लखनऊ। प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी का असली हकदार कौन होगा और ‘साइकिल’ चुनाव चिन्ह किस खेमे के हिस्से में आयेगा या फिर निर्वाचन आयोग इस चुनाव चिन्ह को ही ‘फ्रीज’ (जब्त) करेगा, इस पर अब कल फैसला हो जायेगा।
निर्वाचन आयोग ने ‘सपा’ और ‘साइकिल’ दोनों पर अपना दावा ठोंकने वाले पार्टी के दोनों ही धड़ों को कल आयोग में तलब किया है।
जिसके बाद यह साफ हो जायेगा कि कौन सा धड़ा इस उठापटक की कवायद में भारी पड़ा। इस बीच, दोनों ही धड़े विकपों की तलाश में जुट गए हैं।
सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने गुरूवार को दिली में लोकदल के मुखिया सुनील सिंह से उनके चुनाव चिन्ह ‘खेत जोतता किसान’ पर लंबी चर्चा की। माना जा रहा है कि चुनाव चिन्ह ‘फ्रीज’ होने की दशा में दोनों ही धड़ों ने चुनाव में कैसे जाया जाये और विकप क्या हों, इसकी रणनीति तैयार कर ली है।
सपा के शीर्ष नेतृत्व के बीच बीते साल अगस्त के महीने से छिड़ी रार अब अन्तिम मुकाम तक पहुंच गयी है। सुलह–समझौते के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं।
पार्टी पूरी तरह से दो धड़ों में साफ बंटी हुई दिखने लगी है। समाजवादी पार्टी के भविष्य को लेकर लोगों की निगाहें अब चुनाव आयोग की कल आने वाले फैसले पर टिक गयी हैं, मुलायम सिंह यादव अपने भाई शिवपाल सिंह यादव के साथ कल से ही दिली में हैं जबकि अखिलेश यादव खेमे की ओर से राम गोपाल यादव आयोग में पेश होते रहे हैं।
चुनाव आयोग ने सुनवाई के लिए कल साढे 11 बजे दोनो पक्षों को बुलाया है। आयोग सपा के चुनाव चिह् साइकिल पर फैसला सुना सकता है। इस बीच सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने दिली में लोकदल के मुखिया सुनील सिंह को दिली बुलाया और उनसे लम्बी चर्चा की। इस दौरान शिवपाल सिंह यादव, ओम प्रकाश सिंह भी मौजूद थे।
जबकि अमर सिंह से भी सुनील सिंह की कई चक्रों में वार्ता पहले ही हो चुकी है। माना जा रहा है कि ‘साइकिल’ चुनाव चिन्ह मुलायम खेमे को नहीं मिलने की दशा में वे लोकदल के चुनाव चिन्ह ‘खेत जोतता किसान’ को लेकर विधानसभा चुनाव में जा सकते हैं।
लोकदल के इस चुनाव चिन्ह से मुलायम सिंह का पुराना नाता है। वह खुद इस निशान पर चुनाव लड़ चुके हैं। वहीं पार्टी के दूसरे खेमे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी यह संकेत दे चुके हैं कि साइकिल नहीं मिलने की सूरत में वे चुनाव चिन्ह के तौर पर मोटरसाइकिल की मांग कर सकते हैं। मोटर साइकिल तेज विकास के प्रतीक के तौर पर प्रचारित की जा सकती है।