डॉ. अंबेडकर का अपमान बर्दाश्त नहीं: मायावती के आह्वान पर 75 जिलों में विरोध
“उत्तर प्रदेश में बसपा ने गृह मंत्री अमित शाह के विवादित बयान के खिलाफ 75 जिलों में प्रदर्शन किया। डॉ. अंबेडकर के सम्मान की मांग करते हुए बसपा कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी और ज्ञापन सौंपा। जानें पूरी खबर।”
आगरा, वाराणसी, गोरखपुर समेत सभी जिलों में प्रदर्शन, मायावती बोलीं- संविधान के अपमान पर नहीं बैठेंगे चुप
लखनऊ। गृह मंत्री अमित शाह द्वारा राज्यसभा में डॉ. भीमराव अंबेडकर के संदर्भ में की गई टिप्पणी पर देशभर में विरोध जारी है। बसपा प्रमुख मायावती के आह्वान पर उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में पार्टी कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने संविधान का सम्मान करने और अमित शाह से माफी की मांग को लेकर नारेबाजी की।
उत्तर प्रदेश के हर जिले में गूंजा विरोध का स्वर
आगरा: बसपा कार्यकर्ताओं ने “अमित शाह होश में आओ” और “संविधान का अपमान नहीं सहेंगे” जैसे नारों के साथ प्रदर्शन किया। झंडे-बैनर हाथ में लिए प्रदर्शनकारियों ने अमित शाह के इस्तीफे की मांग की।
वाराणसी: वरुणा नदी के किनारे बसपा कार्यकर्ता बड़ी संख्या में जुटे। प्रदर्शन के दौरान संविधान की प्रति और डॉ. अंबेडकर की तस्वीर लेकर नारेबाजी की। शास्त्री घाट पर इकट्ठा होकर कार्यकर्ताओं ने जिला मुख्यालय तक मार्च किया और राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा।
गोरखपुर: वकीलों ने भी बसपा के प्रदर्शन में भाग लिया। प्रदर्शनकारियों ने डॉ. अंबेडकर का अपमान बर्दाश्त न करने की बात कहते हुए शाह से माफी की मांग की।
लखनऊ: प्रदर्शनकारियों ने बाबा साहेब की तस्वीरों और संविधान की प्रतियां लेकर गृहमंत्री से इस्तीफे और माफी की मांग की। पुलिस ने कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए बैरिकेडिंग लगाई, लेकिन प्रदर्शनकारी नारेबाजी करते हुए जिला मुख्यालय तक पहुंच गए।
प्रयागराज: बसपा कार्यकर्ताओं ने बाबा साहेब के सम्मान में नारे लगाए। “संविधान का अपमान नहीं सहेंगे” और “बाबा साहेब अमर रहें” के नारों के साथ प्रदर्शनकारियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
झांसी, कानपुर, मेरठ और अलीगढ़: इन जिलों में भी कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया। सभी जगह संविधान और डॉ. अंबेडकर की तस्वीरों के साथ प्रदर्शन हुए।
अन्य जिलों में भी जोरदार प्रदर्शन:
75 जिलों में आयोजित प्रदर्शन के दौरान हर जिला मुख्यालय पर कार्यकर्ताओं ने शांतिपूर्ण रैली निकाली और डीएम को ज्ञापन सौंपा। बसपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि शाह का बयान संविधान और अंबेडकर दोनों का अपमान है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
क्या है अमित शाह का बयान?
17 दिसंबर 2024 को संसद में संविधान पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा,
“आजकल अंबेडकर का नाम बार-बार लिया जाता है। इतना नाम अगर भगवान का लिया होता, तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।”
इस बयान को लेकर विपक्षी दलों और दलित संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है।
मायावती का पलटवार
मायावती ने अमित शाह के बयान को डॉ. अंबेडकर का अपमान बताते हुए कहा कि शाह को तुरंत माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा,
“बाबा साहेब दलितों, वंचितों और उपेक्षितों के लिए भगवान समान हैं। उनका अनादर अस्वीकार्य है। अगर गृह मंत्री माफी नहीं मांगते, तो बसपा पूरे देश में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेगी।”
मायावती ने कांग्रेस और सपा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि इन पार्टियों ने हमेशा दलितों को गुमराह किया है।
बसपा का बदलता रुख और प्रदर्शन का इतिहास
बसपा आमतौर पर सड़क पर प्रदर्शन करने से बचती रही है। लेकिन डॉ. अंबेडकर जैसे मुद्दों पर पार्टी हमेशा आक्रामक रही है।
- 2016: भाजपा नेता दयाशंकर सिंह के विवादित बयान पर देशभर में प्रदर्शन।
- 2017: सहारनपुर में दलित-ठाकुर विवाद के दौरान मायावती ने मौके पर पहुंचकर विरोध जताया।
- 2024: दलित संगठनों के भारत बंद का समर्थन करते हुए जिला मुख्यालयों पर ज्ञापन सौंपा।
- राजनीतिक परिप्रेक्ष्य और बसपा का जनाधार
- बसपा का वोट शेयर लगातार घट रहा है।
- लोकसभा चुनाव 2014: 19.43%
- लोकसभा चुनाव 2024: 12.88%
- विधानसभा चुनाव 2022: मात्र 1 विधायक
- पार्टी को लगता है कि इस मुद्दे से वह दलितों और वंचित वर्ग के बीच अपनी स्थिति मजबूत कर सकती है।
कांग्रेस और सपा का रुख
इससे पहले कांग्रेस और सपा भी शाह के बयान का विरोध कर चुके हैं। कांग्रेस ने अमित शाह का पुतला फूंका और स्याही पोतकर विरोध जताया।
प्रदर्शन के दौरान पुलिस की तैयारियां
लखनऊ समेत सभी प्रमुख शहरों में पुलिस अलर्ट पर रही। कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए बैरिकेडिंग की गई, लेकिन प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा।
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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल