“गुजरात मॉडल की जगह अब योगी के यूपी मॉडल ने ली है, जो सख्त कानून-व्यवस्था, धार्मिक पर्यटन, माफिया के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई, और आर्थिक विकास के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग का प्रतीक बनता जा रहा है। “
आशीष बाजपेयी
गुजरात मॉडल . . . यह सियासी जुमला अब बीती बात हो चुका है। हाल के दिनों के राजनीतिक नारों पर कान दें, तो नेपथ्य में जा चुके गुजरात मॉडल की जगह अब योगी के यूपी मॉडल की चर्चा जोर पकड़ चुकी है। कभी इस गुजरात मॉडल ने तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की भारत विजय का नए सिरे से मार्ग प्रशस्त किया था। उसी तर्ज पर अब योगी के यूपी मॉडल की ब्रांडिंग होनी शुरू हो चुकी है। ‘बंटेंगे, तो कटेंगे’ के नारे के पृष्ठभूमि में राष्ट्रीय राजनीति में योगी की लांचिंग के साथ इस मॉडल की परख हरियाणा के बाद झारखंड व महाराष्ट्र में शुरू हो गई है।
गुजरात मॉडल से यूपी मॉडल तक: एक राजनीतिक यात्रा
गुजरात मॉडल ने कभी नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय राजनीति में एक मजबूत नेता के रूप में उभरने में मदद की थी। इस मॉडल की सफलता का आधार आर्थिक विकास, कानून-व्यवस्था, और सांप्रदायिक मुद्दों पर कड़े फैसले थे। गुजरात मॉडल की तर्ज पर ही योगी आदित्यनाथ का यूपी मॉडल उभर रहा है, लेकिन यह उससे कहीं अधिक व्यापक, सख्त, और विविधतापूर्ण दृष्टिकोण के साथ आया है, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर सराहा जा रहा है।
गुजरात मॉडल की तरह, यूपी मॉडल भी विकास और सुरक्षा का एक संतुलन बनाते हुए लोगों की सुरक्षा, सांप्रदायिक सौहार्द, और व्यवसायिक वातावरण को एक नई दिशा दे रहा है।
बुलडोजर ब्रांड: माफिया और असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
योगी आदित्यनाथ की बुलडोजर नीति ने यूपी में माफिया और अपराधियों के खिलाफ सख्त संदेश भेजा है। ठोंक दो नीति का पालन करते हुए योगी सरकार ने यूपी को माफिया मुक्त बनाने का संकल्प लिया। ऐसे में, माफिया और असामाजिक तत्वों के खिलाफ बड़े पैमाने पर संपत्तियों की जब्ती और बुलडोजर से ढहाने की कार्रवाइयों ने यूपी मॉडल को अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना दिया है।
कई अन्य राज्यों, जैसे मध्य प्रदेश, असम, और हरियाणा में भी इस बुलडोजर ब्रांड का अनुकरण किया जा रहा है, जिससे योगी का यूपी मॉडल और भी प्रतिष्ठित हुआ है।
कानून-व्यवस्था और त्वरित न्याय की नई परिभाषा
यूपी मॉडल में कानून-व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया गया है। 2017 से पहले, उत्तर प्रदेश में दंगे, कर्फ्यू और अपराध की घटनाएं आम थीं। लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कड़े फैसलों के माध्यम से इन पर नियंत्रण प्राप्त किया है। अब यहां की सड़कों पर कर्फ्यू और दंगों के दृश्य देखने को नहीं मिलते हैं।
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पब्लिक प्रॉपर्टी डैमेज रिकवरी एक्ट के तहत, हिंसक प्रदर्शनों और उपद्रवियों से सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई की जाती है। इससे एक सख्त और अनुशासित कानून-व्यवस्था का संदेश प्रसारित हुआ है।
धार्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक पुनर्जागरण
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दिया गया है। कांवड़ यात्रा जैसे धार्मिक अवसरों पर फूलों की वर्षा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण यूपी मॉडल का एक महत्वपूर्ण प्रतीक बन चुका है।
इसके अलावा, मथुरा और काशी विश्वनाथ जैसे स्थानों का विकास, धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहन देता है, जिससे न केवल राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है, बल्कि सांस्कृतिक गौरव को भी बढ़ावा मिलता है।
‘एक जिला, एक उत्पाद’ (ODOP) योजना: स्थानीय व्यापार का सशक्तिकरण
एक जिला, एक उत्पाद योजना ने यूपी के प्रत्येक जिले की विशिष्टता को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने का प्रयास किया है। इस योजना के अंतर्गत, प्रत्येक जिले के खास उत्पाद को प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे वहां के कारीगरों और छोटे उद्योगों को आर्थिक लाभ मिलता है।
इस मॉडल का उद्देश्य छोटे उद्योगों को सशक्त करना और युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करना है। अन्य राज्य भी इस योजना को अपने यहां लागू करने की संभावनाएं देख रहे हैं, जिससे यूपी मॉडल का प्रभाव और भी व्यापक हो रहा है।
‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और ‘सब चंगा सी’: एकता का संदेश
योगी आदित्यनाथ का बंटेंगे तो कटेंगे का नारा जाति, धर्म, और क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर एकता का संदेश देता है। झारखंड और महाराष्ट्र में भाषण देते समय योगी ने यूपी मॉडल को इसी संदेश के साथ प्रस्तुत किया। उनका कहना है कि एकता में ही विकास और सुरक्षा का राज है।
‘यूपी में सब चंगा सी’ का संदेश योगी आदित्यनाथ की इस सोच को दर्शाता है कि एक संगठित और सुरक्षित राज्य ही समृद्धि की ओर बढ़ सकता है। यह संदेश उत्तर प्रदेश के बदलाव की छवि को उजागर करता है।
राष्ट्रीय राजनीति में यूपी मॉडल की ब्रांडिंग
जैसे गुजरात मॉडल ने नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय राजनीति में एक पहचान दिलाई थी, वैसे ही यूपी मॉडल अब योगी आदित्यनाथ को एक राष्ट्रीय नेता के रूप में उभारने में सहायक बन रहा है। योगी आदित्यनाथ के हालिया झारखंड और महाराष्ट्र दौरे में उन्होंने यूपी मॉडल की सफलताओं का उल्लेख किया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि यूपी मॉडल अब राष्ट्रीय स्तर पर अपना प्रभाव जमा रहा है।
आगामी लोकसभा चुनावों में भी यूपी मॉडल भाजपा के लिए एक मजबूत राजनीतिक रणनीति के रूप में कार्य कर सकता है, खासकर उन राज्यों में जहां कानून-व्यवस्था और विकास दोनों एक चुनौती बने हुए हैं।
माफिया मुक्त व्यवसायिक वातावरण
उत्तर प्रदेश में व्यापारिक माहौल को बेहतर बनाने के लिए योगी सरकार ने माफिया और गुंडों के प्रभाव को समाप्त करने की दिशा में कठोर कदम उठाए हैं। आज यूपी में व्यवसायों के लिए एक सुरक्षित माहौल है। राज्य में निवेशकों का विश्वास बहाल हुआ है, जिससे राज्य के आर्थिक विकास में तेजी आई है।
माफिया मुक्त वातावरण ने न केवल राज्य की छवि को सुधारा है बल्कि व्यापारियों और निवेशकों के लिए यूपी को आकर्षक स्थान बना दिया है।
ऐतिहासिक धरोहर और गौरव का पुनर्निर्माण
यूपी मॉडल के अंतर्गत ऐतिहासिक धरोहरों और सांस्कृतिक स्थलों का पुनर्निर्माण भी किया गया है। आगरा में शिवाजी संग्रहालय का नामकरण, जो पहले एक मुगल संग्रहालय था, इस मॉडल के सांस्कृतिक पुनर्जागरण को दर्शाता है। यह कदम यूपी की ऐतिहासिक धरोहर को बढ़ावा देता है और भारतीय इतिहास के गौरवशाली व्यक्तित्वों को सम्मान देता है।
राज्य में सांस्कृतिक धरोहरों की पुनर्स्थापना के साथ-साथ सांस्कृतिक इवेंट्स का आयोजन भी यूपी मॉडल का हिस्सा है, जिससे स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को बल मिला है।
यूपी मॉडल: एक मजबूत चुनावी रणनीति
आने वाले उपचुनावों और लोकसभा चुनावों के मद्देनजर, योगी आदित्यनाथ अपने यूपी मॉडल के सफल उदाहरणों को प्रचारित कर रहे हैं। झारखंड और महाराष्ट्र में यूपी मॉडल का प्रचार कर उन्होंने यह संदेश दिया है कि भाजपा के पास एक कार्यक्षम मॉडल है, जो कानून-व्यवस्था, विकास, और सांप्रदायिक सौहार्द को प्राथमिकता देता है।
यूपी मॉडल की यह ब्रांडिंग अन्य राज्यों के मतदाताओं के बीच भाजपा के प्रति भरोसा बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो सकती है।