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सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट: अमेरिकी फेड की दरों का इंतजार, विदेशी फंडों की निकासी और रुपये की कमजोरी का असर

सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट: अमेरिकी फेड की दरों का इंतजार, विदेशी फंडों की निकासी और रुपये की कमजोरी का असर

गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार में एक बार फिर बिकवाली का दौर देखा गया, जिसके चलते सेंसेक्स 836 अंक (1.04%) गिरकर 79,541.79 पर और निफ्टी 284.70 अंक (1.16%) गिरकर 24,199.35 पर बंद हुआ। पिछले दो दिनों में बाजार में आई तेजी के बाद यह गिरावट एक तगड़ा झटका साबित हुई।

इस गिरावट के पीछे प्रमुख कारण थे अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बदलाव के अनुमान और विदेशी निवेशकों की निरंतर निकासी। निवेशक अभी भी आगामी फेडरल रिजर्व के निर्णयों पर नजर बनाए हुए हैं, क्योंकि इसके असर से ब्याज दरों का रुझान तय होगा। इसके अलावा, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने बिकवाली का रुख अपनाया है, जिसके चलते भारत में विदेशी पूंजी की निकासी और बाजार में कमजोरी आई है। बुधवार को एफआईआई ने 4,445.59 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची, जिससे बाजार की धारणा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

गुरुवार के कारोबार में सेंसेक्स के 30 शेयरों में से अधिकांश गिरावट के साथ बंद हुए। इनमें प्रमुख कंपनियां जैसे टाटा मोटर्स, टेक महिंद्रा, अल्ट्राटेक सीमेंट, जेएसडब्ल्यू स्टील, सन फार्मा, एशियन पेंट्स, इंडसइंड बैंक, और आईसीआईसीआई बैंक शामिल थीं। हालांकि, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने इस गिरावट के बावजूद कुछ लाभ अर्जित किया और अन्य बैंकों के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया।

वैश्विक बाजारों में एशियाई बाजारों में मिश्रित रुख देखा गया। जहां सियोल, शंघाई, और हांगकांग में तेजी रही, वहीं टोक्यो में गिरावट रही। यूरोपीय बाजार भी सकारात्मक रुझान में थे, जबकि वॉल स्ट्रीट ने अपने कारोबार में वृद्धि दिखाई। अमेरिका के रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की, जो वैश्विक निवेशकों के लिए एक अप्रत्याशित परिणाम था, लेकिन इसका असर भारतीय बाजार पर बहुत बड़ा नहीं पड़ा।

रुपये ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरावट दर्ज की और 6 पैसे की कमी के साथ 84.37 के नए सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ। घरेलू बाजार में कमजोरी और विदेशी फंडों की निरंतर निकासी ने रुपये को दबाव में रखा। इसके अलावा, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से भी रुपये पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। हालांकि, डॉलर के मुकाबले अन्य प्रमुख मुद्राओं में सुधार ने रुपये की गिरावट को कुछ हद तक सीमित किया।

वैश्विक ब्रेंट क्रूड की कीमतों में भी हल्की गिरावट आई और यह 74.67 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई। इस गिरावट से कुछ राहत जरूर मिली, लेकिन बाजार में जारी अनिश्चितता के कारण निवेशक सतर्क रहे।

विश्लेषकों का कहना है कि घरेलू बाजार की दिशा अब फेडरल रिजर्व के ब्याज दर फैसले पर निर्भर करेगी। अगर फेड दरों में और कटौती करता है, तो भारत सहित उभरते बाजारो में निवेश में राहत मिल सकती है। वहीं, अगर ब्याज दरों को स्थिर रखने या बढ़ाने का फैसला होता है, तो बाजार में और गिरावट देखने को मिल सकती है।

सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में गुरुवार को हुई गिरावट दर्शाती है कि वैश्विक और घरेलू घटनाएं, जैसे फेडरल रिजर्व के फैसले, विदेशी निवेशकों की गतिविधियां, और कच्चे तेल की कीमतें, भारतीय बाजारों पर महत्वपूर्ण असर डाल रही हैं। निवेशकों को बाजार की परिस्थितियों के अनुसार सतर्क रहना चाहिए, और किसी भी अचानक गिरावट के लिए तैयार रहना चाहिए।

भारतीय शेयर बाजार में गुरुवार को गिरावट आई, लेकिन यह गिरावट भविष्य के संभावित आर्थिक फैसलों का संकेत देती है। हालांकि, विदेशी निवेशकों की निकासी और ब्याज दरों के निर्णय से बाजार में उतार-चढ़ाव संभव है, ऐसे में निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में विविधता बनाए रखने और सतर्क रहने की सलाह दी जाती है।

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