“श्री शंभू पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा के महंत महाकाल गिरी जी महराज पिछले 9 सालों से बाएं हाथ को ऊपर रखकर अपनी साधना में लगे हैं। यह अद्वितीय साधना के रूप में एक गहरी आध्यात्मिक यात्रा का प्रतीक है।”
गोरखपुर। श्री शंभू पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा के महंत महाकाल गिरी जी महराज की साधना की एक अनोखी और अद्वितीय परंपरा है। महाकाल गिरी जी महराज पिछले 9 सालों से लगातार अपनी बाएं हाथ को ऊपर रखकर साधना कर रहे हैं, जो उनके गहरे आध्यात्मिक समर्पण का प्रतीक है। यह साधना एक कठिन और कड़ी तपस्या का हिस्सा मानी जाती है, जिसमें शरीर और आत्मा की गहरी एकता की आवश्यकता होती है।
महाकाल गिरी जी महराज ने अपनी साधना को लेकर हमेशा ही ध्यान और तपस्विता को महत्व दिया है। उनकी साधना का उद्देश्य न केवल आत्मसाक्षात्कार है, बल्कि यह भी है कि अपने शरीर, मन और आत्मा के बीच गहरी एकता स्थापित करें। उनका यह कार्य साधकों के लिए प्रेरणा स्रोत है, और उन्होंने यह साबित किया है कि निरंतर साधना और समर्पण से व्यक्ति अपार मानसिक और शारीरिक शक्ति को हासिल कर सकता है।
महाकाल गिरी जी महराज की साधना उनके अनुयायियों के लिए एक आदर्श बन गई है। उनकी साधना के इस रूप को देखकर श्रद्धालु उनके प्रति गहरी श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करते हैं। यह साधना न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक जागरूकता को भी प्रोत्साहित करती है।
9 साल की तपस्या
महाकाल गिरी जी महराज की साधना का समय 9 साल से अधिक हो चुका है, और यह अविरल और पूरी समर्पण भावना से जारी है। उनके इस अद्वितीय साधना मार्ग का पालन उनके शिष्य और अनुयायी भी करते हैं, जो उन्हें एक नई दिशा और शक्ति प्रदान करती है।
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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल