन्यासियों ने हिस्सा लिया।
पेशवाई की भव्यता:
पेशवाई का शुभारंभ खुल्दाबाद चौफटका से हुआ और 13 किलोमीटर लंबे मार्ग से होते हुए महाकुंभ क्षेत्र में प्रवेश किया गया। साधु-संत हाथी-घोड़े और रथों पर सवार होकर निकले। उनके स्वागत में सड़क किनारे खड़े श्रद्धालुओं ने फूल बरसाए। “हर-हर महादेव” और “हर-हर गंगे” के उद्घोष से वातावरण गूंज उठा।
इस यात्रा की अगुवाई अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पीठाधीश्वर रामकृष्ण ने की। इसमें 15 घोड़े, 40 रथ और धार्मिक ध्वजाओं के साथ संत-महंतों का काफिला शामिल था।
पेशवाई का अनोखा प्रदर्शन:
अखाड़े की पेशवाई में शिव बारात की झांकी ने आकर्षण का केंद्र बनी। नर-पिशाचों के रूप में शिव बारात के कलाकारों ने तांडव किया, जबकि मां काली के रूप में एक कलाकार ने रौद्र रूप धारण किया। परशुराम सेना के संतों ने सीने पर ईंटें रखकर हथौड़े से तोड़ने जैसे अद्भुत प्रदर्शन किए, जिसने श्रद्धालुओं को रोमांचित कर दिया।
भक्ति और सेवा का संगम:
पेशवाई की शुरुआत से पहले दही और खिचड़ी का प्रसाद साधु-संतों ने ग्रहण किया। अनंत माधव मंदिर से शुरू हुई इस यात्रा में महंत वीरेंद्रानंद महाराज ने बताया कि यह यात्रा करबला चौराहा, बेनीगंज, और बैरहना जैसे प्रमुख मार्गों से होकर गुजरी।
अतीक के गढ़ से गुजरी पेशवाई:
यह पेशवाई माफिया अतीक अहमद के गढ़ माने जाने वाले शाहगंज इलाके से भी गुजरी। स्थानीय लोगों ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों के दौरान इस तरह के आयोजन संभव नहीं हो पाते थे। बदमाशी और लूटपाट की घटनाओं के कारण यह क्षेत्र काफी बदनाम रहा। अब 36 वर्षों के बाद इस क्षेत्र में शांति और भव्यता के साथ पेशवाई निकली, जिसे देखकर लोग गदगद हो गए।
महाकुंभ की चौथी पेशवाई:
- यह महाकुंभ 2024 की चौथी पेशवाई थी।
- इससे पहले: 13 दिसंबर: श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा
- 22 दिसंबर: पंचदशनाम आह्वान अखाड़ा
- 22 दिसंबर: किन्नर अखाड़ा
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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल