इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूट्यूबर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर एल्विश यादव की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। नोएडा की चर्चित रेव पार्टी केस में एल्विश यादव हाईकोर्ट फैसला उनके खिलाफ आया है। हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ दाखिल चार्जशीट और समन आदेश को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी है। इसका मतलब है कि अब एल्विश यादव को इस केस में ट्रायल का सामना करना पड़ेगा।
क्या है मामला?
नवंबर 2023 में नोएडा सेक्टर-49 थाने में एल्विश यादव समेत कई अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। आरोप था कि एक रेव पार्टी के दौरान ड्रग्स और सांप के ज़हर का इस्तेमाल हुआ, जिसमें विदेशी नागरिकों की भी मौजूदगी थी। जांच के दौरान जिन लोगों से सांप और ज़हर बरामद हुए, उनके संबंध एल्विश यादव से जोड़े गए।
एल्विश यादव पर आरोप है कि वह इन लोगों को सांप उपलब्ध कराते थे। उनके खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972, भारतीय दंड संहिता (IPC) और एनडीपीएस एक्ट की कई धाराओं में केस दर्ज किया गया था।
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कोर्ट में क्या हुआ?
एल्विश यादव की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया था कि एफआईआर दर्ज कराने वाला व्यक्ति वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत अधिकृत नहीं था और उनके पास से कोई भी मादक पदार्थ या सांप बरामद नहीं हुए थे।
लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह तर्क खारिज करते हुए कहा कि आरोपों की सत्यता का परीक्षण ट्रायल के दौरान ही होगा, इसलिए इस स्तर पर कोर्ट को हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं बनता।
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एल्विश यादव हाईकोर्ट फैसला अब उनके खिलाफ मुकदमे के रूप में सामने आएगा। हाईकोर्ट से उन्हें कोई राहत नहीं मिली है, जिससे उनके लिए कानूनी लड़ाई और मुश्किल हो सकती है। अब उन्हें सभी आरोपों का सामना ट्रायल के माध्यम से करना होगा।
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