Chanakya Niti : व्यक्ति के लिए विष के समान है जीवन की ये चीज

आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) को बुद्धि का देवता माना जाता है। लोग इनके विचारों को बहुत पसंद करते हैं। इनके नीति शास्त्र में मनुष्य की रुप रेखा के बारे में बताया गया है। आज के दौर में चाणक्य के विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन का सत्य है। आज का ये विचार धन पर आधारित है।
इस दिन मनाया जाएगा संकष्टी चतुर्थी पर्व, इस व्रत को करने से मिलती है कष्टों से मुक्ति
‘किसी व्यक्ति के पास जरूरत से ज्यादा धन हो जाए वो धन का दुरुपयोग करने लगता है। जिससे उसे बुरी आदतें भी लग सकती हैं। इसलिए धन की अति भी जहर के समान है।‘ आचार्य चाणक्य
मनुष्य के पास सीमित धन | Chanakya Niti
चाणक्य कहते है कि मनुष्य के पास हमेशा धन सीमित मात्रा में ही होना चाहिए। जिस मनुष्य के पास सीमित धन होगा वो अपनी इच्छाओं को प्राथमिकता के आधार पर पूरी करेगा। ऐसे मनुष्य का दिमाग किसी भी गलत काम या फिर गलत चीजों की ओर धन खर्च करने को लेकर नहीं जाएगा। जिसकी वजह सीमित मात्रा में धन का होना है।
व्यक्ति के पास ज्यादा पैसा | Chanakya Niti
इसके उलट जिस व्यक्ति के पास जरूरत से ज्यादा पैसा होता है उसका दिमाग खर्च करने पर लगता है। लेकिन ज्यादा पैसा कई बार मनुष्य की बुद्धि को भ्रष्ट कर देता है। उसके दिमाग में पैसों की गर्मी इस कदर भरी रहती है कि वो अपने सामने किसी को भी कुछ नहीं समझता। यहां तक कि कई बार वो गलत राह पर चल पड़ता है।
गलत राह का मतलब | Chanakya Niti
गलत राह का मतलब बुरी लत से है। इसी वजह से चाणक्य का कहना है कि मनुष्य के पास इतना पैसा हो कि उसकी जरूरतें पूरी हो जाएं। अन्यथा आगे चलकर ज्यादा पैसा उसके लिए जहर के समान हो जाता है।