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ISIS के चंगुल से छूटे डाॅ राममूर्ति ने सुनाई आपबीती, हुई आंखें नम

नई दिल्ली । लीबिया में आईएसआईएस के चंगुल से आजाद कराए गए भारतीय डॉक्टर के. राममूर्ति ने जान बचाने के लिए प्रधानमंत्री, एनएसए और अधिकारियों का आभार जताया है। आतंकियों की पकड़ से छूटे डॉक्टर राममूर्ति ने बताया कि 10 दिन के भीतर उन्हें 3 बार गोली मारी गई।

ऑपरेशन थिअटर में ले जाकर जबरदस्ती सर्जरी करने के लिए मजबूर किया गया। उन्हें जबरन वुजू करना और नमाज पढ़नी सिखाई गई। हिंसक विडियोज दिखाए गए, जिन्हें देख पाना उनके लिए बहुत मुश्किल था।

डॉक्टर राममूर्ति आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं। इन्हें 18 महीने पहले आईएसआईएस ने किडनैप कर लिया था। सरकारी प्रयास से इन्हें 14 फरवरी को आतंकी संगठन की लीबिया जेल से मुक्त कराया गया।

डॉक्टर राममूर्ति ने बताया कि ‘रमजान के समय कुछ आईएसआईएस के आतंकियों ने मुझसे मदद मांगी। मेरे इनकार करने पर वह जबरदस्ती मुझे उठाकर ले गए।

मुझे सबसे पहले सिर्ते शहर की जेल ले जाया गया। इसके बाद वे पता नहीं क्यों, मुझे एक अंडरग्राउंड जेल में ले गए। वहां मैं तुर्की के लोगों से मिला। वहां आईएसआईएस के लोगों ने इस्लाम और उनके तौर तरीकों के बारे में बताया। इसके बाद वुजू करना सिखाया और नमाज पढ़ना सिखाया। दो महीने तक यही चलता रहा।’

आईएसआईएस द्वारा टॉर्चर किए जाने के बारे में राममूर्ति बोले, ‘जब मैं कैंप में काम कर रहा था, तब 10 दिन के भीतर मुझे तीन बार गोली मारी गई। बाएं हाथ और दोनों पैरों में गोलियां लगीं। उन्होंने मुझसे ऑपरेशन थिअटर में जाकर सर्जरी करने और टांके लगाने के लिए जबरदस्ती की लेकिन मैंने कभी ऐसा नहीं किया। आईएसआईएस ने कभी मुझे मारा पीटा नहीं लेकिन वे गाली देते थे।

आतंकियों ने मुझसे रिक्वेस्ट की कि मैं उनके हॉस्पिटल में काम करूं। वह मुझसे घायलों के ऑपरेशन करवाना चाहते थे। मैंने उन्हें बताया कि मैं 61 साल का हूं और 15 मिनट से ज्यादा खड़े रहने में मुझे दिक्कत होती है। साथ ही मैं मेडिकली ट्रेंड हूं, सर्जरी करने का अनुभव मुझे नहीं है। तब उन्होंने मुझे महकमा जेल से निकालकर दूसरी जेल में भेज दिया।’

राममूर्ति ने बताया कि ‘एक दिन आईएसआईएस के लोग मेरे पास आए और अपने साथ चलने को कहा। इसके बाद एक अन्य भारतीय के साथ वे लोग मुझे अपनी सेंट्रल जेल ले गए। जेल में मैं दो अन्य भारतीयों से मिला। उन्हें भी जबरदस्ती पकड़ लिया गया था और वे दो महीने से जेल में ही थे। आईएसआईएस के लड़ाकों ने मुझे विडियो दिखाए जिसमें दिखाया गया था कि उन्होंने ईराक, सीरिया और नाइजीरिया में क्या किया। यह देखना बहुत मुश्किल था। इसके बाद आईएसआईएस ने मुझे कई जेलों में शिफ्ट किया।’

बेहद मानसिक पीड़ा से गुजर रहे राममूर्ति यह कहते हुए भावुक हो गए कि आतंकी संगठन में बीते वक्त के दौरान उन्होंने हर तरह का आतंक देखा है। आतंकी अपने संगठन के लिए पूरी तरह समर्पित हैं और हर रूल को फॉलो करते हैं। इस संगठन में 10 साल जैसी कच्ची उम्र के बच्चों सहित 65 साल के वृद्ध तक शामिल हैं, जो सूइसाइड बमर का काम करते हैं।’ आईएसआईएस के चंगुल से छूटे डॉक्टर राममूर्ति ने अपने जख्म भी दिखाए।

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