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SYL पर SC का फैसला, विरोध में कांग्रेस विधायकों ने दिया इस्तीफा

पंजाब । पंजाब को गुरुवार को उस समय तगड़ा झटका लगा जब उच्चतम न्यायालय ने पडोसी राज्यों के साथ सतलज यमुना संपर्क नहर समझौता निरस्त करने के लिए 2004 में बनाया गया कानून असंवैधानिक करार दे दिया।ami

न्यायमूर्ति ए के दवे की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस मुद्दे पर राष्ट्रपति द्वारा भेजे गये सवालों पर अपनी राय देते हुये कहा, ‘सभी सवालों के जवाब नकारात्मक में हैं।’

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति पी सी घोष, न्यायमूर्ति शिव कीर्ति सिंह, न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति अमिताव राय शामिल हैं।

संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से कहा कि राष्ट्रपति द्वारा भेजे गये सभी पांच सवालों के जवाब नकारात्मक में हैं। इस फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया कि पंजाब समझौता निरस्तीकरण कानून 2004 असंवैधानिक है और पंजाब सतलज-यमुना संपर्क नहर के जल बंटवारे के बारे में हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, जम्मू कश्मीर, दिल्ली और चंडीगढ के साथ हुये समझौते को एकतरफा रद्द करने का फैसला नहीं कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का पंजाब कांग्रेस ने विरोध जताया है। पंजाब के सभी कांग्रेस विधायकों ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपने इस्तीफे भेज दिए हैं। इसके साथ ही फैसले के विरोध में अमरिंदर सिंह ने भी लोकसभा से इस्तीफा दे दिया है।

संविधान पीठ की गुरुवार की व्यवस्था का तात्पर्य यह हुआ कि 2004 का कानून शीर्ष अदालत के 2003 के निर्णय के अनुरूप नहीं था। शीर्ष अदालत ने सतलज-यमुना संपर्क नहर का निर्माण पूरा करने की व्यवस्था दी थी।

पंजाब में 2004 में सत्तारूढ कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने यह कानून बनाया था। इस कानून के तहत राज्य सरकार ने सतलज यमुना संपर्क नहर के शेष हिस्से का निर्माण रोकते हुये उच्चतम न्यायालय के फैसले को निष्प्रभावी करने का प्रयास किया गया था।

संविधान पीठ ने यह कानून बनने के बाद उत्तर भारत के राज्यों द्वारा सतलुज यमुना संपर्क नहर से जल बंटवारे के बारे में राष्ट्रपति द्वारा उसकी राय जानने के लिए 2004 में ही भेजे पांच सवालों पर अपना जवाब दिया।

न्यायमूर्ति दवे की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने 12 मई को इस मामले में सुनवाई पूरी की थी। न्यायमूर्ति दवे 18 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

संविधान पीठ के समक्ष केन्द्र सरकार ने कहा था कि वह 2004 के अपने रूख पर कायम है कि संबंधित राज्यों को इस विवाद को आपस में ही सुलझाना चाहिए।

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