पूर्वांचल Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/tag/पूर्वांचल National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal Sat, 05 Oct 2024 15:41:38 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.1 https://vishwavarta.com/wp-content/uploads/2023/08/Vishwavarta-Logo-150x150.png पूर्वांचल Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/tag/पूर्वांचल 32 32 यूपी में मौसम का मिजाज: 75 जिलों में ग्रीन अलर्ट, अगले 24 घंटे में फिर से बदल सकता है मौसम https://vishwavarta.com/weather-in-up-green-alert-in-75-districts-weather-may-change-again/107588 Sat, 05 Oct 2024 15:41:38 +0000 https://vishwavarta.com/?p=107588 लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मौसम के लगातार बदलते हालातों के बीच मौसम विभाग ने प्रदेश के 75 जिलों में ग्रीन अलर्ट जारी किया है। इस अलर्ट के तहत बारिश की संभावना कम बताई गई है, लेकिन कुछ जिलों में स्थानीय विक्षोभ के चलते हल्की बौछारें पड़ सकती हैं। मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि अगले …

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मौसम के लगातार बदलते हालातों के बीच मौसम विभाग ने प्रदेश के 75 जिलों में ग्रीन अलर्ट जारी किया है। इस अलर्ट के तहत बारिश की संभावना कम बताई गई है, लेकिन कुछ जिलों में स्थानीय विक्षोभ के चलते हल्की बौछारें पड़ सकती हैं। मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि अगले 48 घंटे में मानसून फिर से सक्रिय हो सकता है, जो पूर्वांचल के 18-20 जिलों में बारिश कराएगा। हालांकि, 10 अक्टूबर तक मानसून की विदाई की भी संभावना है।

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बांधों में जलस्तर बढ़ा
हाल ही में लौटते मानसून ने प्रदेश के बांधों को भर दिया है। उत्तर प्रदेश में कुल 51 छोटे-बड़े डैम हैं, जिनमें से 38 डैम 50% से ज्यादा भरे हैं और 21 डैम 80 से 100% तक भरे हैं। पिछले साल की तुलना में इस वर्ष पांच सबसे बड़े डैम की स्थिति बेहतर है, जिसके चलते उनके गेट खोलने की नौबत भी आई है।

बारिश का रिकॉर्ड
मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 1 जून से 30 सितंबर के बीच यूपी में बारिश का कोटा पूरा हो गया है। इस दौरान प्रदेश में कुल 746.2 मिमी बारिश हुई है और मानसून सामान्य रहा है। अक्टूबर में बारिश का आंकड़ा माइनस में है, यानी औसत से कम है। शुक्रवार को यूपी के केवल दो जिलों बलिया और कुशीनगर में बारिश हुई, जबकि 73 जिलों में एक बूंद पानी नहीं गिरा।

जलभराव की समस्या
महराजगंज जिले के कई गांवों में बाढ़ का संकट गहराया हुआ है। सोहगी बरवा क्षेत्र में बाढ़ के चलते 150 से अधिक लोग फंस गए हैं। नेपाल द्वारा छोड़े गए 6 लाख 50 हजार क्यूसेक पानी के कारण 20 से अधिक गांव जलमग्न हो गए हैं। यहां के स्कूल-कॉलेज और सड़कें जलमग्न हैं, जिससे करीब 50,000 लोग प्रभावित हुए हैं।

बाढ़ के प्रभाव
बारिश और बाढ़ से उत्तर प्रदेश के 49 जिले प्रभावित हुए हैं, जिसमें 19 लोगों की जान चली गई है और करीब 4,000 घरों को नुकसान पहुंचा है। गंगा, यमुना, सरयू, शारदा, पांडू, घाघरा, और वरुणा जैसी नदियों के किनारे बसे 23 लाख से अधिक लोग बाढ़ की चपेट में आए हैं।

तापमान की स्थिति
हाल के दिनों में कन्नौज, आगरा, भदोही, वाराणसी और मथुरा जैसे शहरों में तापमान 36.8 से 37.9 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा है।

पिछले 5 वर्षों का मानसून
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले 5 वर्षों में यूपी में सामान्य मानसून की बारिश नहीं हो रही है। वर्ष 2022 में बारिश का स्तर सामान्य से 36% कम था। इसके परिणामस्वरूप ग्राउंड वाटर लेवल पर भी असर पड़ा है।

उत्तर प्रदेश में मौसम की स्थिति और बाढ़ की समस्या लगातार गंभीर बनी हुई है। जहां एक ओर बांधों में जलस्तर बढ़ा है, वहीं दूसरी ओर कई जिलों में जलभराव और बाढ़ के कारण जनजीवन प्रभावित हो रहा है। मौसम विभाग की जानकारी के अनुसार, अगले कुछ दिनों में मौसम में और बदलाव आने की संभावना है, जिससे स्थिति में सुधार की उम्मीद की जा सकती है।


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देश का फूड बास्केट बनेगा यूपी, सरकार लगातार कर रही उत्पादन बढ़ाने का प्रयास https://vishwavarta.com/up-will-become-the-countrys-food-basket-government-is-trying-to-increase-production/105639 Mon, 09 Sep 2024 10:34:01 +0000 https://vishwavarta.com/?p=105639 लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शुरू से मंशा रही है कि उत्तर प्रदेश देश का “फूड बास्केट” बने। इस मंशा के पीछे उनके ठोस तर्क हैं। मसलन इंडो गेंगेटिक बेल्ट की सबसे उर्वर भूमि, अलग अलग फसलों और फलों की खेती के लिए नौ तरह की कृषि जलवायु, वर्ष पर्यन्त पानी की उपलब्धता वाली गंगा, …

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शुरू से मंशा रही है कि उत्तर प्रदेश देश का “फूड बास्केट” बने। इस मंशा के पीछे उनके ठोस तर्क हैं। मसलन इंडो गेंगेटिक बेल्ट की सबसे उर्वर भूमि, अलग अलग फसलों और फलों की खेती के लिए नौ तरह की कृषि जलवायु, वर्ष पर्यन्त पानी की उपलब्धता वाली गंगा, यमुना, सरयू जैसी नदियां, सर्वाधिक आबादी के नाते प्रचुर मात्रा में श्रम और बाजार की उपलब्धता आदि।

योगी सरकार लगातार कर रही उत्पादन बढ़ाने का प्रयास
विभिन्न योजनाओं के जरिए योगी सरकार लगातार फसलों की उपज बढ़ाने का प्रयास कर रही है। इसके नतीजे भी निकले हैं। पर राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर अलग अलग फसलों के उत्पादन पर गौर करें तो अब भी उपज बढ़ाने की बहुत संभावना है। सरकार अब इस पर ही फोकस कर रही है। यूपी एग्रीज जैसी महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं के केंद्र में भी उपज बढ़ाने को मुख्य घटक माना गया है।

जिलेवार प्रमुख फसलों के अधिकतम और न्यूनतम उत्पादन के गैप को पाटने का चल रहा कार्य
करीब दो साल पहले भी सरकार ने जिलेवार और फसलवार अधिकतम और न्यूनतम उत्पादकता के आंकड़े निकलवाए थे। इसका मकसद यह जानना था कि किन वजहों से किसी फसल के अधिकतम और न्यूनतम उत्पादन में इतना अंतर है।इस अंतर को पाटने के लिए न्यूनतम उत्पादन वाले जिलों में संबंधित फसल का उत्पादन बढ़ाने के लिए क्या किया जाना चाहिए।

यूपी एग्रीज में अब कम उत्पादन वाले बुंदेलखंड और पूर्वांचल पर फोकस
अब यही कवायद एक बार फिर योगी सरकार विश्वबैंक की मदद से यूपी एग्रीज (उत्तर प्रदेश: कृषि एवम ग्रामीण उद्यमिता सुदृढ़ीकरण कार्यक्रम) के जरिए अधिक संसाधनों के साथ व्यापक इलाके में समयबद्ध और नियोजित तरीके से जा रही है।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश करीब 24% उत्पादन के साथ कुल कृषि उत्पादन में देश में नंबर एक है। रबी की प्रमुख फसल गेंहू के मामले में यह नंबर एक (31%) तो खरीफ की प्रमुख फसल धान के उत्पादन में इसका देश में दूसरा (15%) है।

सर्वाधिक उत्पादन वाले राज्यों की तुलना में यूपी
बावजूद इसके कुछ फसलों को छोड़ दें तो इनका प्रति हेक्टेयर उत्पादन प्रति कुंतल राष्ट्रीय एवरेज से कम है। प्रति हेक्टेयर, प्रति कुंतल सर्वाधिक उत्पादन लेने वाले राज्यों की तुलना में तो कम है ही। वैश्विक स्तर के अधिकतम उत्पादन से तो कोई तुलना ही नहीं है। उदाहरण के तौर पर चावल, गेंहू, बाजरा, ज्वार और चना को छोड़ दें तो बाकी प्रमुख फसलों में उत्तर प्रदेश सर्वाधिक उत्पादन करने वाले राज्यों से पीछे है।

मसलन उत्तर प्रदेश में प्रति हेक्टेयर चावल की उत्पादकता 27.59 कुंतल है तो पंजाब की उत्पादकता 43.66 कुंतल। इसी तरह यूपी में गेंहू का उत्पादन 36.04 पंजाब में 48.62, ज्वार 15.78 आंध्र प्रदेश 30.70, बाजरा 22.21 हरियाणा 23.72, मक्का 23.31 तमिलनाडु 68.20, उर्द 4.98 महाराष्ट्र 5.68 , मूंग 3.58 महाराष्ट्र 5.55, तिल 2.26 पश्चिम बंगाल 9.74, चना,13.76, गुजरात 15.68, अरहर 9.88 झारखंड 11.38, मसूर 9.88 मध्य प्रदेश 11.39, दलहन 10.79 गुजरात 12.75, राई सरसो 14.12, हरियाणा 22.17, तिलहन 10.54 तमिलनाडु 20.43 प्रति हेक्टेयर कुंतल। इनका उत्पादन बढ़ाने के लिए यूपी एग्रीज ने पूर्वांचल और बुंदेलखंड के उन जिलों को चुना है, जिनका उत्पादन अपेक्षाकृत कम है।

4000 करोड़ के निवेश से छह साल में 30% उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य सरकार और संस्था का उम्मीद है कि वह किसानों, वैज्ञानिकों के जरिए नवाचार और तकनीक के प्रयोग इनपर 4000 करोड़ रुपए के निवेश के जरिए उत्पादकता में 30 फीसद तक वृद्धि कर सकते हैं। चूंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों की उत्पादकता पहले से अधिक है। ऐसे में बुंदेलखंड और पूर्वांचल के जिलों की बढ़ी उत्पादकता यूपी को दुनियां का फूड बास्केट बनने के राह पर अग्रसर करेगी। क्योंकि इसके बावजूद भी संभावना अभी बाकी रहेगी।

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