अब मथुरा को मुक्त कराने की मुहिम, रंजना अग्निहोत्री ने अदालत में दी दस्तक
लखनऊ। अयोध्या के बाद अब मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को मुक्त कराने के प्रयास तेज हो गए हैं। प्रख्यात अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने मथुरा की एक अदालत में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्त कराने को लेकर दस्तक की है। रंजना अग्निहोत्री रामजन्मभूमि विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में हिंदू पक्ष की अधिवक्ता रही हैं।
श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से शुक्रवार को मथुरा की अदालत में दायर मुकदमें में 13.37 एकड़ की कृष्ण जन्मभूमि भूमि का स्वामित्व और शाही ईदगाह को हटाने की मांग की गई है। अधिवक्ता हरि शंकर जैन ने कहा मुकदमा कथित ट्रस्ट मस्जिद ईदगाह के प्रबंधन समिति द्वारा अवैध रूप से अतिक्रमण और अधिरचना को हटाने के लिए दायर किया गया है। यह याचिका भगवान श्रीकृष्ण विराजमान, कटरा केशव देव खेवट, मौजा मथुरा बाजार शहर की ओर से उनकी अंतरंग सखी के रूप में अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री और छह अन्य भक्तों की तरफ से दाखिल किया गया है।
रंजना अग्निहोत्री व अन्य ने याचिका के जरिये 13.37 एकड़ की कृष्ण जन्मभूमि का स्वामित्व के साथ ही शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई है। हांलाकि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट -1991 इस मामले में बाधा पैदा कर सकता है। इस एक्ट के जरिये मथुरा-काशी समेत देश के सभी धार्मिक या आस्था स्थलों के विवादों पर मुकदमेबाजी पर रोक है। अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने कहा है कि इस केस में प्लेसेज आफ वर्षिप एक्ट कतई आडे नहीं आएगा।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1991 में कांग्रेस सरकार ने सार्वजनिक आराधना स्थल अधिनियम- 1991 को संसद से पारित कराया। इसके तहत 15 अगस्त 1947 के बाद से जो भी धार्मिक स्थल जिस स्थिति में थे, उनमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। अधिनियम के अनुसार इन स्थलों पर किसी भी तरह का बदलाव गैर कानूनी माना जाएगा।