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साइकिल पर फैसला सुरक्षित, EC के सामने बोले मुलायम, अखिलेश सीएम, मैं मार्गदर्शक

उउउनई दिल्ली। मुलायम परिवार में झगड़े को लेकर शुक्रवार का दिन बेहद अहम रहा। दोनों पक्षों ने एक साथ चुनाव आयोग के सामने अपनी दलीलें रखीं।

सुनवाई के बाद यह करीब करीब तय हो गया कि समाजवादी पार्टी का साइकिल चुनाव चिह्न जब्त होगा।

चुनाव आयोग में इस मामले की सुनवाई के दौरान दोनों गुट साइकिल पर अपना दावा करते रहे जिसके बाद चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। अब इस मामले में आगे कोई सुनवाई नहीं होगी और आयोग कभी भी अपना फैसला सुना सकता है।

उधर, सूत्रों के अनुसार, पिछले एक महीने से सपा में चले आ रहे विवाद पर शुक्रवार को चुनाव आयोग के सामने सुनवाई के दौरान मुलायम सिंह यादव झुक गए।

सूत्रों के हवाले से खबर है कि आयोग के सामने मुलायम ने माना कि अखिलेश सीएम हैं और वह पार्टी के मार्गदर्शक हैं।साथ ही उन्होंने कहा कि इसके बाद अब पार्टी में कोई विवाद नहीं है और यह पूरी तरह से आंतरिक मामला है।मुलायम के अचानक इस यू-टर्न के बाद अखिलेश का दावा आयोग के सामने मजबूत हो गया है।

इससे पहले आयोग के सामने अखिलेश का दावा पेश कर रहे वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि मुलायम के समर्थन में केवल 12 विधायक हैं वहीं अखिलेश के साथ बहुमत है। ऐसे में चुनाव चिह्न उसे मिलना चाहिए जिसके पास बहुमत है। आयोग बहुमत को आधार मानते हुए फैसला सुनाए।

इस तरह चली सुनवाई :
चुनाव आयोग के सामने बहस की शुरुआत रामगोपाल यादव के हलफनामे से हुई, जिसमें आयोग को बताया गया था कि समाजवादी पार्टी के नए अध्यक्ष अखिलेश यादव बने हैं। पार्टी के आधे से ज्यादा सांसद, विधायक और एमएलसी का समर्थन अखिलेश को है। इनके समर्थन वाले हलफनामे आयोग में जमा किए जा चुके हैं इसलिए पार्टी और पार्टी के चुनाव चिह्न पर उनका हक है। अखिलेश खेमे के साथ किरनमय नंदा और राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल भी मौजूद थे।

इसको चुनौती देते हुए मुलायम के वकील ने कहा कि रामगोपाल के हलफनामे में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि पार्टी का विभाजन हुआ है या बंटवारा हुआ है, तो फिर जब पार्टी में कोई विभाजन हुआ ही नहीं तो पार्टी और चुनाव चिह्न दोनों पर ये दावा कैसे कर सकते हैं।

दूसरी बात, मुलायम सिंह यादव 2014 में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे और पार्टी अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है। न तो मुलायम सिंह यादव का कार्यकाल पूरा हुआ, और न ही पार्टी में विभाजन हुआ, न ही मुलायम ने पार्टी छोड़ी तो ऐसी स्थिति में कोई दूसरा व्यक्ति कैसे पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकता है और कैसे चुनाव चिह्न पर दावा कर सकता है?

मुलायम के वकील ने ये सवाल भी उठाया कि रामगोपाल गुट हलफनामे में जो दावा कर रहा है कि अखिलेश पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, तो सुनवाई के दौरान खुद चुनाव आयोग में अखिलेश क्यों नहीं आए। मुलायम के वकील ने ये भी दावा किया कि सारे हलफनामों में खुद अखिलेश का हलफनामा नहीं है।

रामगोपाल यादव को पार्टी से निकाला जा चुका है, वह आयोग में अखिलेश की तरफ से दावा करने आए हैं, जिसका कोई औचित्य नहीं है। आयोग के सामने पहले दौर की दो घंटे की बहस में मुद्दा यही रहा कि पार्टी में विभाजन हुआ है या नहीं। आयोग यही जानना चाह रहा था कि पार्टी में विवाद की स्थिति है या विभाजन हुआ है या नहीं।

मुलायम के वकील पूरी बहस के दौरान ये दावा करते रहे कि पार्टी में न तो कोई विवाद है, न ही कोई विभाजन हुआ। लिहाजा, पार्टी और चुनाव चिह्न को लेकर कोई दावा नहीं कर सकता है।

मुलायम से दावा वापस लेने की अपील
पार्टी के वरिष्ठ नेता नरेश अग्रवाल ने मुलायम सिंह से अपील की है कि वो साइकिल चुनाव चिह्न से अपना दावा वापस ले लें। नरेश अग्रवाल ने अपील की है कि वो चुनाव आयोग में पीछे हट जाएं और अखिलेश को आशीर्वाद दें।

उन्होंने कहा, ‘हर पिता चाहता है कि उनका बेटा आगे बढ़े और अखिलेश तो सितारा है। नेताजी ऐसा करेंगे तो उनका सम्मान और कद ऊंचा रहेगा और हम सब एक रहेंगे।’ पार्टी में भी एक सोच यह है कि अगर चुनाव आयोग ने इस झगड़े के कारण चुनाव चिह्न जब्त कर लिया तो चुनावों में परेशानी हो सकती है इसलिए दावा वापस लेना बेहतर होगा।

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