उत्तराखंड का विकास Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/tag/उत्तराखंड-का-विकास National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal Sun, 10 Nov 2024 13:42:42 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.1 https://vishwavarta.com/wp-content/uploads/2023/08/Vishwavarta-Logo-150x150.png उत्तराखंड का विकास Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/tag/उत्तराखंड-का-विकास 32 32 उत्तराखंड दिवस: अलग राज्य बनने के बाद क्या बदला? जानें इस देवभूमि की यात्रा में https://vishwavarta.com/uttarakhand-what-changed-after-becoming-a-separate-state-know-the-journey-of-this-devbhoomi/111140 Sat, 09 Nov 2024 13:32:23 +0000 https://vishwavarta.com/?p=111140 “उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के 24 साल बाद, इस देवभूमि ने न केवल विकास की ओर कदम बढ़ाए हैं बल्कि कई कठिनाइयों का भी सामना किया है। जानें, कैसे पलायन, पर्यटन, और पर्यावरणीय चुनौतियों के साथ राज्य ने प्रगति की दिशा में नए अवसर पैदा किए हैं।“ मनोज शुक्ला 9 नवंबर विशेष: उत्तराखंड दिवस …

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“उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के 24 साल बाद, इस देवभूमि ने न केवल विकास की ओर कदम बढ़ाए हैं बल्कि कई कठिनाइयों का भी सामना किया है। जानें, कैसे पलायन, पर्यटन, और पर्यावरणीय चुनौतियों के साथ राज्य ने प्रगति की दिशा में नए अवसर पैदा किए हैं।“

9 नवंबर का दिन उत्तराखंड की जनता के लिए केवल एक तारीख नहीं है, यह एक ऐतिहासिक संघर्ष की जीत का प्रतीक है। 2000 में उत्तरप्रदेश से अलग होकर बने इस पहाड़ी राज्य ने न केवल अपनी संस्कृति और पहचान को संरक्षित किया, बल्कि अपनी जनता के जीवन में बदलाव भी लाए। अलग राज्य बनने के इस सफर में उत्तराखंड ने कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं, तो कुछ कठिनाइयों का सामना भी किया है। आइए, इस उत्तराखंड दिवस पर हम इस देवभूमि की यात्रा को और करीब से समझें।

उत्तराखंड राज्य का गठन केवल एक प्रशासनिक बदलाव नहीं था, यह एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण की तरह था।

देवभूमि कहलाने वाले इस राज्य में पर्यटन को एक नई पहचान मिली है। विशेषकर चार धाम यात्रा और औली जैसी जगहों पर पर्यटन से रोजगार के कई नए अवसर खुले हैं।

यहाँ का एक प्राचीन श्लोक इस राज्य के सौंदर्य का वर्णन करता है:

उत्तराखंड के दो मुख्य सांस्कृतिक क्षेत्र गढ़वाल और कुमाऊँ, अपनी लोक कलाओं, संगीत, और पर्वों से यहां की संस्कृति को सजीव बनाते हैं। गढ़वाली और कुमाऊँनी लोकगीत और लोकनृत्य जैसे झोड़ा, चाँचरी, और जागर यहाँ की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। लोकगीतों में प्रकृति के प्रेम और जीवन के संघर्ष को बहुत ही सुंदरता से उकेरा गया है।

इस गीत के माध्यम से यहाँ के लोग प्राकृतिक सुंदरता और पहाड़ों के बदलते मौसमों को गहराई से व्यक्त करते हैं।

 

अलग राज्य बनने के बाद भी कुछ चुनौतियाँ सामने आईं हैं।

पहाड़ों में रोजगार की कमी और कठिन जीवन-शैली के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों का पलायन जारी है।

केदारनाथ त्रासदी जैसी घटनाएँ यहाँ की प्राकृतिक संवेदनशीलता का उदाहरण हैं। भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाएं भी लोगों के जीवन को प्रभावित करती हैं।

कुमाऊँनी लोककथा ‘हरू और रंका’ में यहाँ के वीरता और त्याग की कहानियाँ झलकती हैं। यह लोककथा हमें सिखाती है कि किस तरह से यहाँ के लोग हर कठिनाई का सामना धैर्य और साहस से करते आए हैं।

उत्तराखंड की विशेष भौगोलिक स्थिति और सांस्कृतिक धरोहर इसके विकास के लिए एक अनोखा आधार प्रदान करती है।

पर्यावरण के प्रति सचेत रहकर सतत विकास के लिए इको-टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा सकता है।

उत्तराखंड की पारंपरिक हस्तकला और हस्तशिल्प को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर खुल सकते हैं।

उत्तराखंड के लोग अपनी संस्कृति और भाषा के प्रति गर्व का अनुभव करते हैं, और इस भावना को उजागर करने के लिए यह श्लोक यहाँ सटीक बैठता है:

उत्तराखंड दिवस हम सभी को यह संकल्प लेने की प्रेरणा देता है कि हम अपने राज्य की संस्कृति और प्राकृतिक धरोहर को सहेजेंगे। हमें अपने जीवन में इस देवभूमि की परंपराओं और मूल्यों को संजोना होगा और सतत विकास की राह पर चलना होगा।

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