चाणक्य नीति: इन लोगों को नींद में पाएं सोता तो फौरन जगा देना चाहिए

आचार्य चाणक्य को नीतिशास्त्र के साथ अर्थशास्त्र, राजनीतिक और कूटनीतिज्ञ भी माना जाता है। कहा जाता है कि चाणक्य की नीतियों को अपनाना मुश्किल होता है, लेकिन जिसने भी अपनाया वो कभी असफल नही हुआ। इसी चाणक्य नीति में उन्होंने एक श्लोक के जरिए बताया है कि आखिर किन लोगों को नींद से तुंरत जगा देना चाहिए।
आचार्य चाणक्य का मानना था कि यदि कोई काम शुरू करें तो उसे पूर्ण करने के बाद ही सोना चाहिए यदि कोई ऐसा करता पाया जाए तो उसे नींद से तुरंत जगा देना चाहिए। उन्होंने कुछ लोगों को इन लोगों को कहीं सोता पाएं जाने पर क्या करना चाहिए इस बारें को लेकर अपने विचार दुनिया के सामने रखे हैं। चाणक्य अपनें अनुभवों से जो कुछ भी सीखा था उसे दूसरों को भी सिखाया है।
Chanakya Niti : जब व्यक्ति को ना मिले सफलता तो ये बर्ताव करना ही है समझदारी
विद्यार्थी सेवक: पान्थ: क्षुधार्तो भयकातर:। भण्डारी प्रतिहारी च सप्त सुप्तान् प्रबोधयेत् ।।
चाणक्य के अनुसार छात्र, सेवक, मार्ग में चलने वाला पथिक, यात्री, भूख से पीड़ित, भंडार की रक्षा करने वाला द्वारपाल और डरा हुआ व्यक्ति। अगर यह अपने कार्य के समय सो रहे हैं तो इन्हें जगा देना चाहिए। नीति शास्त्र के अनुसार, अगर यात्रा के दौरान यात्री सो जाए तो उसके साथ कोई भी अप्रिय घटना घट सकती है। अगर कोई व्यक्ति भूख-व्यास से व्याकुल है तो उसे जगाना ही उसकी समस्या का हल है।
चाणक्य कहते हैं कि अन्न की रक्षा कर रहे व्यक्ति या द्वारपाल को नींद से जगा देना चाहिए वरना कई लोगों को हानि हो सकती है। आचार्य चाणक्य के इस कथन को शास्त्र के उस आदेश से जोड़कर देखना चाहिए, जिसमें कहा गया है कि सोते हुए व्यक्ति को जगाना उचित नहीं होता है।